चीन ने पाकिस्तान (Pakistan) में मोहमंद डैम के निर्माण को तेज करने की घोषणा की है, जो एक महत्वपूर्ण हाइड्रोपावर और वाटर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट है। चीन ने यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर बढ़ते तनाव के बीच उठाया है।

पाकिस्तान (Pakistan) में चीन द्वारा बनाया जा रहा यह 700 फीट ऊंचा डैम न केवल तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि इसका आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव भी व्यापक होगा। पानी और बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए यह परियोजना पाकिस्तान के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

पाकिस्तान (Pakistan) में चीन बना रहा दुनिया का पांचवां सबसे ऊंचा डैम

पाकिस्तान (Pakistan) और चीन के बीच बढ़ते बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) सहयोग का एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है। चीन अब पाकिस्तान में एक विशालकाय डैम (बांध) का निर्माण कर रहा है, जिसकी ऊंचाई 700 फीट होगी। यह डैम दुनिया के पांच सबसे ऊंचे डैमों में शामिल होगा और तकनीकी रूप से यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

डैम का निर्माण और स्थान

यह डैम पाकिस्तान(Pakistan) के खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) प्रांत में बनाया जा रहा है। निर्माण कार्य में चीनी इंजीनियरिंग कंपनियां और विशेषज्ञ लगे हुए हैं, जो आधुनिक तकनीक के माध्यम से इस परियोजना को साकार कर रहे हैं। इसका डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि यह भारी मात्रा में पानी संग्रहण और नियंत्रित वितरण कर सके।

पेशावर को पानी की आपूर्ति

डैम का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य पेशावर शहर को रोज़ाना 300 मिलियन गैलन (30 करोड़ गैलन) पानी की सप्लाई करना है। यह पानी न केवल पीने के लिए होगा, बल्कि कृषि, उद्योग और अन्य आवश्यकताओं के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। यह पेशावर और आसपास के इलाकों में पानी की किल्लत को दूर करने में मदद करेगा।

ऊर्जा उत्पादन और सिंचाई

इस डैम से हाइड्रोपावर (जलविद्युत) भी उत्पन्न की जाएगी, जिससे पाकिस्तान की ऊर्जा ज़रूरतों को भी राहत मिलेगी। साथ ही यह सिंचाई के लिए आवश्यक पानी भी उपलब्ध कराएगा, जिससे किसानों को फायदा होगा और कृषि उत्पादन में सुधार होगा।

रणनीतिक और आर्थिक महत्व

यह परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा हो सकती है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करती है। साथ ही, इस डैम से पाकिस्तान को पर्यावरणीय प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और जल संकट जैसे क्षेत्रों में भी मदद मिलेगी।

चुनौतियाँ और पर्यावरणीय असर

हालांकि डैम का निर्माण बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इससे जुड़े पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों पर भी ध्यान देना जरूरी है। स्थानीय लोगों के विस्थापन, वन्यजीवों के आवास पर प्रभाव, और पारिस्थितिकी संतुलन जैसे मुद्दों को संतुलित रूप से सुलझाना परियोजना की सफलता के लिए अहम होगा।

 

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