रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच अब तेज होती दिख रही है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) संजय मिश्रा, उनके भाई मनीष मिश्रा और आरोपी अभिषेक सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। तीनों को 5 दिन की रिमांड पर भेजा गया है।

इस घोटाले की परतें खुलते जा रही हैं, और अब ईडी व EOW की जांच में नया मोड़ तब आया जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को ईडी ने हिरासत में लिया। मामले में आरोप है कि बघेल परिवार तक घोटाले की रकम का बड़ा हिस्सा पहुंचाया गया।

कौन हैं गिरफ्तार आरोपी?

  • संजय मिश्रा: पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट।

  • मनीष मिश्रा: संजय का भाई, दोनों ने मिलकर ‘नेक्स्टजेन पावर कंपनी’ बनाई।

  • अभिषेक सिंह: आबकारी घोटाले के प्रमुख आरोपी अरविंद सिंह का भतीजा।

EOW का कहना है कि इन आरोपियों के पास करोड़ों की हेराफेरी से जुड़े कागजात व डिजिटल सबूत हैं। पूछताछ के लिए इन्हें 26 जुलाई तक रिमांड पर रखा जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी

ईडी ने 18 जुलाई को भूपेश बघेल के रायपुर स्थित आवास पर छापा मारा और उसके बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने शराब घोटाले से प्राप्त रकम को रियल एस्टेट में इन्वेस्ट किया और उसे वैध दिखाने की कोशिश की।

ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चैतन्य बघेल ने विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी निवेश की। इस रकम को वैध बनाने के लिए दस्तावेजों में खर्च 7.14 करोड़ रुपए दर्शाया गया, जबकि 4.2 करोड़ कैश में भुगतान किया गया था — जो रिकार्ड में दर्ज नहीं है।

1000 करोड़ से ज्यादा की ब्लैक मनी हैंडलिंग का आरोप

शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ ‘पप्पू बंसल’ ने ईडी को दिए बयान में दावा किया है कि उसने और चैतन्य बघेल ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ब्लैक मनी को मैनेज किया। यह नकदी अनवर ढेबर से लेकर दीपेन चावड़ा, फिर रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंची। बंसल के अनुसार, इस रकम में से 100 करोड़ रुपए नकद केके श्रीवास्तव को चैतन्य बघेल के कहने पर दिए गए।

फर्जी फ्लैट डील्स और कंपनियों के जरिए हेराफेरी

ईडी ने खुलासा किया है कि त्रिलोक ढिल्लो नाम के बिल्डर ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 19 फ्लैट खरीदे, जिनके भुगतान खुद ढिल्लो ने किए। यह लेन-देन एक ही दिन, 19 अक्टूबर 2020 को किया गया — जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूर्व नियोजित मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम थी।

एक अन्य केस में एक ज्वेलर ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ कैश लोन दिया, जिसे बाद में 80 लाख की प्लॉट डील से “लीगल” किया गया।

फ्रंट कंपनियों और डिजिटल सबूत

ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल ने 16.70 करोड़ रुपए की अवैध कमाई को फ्रंट कंपनियों, जैसे ढिल्लो ड्रिंक्स और सिटी मॉल अकाउंट्स के जरिए छिपाया। पैसे का रूट घुमाकर आखिर में बघेल डेवलपर्स तक पहुंचाया गया।

क्या है पूरा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में हुए 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले में ईडी ने एसीबी (ACB) के आधार पर FIR दर्ज की है। जांच में सामने आया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग के अधिकारियों, IAS अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर के बीच मिलीभगत थी।

  • शराब की थोक खरीद और रिटेल बिक्री में अवैध कमीशन वसूली होती थी।

  • नकली ब्रांड, घटिया गुणवत्ता और फर्जी बिलों के जरिए बड़ा घोटाला अंजाम दिया गया।

  • इस सिंडिकेट में अफसर, कारोबारी और राजनीतिक परिवार शामिल रहे।

साव का आरोप: लखमा को बनाया बलि का बकरा

राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि “कांग्रेस ने खुद के बचाव में कवासी लखमा को बलि का बकरा बना दिया है।” उनका आरोप है कि कांग्रेस ने पूरी व्यवस्था को भ्रष्टाचार से चलाया और जब पर्दाफाश हुआ तो छोटे नेताओं को आगे कर दिया।

राजनीतिक सरगर्मी तेज

भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है। वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी मिसाल बताकर मुद्दा बना रही है।

आगे क्या?

  • चैतन्य बघेल को 22 जुलाई को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा।

  • EOW और ईडी अब लेन-देन के डिजिटल साक्ष्य, जमीन डील और नकद लेन-देन की कड़ियाँ जोड़ रही हैं।

  • सूत्रों के अनुसार, जल्द ही कुछ और नाम भी गिरफ्त में आ सकते हैं।

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