इज़ाइल-ईरान युद्ध 2025 (ISRAEL-IRAN WAR 2025) मध्य पूर्व की भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। दोनों पक्षों की जिद और क्षेत्रीय शक्तियों की संभावित भागीदारी ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। विश्व समुदाय इस स्थिति पर नजर रखे हुए है, और कूटनीति के माध्यम से डी-एस्केलेशन की उम्मीद कर रहा है। अगले कुछ दिन यह निर्धारित करेंगे कि यह युद्ध क्षेत्रीय स्तर पर सीमित रहेगा या वैश्विक युद्ध का रूप लेगा।

PIONEER DIGITAL DESK

इजाइल और ईरान के बीच शुरू हुआ युदध खतरनाक मोड लेता जाहैै, एक ओर इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” शुरू करके ईरान के प्रमुख अली ख़ामेनेई की हत्‍या के दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर कर खलबली मचा दी है। इजराइल के साथ योरोप के ताकतवर देश समर्थन में आ गए हैं तो ईरान मुस्लिम देेशों के बीच अपना समर्थन जुटाने  में जुट गया है। G7 नेताओं ने इस युद्ध को तीसरे विश्व युद्ध की संभावना के रूप में देखा, और संयुक्त राष्ट्र ने इसे क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बताया। अमेरिका ने इज़ाइल का समर्थन किया है, लेकिन ट्रंप ने ईरान के शीर्ष नेता को निशाना बनाने की योजना को खारिज कर दिया है। गौरतलब हैै कि समय रहते इस युदध को आगे बढने से नहीं रोका गया तो  यह पूरी दुनिया के लिए खतरा हैै।  एक तरफ बडी तबाही होगी तो वही पुरी दुुनिया में आर्थिक स्थिति को भी भारी  नुकसान पहुंचनेे की संभावना है। 

 मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जब 13 जून 2025 को इज़ाइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू किए। इस हमले, जिसे “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया गया,   इस ऑपरेशन के तहत इजरायल ने 200 से अधिक फाइटर जेट्स के जरिए ईरान के 100 से ज़्यादा ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें ज्यादातर ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकाने शामिल थे। इसके जवाब में ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ शुरू किया, जिसके तहत इजरायल के कई प्रमुख शहरों पर ताबड़तोड़ हमले किए गए. हालात ऐसा इशारा कर रहे हैं। 

क्‍या दुनिया एक बड़े जंग के करीब ?

इजरायल और ईरान के बीच चल रही यह जंग सिर्फ भू-राजनीतिक तनाव नहीं है, बल्कि कहीं न कहीं यह धर्म और वर्चस्व की लड़ाई भी बनती जा रही है. दोनों ही देश अपने-अपने धार्मिक प्रतीकों और मान्यताओं का सहारा लेकर इस संघर्ष को वैचारिक आधार देने की कोशिश कर रहे हैं।  इजरायल खुद को यहूदियों की पवित्र भूमि बताता है और येरुशलम जैसे धार्मिक शहर पर अपने हक की बात करता है।  वहीं, ईरान खुद को मुस्लिम दुनिया का अगुवा मानते हुए, इस्लामिक मान्यताओं और एकता का हवाला देकर मुस्लिम देशों को इजरायल के खिलाफ लामबंद करने की कोशिश करता है। अब इसका असर दोनों देशों के सैन्य अभियानों के नामों पर भी साफ दिखाई देता है. आइये समझते हैं इसके मायने क्या हैं। ‘

ट्रू प्रॉमिस’ के क्या है मायने 

‘ट्रू प्रॉमिस’ (सच्चा वादा) नाम इस्लामी परंपरा से लिया गया है. इस्लामी धर्मशास्त्र में ‘सच्चा वादा’ का संबंध कयामत के दिन से है,यानी वह दिन जब ईश्वर सभी इंसानों से उनके कर्मों के आधार पर हिसाब लेगा। इसे अंतिम न्याय का दिन भी कहा जाता है. ईरान ने इस नाम का इस्तेमाल अपनी सैन्य कार्रवाइयों के लिए किया है, जो उसके नजरिये में न्याय और प्रतिशोध का प्रतीक है। 

ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ क्या है?

यह इजरायल के खिलाफ ईरान की तीसरी प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई है, जो ‘ट्रू प्रॉमिस 1’ और ‘ट्रू प्रॉमिस 2’ के बाद शुरू किया गया है। पिछले अभियान अप्रैल 2024 और अक्टूबर 2024 में हुए थे। इसका मुख्य लक्ष्य इजरायल के सैन्य और खुफिया ठिकानों पर हमला करना  था। 

‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ का अर्थ

  ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम बाइबल की एक आयत से लिया गया है.इस आयत में कहा गया है कि देखो, लोग एक बड़े शेर की तरह उठेंगे, और एक जवान शेर की तरह खुद को ऊंचा उठाएंगे। वह तब तक नहीं सोएगा जब तक वह अपने शिकार को न खा ले और मारे गए लोगों का खून न पी ले। ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ एक भविष्यवाणी से जुड़ा हुआ है। इसमें इस्राएल की ताकत और शक्ति की तुलना ऐसे शेर से की गई है, जो तब तक आराम नहीं करता जब तक अपनी भूख नहीं मिटा ले। 

युद्ध की शुरुआत और प्रभाव

13 जून 2025 की सुबह, इज़ाइल रक्षा बलों (IDF) और मोसाद ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर हमला किया। इनमें नातान्ज़, खोंदाब, और खोरमाबाद में परमाणु सुविधाएं शामिल थीं। हमले में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर होसैन सलामी, ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, और परमाणु वैज्ञानिक फेरेहदून अब्बासी और मोहम्मद मेहदी तहरांची मारे गए। इसके अलावा, 20 बच्चों सहित कई नागरिकों की भी मौत हुई। ईरान ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की, जिसमें 15 जून 2025 को तेल अवीव और हाइफा पर मिसाइल हमले किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 8 इज़ाइली मारे गए और 130 से अधिक घायल हुए।  ईरान के हमलों ने इज़ाइल के बुनियादी ढांचे और आवासीय क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचाया।

