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विशाखापट्टनम- दुनियाभर में शनिवार, 21 जून को 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। भारत में इस वर्ष का मुख्य आयोजन विशाखापट्टनम में हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 3 लाख लोगों और 40 देशों के राजनयिकों के साथ सामूहिक योग किया। यह आयोजन न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बना।

इस वर्ष योग दिवस की थीम थी: “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग”, जो पर्यावरणीय संतुलन और मानव स्वास्थ्य की एकता पर ज़ोर देती है।

PM Modi का संबोधन: योग सभी का है, सभी के लिए है

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने योग के वैश्विक महत्व और इसकी वर्तमान भूमिका पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा:

योग का मतलब होता है – जोड़ना। आज यह देखना सुखद है कि कैसे योग ने दुनिया को जोड़ा है।

PM Modi ने कहा कि आज जब दुनिया में तनाव, हिंसा, युद्ध और अस्थिरता का माहौल बढ़ रहा है, तब योग उस “पॉज बटन” की तरह काम करता है, जिसकी इंसानियत को सख्त ज़रूरत है। यह हमें रुकने, सोचने, सांस लेने और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

योग अब आम लोगों की जीवनशैली का हिस्सा

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज योग करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि—

  • ब्रेल लिपि में योग ग्रंथों को दिव्यांग लोग पढ़ रहे हैं।

  • वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग कर रहे हैं।

  • ग्रामीण क्षेत्रों के युवा ‘योग ओलंपियाड’ में भाग ले रहे हैं।

  • यहां तक कि नौसेना के जहाजों पर भी योगाभ्यास हो रहा है।

योग अब एक ग्लोबल प्रैक्टिस है, लेकिन यह भारत की आत्मा का हिस्सा भी है।

‘मी टू वी’ से ‘हील इन इंडिया’ तक: भारत का योग मॉडल

PM मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि योग को केवल व्यक्तिगत अभ्यास (Personal Practice) के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे वैश्विक सहयोग (Global Partnership) के रूप में अपनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा,

“जब किसी लक्ष्य को जनता थाम लेती है, तो वह लक्ष्य खुद-ब-खुद पूरा हो जाता है। यही भावना ‘मी टू वी’ है, जो भारत की आत्मा है।”

PM Modi ने यह भी बताया कि भारत में योग को वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ जोड़ा जा रहा है। दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) ने योग पर आधारित थेरेपी और रिसर्च में अहम योगदान दिया है। इसके चलते “हील इन इंडिया” का विचार दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है, जिससे भारत मेडिकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ आंध्र प्रदेश का नाम

इस भव्य कार्यक्रम के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इतिहास रचा। विशाखापट्टनम में 3 लाख लोगों के साथ सामूहिक योग कार्यक्रम आयोजित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया गया।

इसके अलावा राज्य सरकार ने ‘योग आंध्र’ नाम से एक अभियान शुरू किया है, जिसका लक्ष्य है कि 10 लाख से अधिक लोग प्रतिदिन योग करें। इस मिशन के तहत 50 लाख से अधिक योग प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए।

भारत से लेकर दुनिया तक – हर कोने में गूंजा ‘योग’ का मंत्र

भारत के अलावा, दुनियाभर के 191 देशों में योग दिवस मनाया गया। इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (ICCR) के अनुसार, करीब 1,300 स्थानों पर 2,000 से अधिक योग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

इस वर्ष यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में भारतीय दूतावासों और सांस्कृतिक केंद्रों ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर योग कार्यक्रम किए। कई जगह योग को स्थानीय परंपराओं से जोड़कर प्रस्तुत किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि योग अब सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक मानवता का आंदोलन बन गया है।

योग: एक जीवनशैली, एक समाधान

आधुनिक जीवनशैली में तनाव, अनियमित दिनचर्या, मानसिक अशांति और शारीरिक बीमारियां सामान्य होती जा रही हैं। ऐसे में योग न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि मन को भी शांति देता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि:

  • नियमित योगाभ्यास से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।

  • रक्तचाप, डायबिटीज़, मोटापा जैसी बीमारियों पर नियंत्रण संभव है।

  • ध्यान और प्राणायाम से चिंता और अवसाद में राहत मिलती है।

बड़े स्तर पर सरकारी प्रोत्साहन

भारत सरकार ने पिछले एक दशक में योग के प्रचार-प्रसार के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • योग सर्टिफिकेशन बोर्ड की स्थापना

  • योग विश्वविद्यालयों का विकास

  • स्कूलों और कॉलेजों में योग अनिवार्य विषय के रूप में लागू करना

  • योग ओलंपियाड का आयोजन

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग मिशन

योग से जुड़ें, स्वास्थ्य और शांति की ओर बढ़ें

PM मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस न केवल भारत की संस्कृति का वैश्विक विस्तार बना है, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन गया है जहां दुनिया के लोग मिलकर शांति, स्वास्थ्य और सहयोग का संदेश देते हैं।

इस वर्ष योग दिवस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि योग अब एक आंदोलन है – एक ऐसी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक क्रांति, जो दुनिया को जोड़ने में सक्षम है।

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