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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के उसूर थाना क्षेत्र के लिंगापुर गांव में कांग्रेस कार्यकर्ता नागा भंडारी की रविवार देर रात धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। नागा भंडारी मारूडबाका गांव में उचित मूल्य की दुकान (PDS) संचालित करते थे और कांग्रेस संगठन से भी जुड़े थे ।

इस घटना के चार दिन बाद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) ने इसे नक्सली वारदात मानने से इनकार किया है। उनका कहना है कि यह हत्या संदिग्ध है और इसमें आपसी रंजिश या अन्य कारण भी हो सकते हैं। उन्होंने शासन और प्रशासन से मामले की जांच की मांग की है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (Deepak Baij) के मुताबिक, हत्या संदिग्ध है और इसमें आपसी रंजिश या अन्य कारण भी हो सकते हैं।

 

दीपक बैज(DEEPAK BAIJ) का बयान: ‘हमें इस हत्याकांड पर पूरी तरह से शंका है’

घटना को लेकर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) का कहना है कि बीजापुर में कुछ और ग्रामीणों की हत्या हुई और हमारे कांग्रेस कार्यकर्ता की भी हत्या हुई है। अभी तक हत्या किसने की, यह क्लियर नहीं हुआ है। इस हत्याकांड पर हमें संदेह है।
कहीं ना कहीं आपसी रंजिश या और कोई कारण हो सकता है। हमें हत्या पर संदेह है, शासन और प्रशासन को गंभीरता से जांच करना चाहिए। इस हत्याकांड पर हमें पूरी तरह से शंका है।”
दीपक बैज का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि अब तक इस हत्या को माओवादी वारदात माना जा रहा था। कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि अज्ञात नक्सली गांव में घुसे और नागा को मार डाला। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी खुद इस थ्योरी पर सवाल उठा रही है।

कौन थे नागा भंडारी? पहले भाई की भी हुई थी हत्या

नागा भंडारी मारुडबाका गांव में उचित मूल्य की दुकान चलाते थे और स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थे। ग्रामीणों के मुताबिक, वे सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते रहते थे।
जानकारी के मुताबिक, करीब 6 महीने पहले नक्सलियों ने नागा के छोटे भाई तिरुपति भंडारी की भी हत्या की थी। कांग्रेस उसूर ब्लॉक के महामंत्री और पूर्व उपसरपंच थे।
उस समय भी यह कहा गया था कि पारिवारिक रंजिश और संगठनात्मक भूमिकाओं को लेकर टारगेट किया गया। अब नागा की हत्या ने यह सवाल फिर खड़ा कर दिया है कि क्या यह दोहरी हत्या किसी पुराने विवाद की कड़ी है?

पुलिस की जांच जारी, अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी

घटना की जानकारी मिलने पर उसूर थाना पुलिस मौके पर पहुंची थी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और पंचनामा कार्रवाई की गई। हालांकि अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का भी यही कहना है कि हत्या किसने की, यह साफ नहीं हो पाया है और सभी पहलुओं से जांच जारी है।

बीजापुर जैसे अति-संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिले में इस तरह की हत्याएं अक्सर माओवादी वारदात मान ली जाती हैं, लेकिन अब कांग्रेस ने इस घटना में नया मोड़ ला दिया है।

कांग्रेस ने इसलिए जताया संदेह?
  • घटना देर रात गांव के अंदर हुई, जहां किसी को आना-जाना आसानी से नोटिस किया जा सकता है।
  • नागा भंडारी PDS दुकान के संचालक थे, जिससे स्थानीय विवाद या प्रतिस्पर्धा की भी आशंका हो सकती है।
    पहले से परिवार को टारगेट किया गया था, ऐसे में यह भी जांच का विषय हो सकता है कि दोनों हत्याएं किसी खास उद्देश्य से की गईं।
  • दीपक बैज (Deepak Baij) का यह कहना कि “हमें पूरी तरह से शंका है”, दर्शाता है कि पार्टी स्तर पर भी इसे राजनीतिक साजिश की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है।
क्या कहता है प्रशासन?

स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस फिलहाल गांव के लोगों से पूछताछ कर रही है और पुराने विवादों की भी छानबीन की जा रही है।

 

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