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भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक संगठित पाकिस्तानी (Network ) जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर देश की सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे को टाल दिया है। अब तक राजस्थान, पंजाब और दिल्ली से कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जो कथित रूप से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रहे थे।

ऑपरेशन की पृष्ठभूमि:

सूत्रों के मुताबिक, इस नेटवर्क(Network ) की पहचान पिछले कुछ महीनों से सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की जा रही थी। एजेंसियों को लगातार खुफिया इनपुट मिल रहे थे कि कुछ संदिग्ध लोग सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियाँ पाकिस्तानी एजेंटों को भेज रहे हैं।

एक संयोजित अभियान के तहत तीनों राज्यों में एक साथ छापेमारी की गई। इस दौरान संदिग्धों के घरों और कार्यस्थलों की तलाशी ली गई, जिसमें कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़, मोबाइल फोन, लैपटॉप, सैन्य नक्शे और गोपनीय दस्तावेज़ जब्त किए गए।

जासूसी का तरीका:

  • जांच में सामने आया है कि आरोपियों को ISI एजेंटों द्वारा सोशल मीडिया के ज़रिए संपर्क किया गया,
  • विशेष रूप से फर्जी महिला प्रोफाइल का उपयोग करके सतर्क किया।
  • हनीट्रैप और साइबर ब्लैकमेलिंग के ज़रिए उन्हें अपने जाल में फंसाया गया।
  • इसके बाद उन्हें पैसों या अन्य लाभों का लालच देकर संवेदनशील जानकारी हासिल की जाती थी।
  • कुछ आरोपियों ने सरकारी पदों या सेना के साथ ठेकेदारी जैसे माध्यमों से गोपनीय सूचनाओं तक पहुँच बनाई थी।

गिरफ्तारी में शामिल राज्य और नाम:

  • राजस्थान: जैसलमेर और बीकानेर से कुल 5 गिरफ्तारियाँ, जिनमें दो लोग सेना से अनुबंधित ठेकेदार हैं।
  • पंजाब: अमृतसर और पठानकोट में छापेमारी के दौरान 4 लोगों को पकड़ा गया, जिनके पाकिस्तान में संपर्क की पुष्टि हुई है।
  • दिल्ली: 3 गिरफ्तारियाँ, जिनमें एक केंद्रीय कार्यालय का संविदा कर्मचारी है।

सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया:

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), मिलिट्री इंटेलिजेंस और राज्य पुलिस बलों ने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। गृह मंत्रालय ने इसे एक “रणनीतिक जीत” करार देते हुए एजेंसियों की सराहना की है।

देशव्यापी सतर्कता:

इस खुलासे के बाद सभी सैन्य और रणनीतिक संस्थानों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सभी विभागों से कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच (Background Verification) और साइबर सुरक्षा को सख्त करने को कहा गया है।

विशेषज्ञों की राय:

रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला बताता है कि भारत के खिलाफ “हाइब्रिड वॉरफेयर” चल रहा है, जिसमें जासूसी, साइबर अटैक और सोशल इंजीनियरिंग जैसे हथकंडों का प्रयोग हो रहा है।

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