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नई दिल्ली | कांग्रेस (Congress) नेता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर सीधा हमला बोलते हुए भारत की विदेश नीति और खुफिया रणनीति पर सवाल उठाए। खेड़ा ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1977-79 के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया-उल-हक को फोन पर भारत की खुफिया एजेंसी RAW से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दे दी थी, जिससे भारतीय एजेंटों की जान पर बन आई।
“एक फोन कॉल से खत्म हुई RAW की दशक भर की मेहनत”
पवन खेड़ा ने कहा:
“मोरारजी देसाई ने जिया-उल-हक से फोन पर कहा कि हमें पता है तुम्हारे कहूटा में न्यूक्लियर तैयारियां चल रही हैं। यह जानकारी RAW ने दी थी। इस एक कॉल के बाद पाकिस्तान में हमारे कई खुफिया एजेंट या तो गायब हो गए या मारे गए। दशकों की मेहनत एक पल में बर्बाद हो गई।”
उन्होंने कहा कि यह कोई “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” की कहानी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से दर्ज सच है।
जयशंकर को बताया ‘मोरारजी देसाई 2.0’
खेड़ा ने सीधे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर पर निशाना साधते हुए कहा:
“विदेश मंत्रालय आज उसी सोच के साथ काम कर रहा है, जो कभी मोरारजी देसाई की थी। उस सोच में देश की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं होता — सिवाय ‘छवि की राजनीति’ के।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार राष्ट्रीय हितों की कीमत पर अंतरराष्ट्रीय दबावों के आगे झुकती रही है।
“हम युद्ध जीत रहे थे, लेकिन अमेरिका के दबाव में आ गया सीजफायर”
खेड़ा ने हाल की एक घटना की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब भारतीय सैनिक पाकिस्तान पर भारी पड़ रहे थे, तो अचानक अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीजफायर की बात की और भारत ने चुप्पी साध ली।
“हमारे जवान सीमा पर पराक्रम दिखा रहे थे, देश का जोश चरम पर था। टीवी चैनल दिखा रहे थे कि इस्लामाबाद कब्जे में है, कराची पर हमला हुआ है — लेकिन तभी डोनाल्ड ट्रम्प आते हैं और सब रुक जाता है। क्या ये सौदेबाज़ी थी?”
“सिंदूर से सौदा मंजूर नहीं”
अपनी बात को खत्म करते हुए खेड़ा ने एक भावनात्मक और राजनीतिक रूप से तीखा संदेश दिया:
“सिंदूर से सौदा मंजूर नहीं है। देश से गद्दारी मंजूर नहीं है। देशभक्ति सिर्फ टीवी डिबेट में नहीं, नीति और नीयत में होनी चाहिए।”
राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाओं का इंतजार
कांग्रेस के इस तीखे हमले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। अभी तक सरकार या भाजपा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह बयान आगामी दिनों में सियासी घमासान को और तेज कर सकता है।