pioneer digital desk । रुमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) एक क्रॉनिक (दीर्घकालिक) स्व-प्रतिरक्षात्मक (autoimmune) बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों की झिल्ली पर हमला करती है। यह स्थिति जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और अंततः विकृति का कारण बन सकती है।

RA का असर केवल हड्डियों तक सीमित नहीं रहता—यह त्वचा, आंखें, फेफड़े, दिल और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक देखी जाती है, और अक्सर 30 से 50 साल की उम्र में शुरू होती है।

1980 के बाद वृद्धि: क्या कहता है शोध?

पिछले चार दशकों में, रुमेटॉइड आर्थराइटिस की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 1980 के दशक से पहले यह बीमारी अपेक्षाकृत दुर्लभ मानी जाती थी, लेकिन आधुनिक जीवनशैली, बदलते खानपान, प्रदूषण और विशेष रूप से धूम्रपान और उम्र जैसे कारकों ने इसके प्रचलन को कई गुना बढ़ा दिया है।

हालिया अध्ययनों में पाया गया है कि RA के नए मामलों की दर 1985 के बाद से लगभग 40% तक बढ़ी है। इस वृद्धि के पीछे प्रमुख कारणों में बढ़ती जीवन प्रत्याशा, बढ़ता मोटापा, और धूम्रपान की आदतें हैं।

उम्र का असर: उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जोखिम

बढ़ती उम्र को Rheumatoid arthritis के लिए एक स्वाभाविक जोखिम कारक माना जाता है। जैसे-जैसे शरीर बूढ़ा होता है, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर और भ्रमित हो सकती है, जिससे ऑटोइम्यून रोगों की संभावना बढ़ जाती है।

हाल के शोध बताते हैं कि:

  • 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में RA का प्रकोप लगभग दोगुना होता है।

  • वृद्ध लोगों में यह बीमारी अक्सर ज्यादा जटिल और तेजी से प्रगति करने वाली होती है।

  • कई मामलों में, 65 की उम्र पार करते ही मरीजों को दिल, फेफड़े और गुर्दों से जुड़ी RA की जटिलताएं भी होने लगती हैं।

इसका अर्थ यह है कि भारत जैसे देशों में, जहां वृद्ध जनसंख्या का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है, RA एक उभरता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है।

धूम्रपान: सबसे बड़ा बाहरी जोखिम कारक

Rheumatoid arthritis के लिए सबसे अधिक शोधित और पुष्टि किया गया जोखिम कारक धूम्रपान है। धूम्रपान शरीर में सूजन पैदा करने वाले केमिकल्स को बढ़ाता है, और फेफड़ों में ऐसे प्रोटीन उत्पन्न करता है जो बाद में प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा विदेशी समझे जाते हैं।

प्रमुख अध्ययन दर्शाते हैं:

  • धूम्रपान करने वालों में RA का जोखिम 70% तक बढ़ जाता है।

  • जो लोग 20 साल से अधिक समय तक धूम्रपान करते हैं, उनमें RF (rheumatoid factor) पॉज़िटिव RA होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

  • धूम्रपान छोड़ने के 15 साल बाद भी जोखिम पूरी तरह से समाप्त नहीं होता।

एक मेडिकल जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार,

“धूम्रपान छोड़ना रुमेटॉइड आर्थराइटिस से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। लेकिन इसे जितनी जल्दी छोड़ा जाए, असर उतना ही ज्यादा होता है।”

धूम्रपान और RA की बायोलॉजिकल कड़ी

शोधकर्ताओं के अनुसार, धूम्रपान करने से फेफड़ों में citrullinated proteins बनते हैं, जो ACPA (Anti-Citrullinated Protein Antibodies) का निर्माण कराते हैं। ये ACPA, RA के सबसे सटीक जैविक संकेतकों में से एक हैं।

धूम्रपान के कारण:

