पेंड्रा (छत्तीसगढ़) | छत्तीसगढ़ के छोटे से कस्बे पेंड्रा से निकलकर राजशेखर पैरी अब जल्द ही अंतरिक्ष की यात्रा पर निकलेंगे। उन्हें यह सुनहरा अवसर एक निजी अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी ‘टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज’ द्वारा अपने पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने पर मिला है। खास बात यह है कि राजशेखर ने 19 साल की उम्र में NASA को एक ईमेल किया था — जिसके जवाब ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।

NASA को भेजा ईमेल, 4 दिन में आया जवाब

राजशेखर बताते हैं,

“मैंने 19 साल की उम्र में NASA को एक ईमेल भेजा था, यह जानने के लिए कि एस्ट्रोनॉट बनने की प्रक्रिया क्या होती है। उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन 4 दिन में रिप्लाई आया।”

इस मेल में NASA ने उन्हें एस्ट्रोनॉट बनने की पूरी प्रक्रिया, योग्यताएं, ट्रेनिंग और रिस्क फैक्टर्स समझाए। साथ ही, उनके अंतरिक्ष के प्रति जुनून की सराहना भी की। यही जवाब राजशेखर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज मिशन में क्या करेंगे राजशेखर?

राजशेखर को कंपनी ने R&D एस्ट्रोनॉट (Research & Development Astronaut) के रूप में चुना है। वे एक सब-ऑर्बिटल मिशन का हिस्सा होंगे, जो 5 घंटे तक चलेगा।
इस दौरान अंतरिक्ष में किए जाने वाले प्रयोगों का अवलोकन और परीक्षण किया जाएगा।

वर्तमान में वे यूके में 4 साल की ट्रेनिंग ले रहे हैं। अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक चलता है, तो वे 2029 की शुरुआत में स्पेस मिशन पर रवाना हो सकते हैं

राजशेखर की शिक्षा और अब तक का सफर

  • प्रारंभिक शिक्षा: बिलासपुर और पेंड्रा (ऑक्सफोर्ड स्कूल)

  • इंजीनियरिंग: मैकेनिकल इंजीनियरिंग (हैदराबाद), फिर उच्च शिक्षा के लिए UK

  • विशेषज्ञता: एयरोस्पेस प्रपल्शन

  • इंटर्नशिप: कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनामिक्स

  • वर्तमान भूमिका: प्रोजेक्ट मैनेजर (Orbitalocker)

राजशेखर ने पोलैंड में एनालॉग स्पेस ट्रेनिंग भी पूरी की है, जहां उन्हें अंतरिक्ष जैसे वातावरण में रहने और काम करने का अभ्यास कराया गया।

बचपन से था साइंस का जुनून

राजशेखर ने बताया कि उन्हें बचपन से ही साइंस और खासतौर पर फिजिक्स में गहरी रुचि थी।

“2008 में जब मैंने बिलासपुर के व्यापार मेले में साइंस मॉडल प्रतियोगिता में भाग लिया था और दूसरा स्थान पाया था, तभी से आत्मविश्वास आया कि मैं कुछ कर सकता हूँ।”

एक दिलचस्प किस्सा भी उन्होंने साझा किया —

“जब मैं 11वीं में था, तब एक रात हॉस्टल से लौटते हुए मैंने चमकती चीज़ को तारा समझा। मेरे फिजिक्स लेक्चरर ने कहा — ‘ध्यान से देखो, वो तारा नहीं सैटेलाइट है’। वहीं से तय हो गया कि मुझे इस दिशा में ही जाना है।”

अंतरिक्ष में रिसर्च की ज़िम्मेदारी

राजशेखर की भूमिका मिशन में नई तकनीकों और प्रयोगों के परीक्षण से जुड़ी होगी।

“हमें यह तय करना होगा कि अंतरिक्ष में कौन-से प्रयोग किए जा सकते हैं, और वे धरती पर कैसे लागू होंगे।”

उनका मिशन इंजीनियरिंग, इनोवेशन और रिसर्च के त्रिकोण पर आधारित है।

परिवार का क्या था रिएक्शन?

राजशेखर बताते हैं कि उनका परिवार शुरुआत से उनके सपनों से वाकिफ था।

“मां-बाप को थोड़ी चिंता जरूर थी, लेकिन जब मैंने उन्हें ट्रेनिंग और सुरक्षा प्रक्रिया समझाई तो उन्होंने पूरा साथ दिया।”

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