वैश्विक प्रतिक्रिया और चिंताएं

वैश्विक समुदाय ने इस युद्ध पर गहरी चिंता व्यक्त की है। G7 शिखर सम्मेलन में, विश्व नेताओं ने हिंसा की निंदा की और तत्काल डी-एस्केलेशन की मांग की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि यदि वह अमेरिकी हितों पर हमला करता है, तो “अमेरिका जबरदस्त बल के साथ जवाब देगा  हालांकि, ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता को निशाना बनाने की योजना को खारिज कर दिया, जिससे कुछ राहत मिली।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने मध्य पूर्व में स्थिरता पर जोर दिया, और कहा- 

“अब संयम, शांति और कूटनीति की वापसी का समय है।

 

 

एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से

पोप लियो XIV

अधिकतम संयम” बरतने की अपील की, जबकि पोप लियो XIV ने “ईमानदार संवाद” की मांग की। 

 युद्ध का विस्तार और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका

ईरान ने धमकी दी है कि यदि अमेरिका, ब्रिटेन, या फ्रांस ने इज़ाइल की सहायता की, तो वह उनके क्षेत्रीय सैन्य ठिकानों पर हमला करेगा। अभी तक ईरान के क्षेत्रीय सहयोगी, जैसे लेबनान में हिज़बुल्लाह और गाजा में हमास, इस युद्ध में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी संभावित भागीदारी एक बड़ी चिंता है। इज़ाइल ने ईरान की तेल रिफाइनरियों और ऊर्जा सुविधाओं को निशाना बनाया, जिससे वैश्विक तेल की कीमतों में उछाल आया है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है, क्योंकि तेल की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों की राय

विश्लेषकों का कहना है कि यदि अमेरिका और रूस जैसे सुपरपावर इस युद्ध में शामिल हो जाते हैं, तो यह तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकता है दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि दोनों पक्षों के पास सीमित संसाधन और क्षेत्रीय दबाव इसे व्यापक युद्ध में बदलने से रोक सकते हैं। सैन्य और राजनीतिक विश्लेषकों में इस युद्ध के भविष्य को लेकर मतभेद हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह युद्ध क्षेत्रीय स्तर तक सीमित रहेगा, जैसा कि 1980 के ईरान-इराक युद्ध में हुआ था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा पारंपरिक युद्ध था। हालांकि, परमाणु क्षमताओं और जटिल वैश्विक गठबंधनों की मौजूदगी इस युद्ध को और खतरनाक बनाती है। कुछ 

 वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

वर्तमान में, इज़ाइल और ईरान दोनों ने अपनी सैन्य कार्रवाइयों को जारी रखने की कसम खाई है। इज़ाइल ने कहा है कि उसके हमले “आने वाले समय में और बड़े होंगे,” जबकि ईरान ने “निर्णायक जवाब” देने की धमकी दी है। कूटनीतिक प्रयास चल रहे हैं, लेकिन इनके परिणाम अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।

  मानवीय और आर्थिक प्रभाव

इस युद्ध ने दोनों देशों में सैकड़ों लोगों की जान ली है और हजारों को विस्थापित किया है। ईरान में 240 से अधिक लोग मारे गए, जबकि इज़ाइल में 8 लोगों की मौत और 130 से अधिक घायल हुए। तेल की कीमतों में वृद्धि ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, और यदि यह युद्ध लंबा खिंचता है, तो यह मानवीय संकट को और गहरा सकता है।

ईरान-इजरायल युद्ध 2025: इजरायली हमले में मारे गए 7 प्रमुख ईरानी जनरल

  1. जनरल मोहम्मद रेजा ज़ाहेदी – IRGC क़ुद्स फोर्स के वरिष्ठ कमांडर, सीरिया में इजरायली एयरस्ट्राइक में मारे गए।

  2. जनरल इस्माइल क़ानी – IRGC क़ुद्स फोर्स के प्रमुख, तेहरान में ड्रोन हमले में शहीद।

  3. जनरल हुसैन सलामी – IRGC के कमांडर-इन-चीफ, इजरायल के साइबर-मिसाइल संयुक्त हमले में ईरानी कमांड सेंटर ध्वस्त होने से मृत्यु।

  4. जनरल अब्दुल रहीम मूसवी – ईरानी परमाणु प्रोग्राम के सुरक्षा प्रमुख, नतनज़ सुविधा पर हमले में निशाना बने।

  5. जनरल अली फदवी – IRGC एयरफोर्स कमांडर, ईरानी ड्रोन बेस पर हवाई हमले में मारे गए।

  6. जनरल अहमद वहीदी – ईरान के पूर्व रक्षा मंत्री, कार में बम विस्फोट में हत्या।

  7. जनरल सईद अली अग़ाज़री – हिज़्बुल्लाह-ईरान समन्वयक, लेबनान-सीरिया बॉर्डर पर इजरायली स्पेशल फोर्सेज द्वारा टार्गेटेड ऑपरेशन।

Share.

Owner & Editor: Sujeet Kumar

Registered Office:
B-87 A, Gayatri Nagar, Shankar Nagar,
Near Jagannath Mandir,
Raipur, Chhattisgarh – 492004

Contact Details:
Email: rivalsmedia2025@gmail.com
Mobile: +91-6260039085

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  

© 2025 Pioneer Digital Online. Designed by Nimble Technology.

Exit mobile version