  • फेफड़ों में स्थायी सूजन होती है,

  • स्वप्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रिया तेज होती है,

  • और RA की प्रारंभिक और आक्रामक अवस्था उत्पन्न हो सकती है।

अनुवांशिकता और पर्यावरण: दोहरी मार

अगर किसी के परिवार में RA की पृष्ठभूमि हो और वह व्यक्ति धूम्रपान भी करता हो, तो उसके RA से ग्रस्त होने की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है। यानी, genetic susceptibility और environmental exposure का सम्मिलन इस बीमारी को अधिक खतरनाक बना देता है।

इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति RA के लिए अनुवांशिक रूप से संवेदनशील है और साथ ही धूम्रपान भी करता है, तो उसके लिए यह बीमारी और भी गंभीर रूप ले सकती है।

भारत और दुनिया में स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार:

  • पूरी दुनिया में RA से ग्रस्त लोगों की संख्या लगभग 1 करोड़ से अधिक है।

  • भारत में अनुमानतः 50 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।

  • शहरी महिलाओं में यह बीमारी अधिक तीव्रता से पाई जा रही है।

यह देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में धूम्रपान का चलन अधिक होने के बावजूद RA की पहचान कम हो पाती है—जिसका कारण साक्षरता की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता और समय पर निदान न होना है।

RA से होने वाले अन्य जोखिम

RA सिर्फ जोड़ों की बीमारी नहीं है। समय पर इलाज न होने पर यह बीमारी:

  • हृदय रोग (Heart Attack, Stroke)

  • फेफड़ों की बीमारियां (RA-associated Interstitial Lung Disease)

  • मानसिक समस्याएं (Depression, Anxiety)

  • ऑस्टियोपोरोसिस और विकलांगता

जैसे जटिलताओं को जन्म देती है।

क्या किया जा सकता है? – रोकथाम और उपचार

रुमेटॉइड आर्थराइटिस से बचाव के लिए सबसे जरूरी है धूम्रपान से परहेज, क्योंकि यह बीमारी की शुरुआत और गंभीरता दोनों को बढ़ाता है। इसके साथ वजन नियंत्रण, नियमित व्यायाम, और संतुलित आहार अपनाना चाहिए। अगर जोड़ों में दर्द, सूजन या अकड़न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

चिकित्सा स्तर पर समय पर पहचान और इलाज बहुत जरूरी है। डॉक्टर आमतौर पर DMARDs और Biologics जैसी दवाओं का उपयोग करते हैं, जो बीमारी की प्रगति को रोकने में मदद करती हैं। इसके अलावा, सूजन-रोधी आहार और फिजियोथेरेपी भी दर्द और जकड़न को कम करने में सहायक होती हैं।

सही समय पर कदम उठाकर इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

सरकारी नीतियों की ज़रूरत

भारत जैसे देश में जहां RA की पहचान कम होती है, वहां सरकार को चाहिए:

  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में RA जागरूकता अभियान चलाना।

  • धूम्रपान विरोधी नीतियों को RA से भी जोड़ना

  • Primary Health Centers में RA जांच की सुविधा उपलब्ध कराना।

  • RA से जुड़ी विकलांगता को पहचान कर सामाजिक सुरक्षा देना।

बीमारी नहीं, चेतावनी है रुमेटॉइड आर्थराइटिस

रुमेटॉइड आर्थराइटिस केवल एक रोग नहीं, यह एक संकेत है कि हमारी जीवनशैली, हमारी आदतें और हमारी उम्र—तीनों मिलकर शरीर में विद्रोह शुरू कर सकती हैं। यदि समय रहते हम धूम्रपान को त्यागें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, और आरंभिक लक्षणों को गंभीरता से लें, तो RA जैसी जटिल बीमारियों को भी काबू में लाया जा सकता है।

“जोड़ों का दर्द सिर्फ उम्र का हिस्सा नहीं—यह चेतावनी है, जिसे समझना ज़रूरी है।”

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