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नई दिल्ली, 13 जून 2025 – अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के बाद भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने बड़ा फैसला लिया है। अब एयर इंडिया के बेड़े में शामिल सभी Boeing 787 Dreamliner विमानों की उड़ान से पहले विशेष सुरक्षा जांच अनिवार्य कर दी गई है। यह आदेश 15 जून 2025 की मध्यरात्रि से लागू होगा।

DGCA ने यह कदम AI171 फ्लाइट दुर्घटना के बाद उठाया है, जिसमें विमान के क्रैश होने से 265 लोगों की जान चली गई थी।

 कौन-कौन से चेक होंगे जरूरी?

DGCA ने Dreamliner विमानों की उड़ान से पहले जिन बिंदुओं की जांच अनिवार्य की है, उनमें शामिल हैं:

  • फ्यूल पैरामीटर मॉनिटरिंग

  • कैबिन एयर कंप्रेसर सिस्टम की जांच

  • इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल टेस्ट

  • इंजन फ्यूल एक्टुएटर की कार्यप्रणाली

  • ऑयल सिस्टम और हाइड्रोलिक सिस्टम का परीक्षण

  • टेकऑफ पैरामीटर्स की समुचित समीक्षा

साथ ही, DGCA ने यह भी निर्देश दिए हैं कि ‘फ्लाइट कंट्रोल इंस्पेक्शन’ को ट्रांजिट जांच में जोड़ा जाए और यह प्रक्रिया अगले आदेश तक जारी रखी जाए।

दो हफ्तों में Power Assurance Checks अनिवार्य

DGCA ने यह भी कहा है कि अगले दो सप्ताह के भीतर सभी ड्रीमलाइनर विमानों पर Power Assurance Checks कराए जाएं। इसके साथ ही पिछले 15 दिनों में सामने आए रिपिटिटिव तकनीकी खराबियों (Snags) की समीक्षा की जाए और सभी जरूरी मेंटेनेंस वर्क जल्द से जल्द पूरे किए जाएं।

अहमदाबाद हादसे ने हिला दिया देश

गुरुवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद फ्लाइट AI171 एक घने रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह विमान Boeing 787 Dreamliner मॉडल का था और उसमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे।

यह विमान कुछ घंटे पहले ही दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचा था और लंदन रवाना होने की तैयारी में था। हादसे के वक्त यह रनवे 23 से टेकऑफ के तुरंत बाद हवा में असंतुलित हो गया और तेजी से नीचे गिरकर एक रिहायशी इमारत से टकरा गया। टक्कर के साथ ही विमान में भयानक विस्फोट हुआ, और वह आग के गोले में तब्दील हो गया।

हादसे में विमान में सवार सभी 242 लोगों सहित, उस इमारत में मौजूद 23 नागरिकों की भी मौत हो गई। यह भारत में ड्रीमलाइनर विमान से जुड़ा अब तक का सबसे भयावह हादसा माना जा रहा है।

 DGCA का उद्देश्य: भविष्य के लिए मजबूत सुरक्षा ढांचा

DGCA ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले का मकसद भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकना है। जांच प्रक्रिया को एक बार की अनिवार्य व्यवस्था के रूप में शुरू किया गया है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इसे आगे भी लागू किया जा सकता है।

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