नई दिल्ली । भारत में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच चुकी है। 4-5 जून को ब्रासीलिया में आयोजित 11वें BRICS संसदीय मंच में भारत सहित दस देशों के सांसदों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कड़ा संदेश दिया। इस मंच पर सभी सदस्य देशों ने इस आतंकी हमले की सख्त निंदा करते हुए आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को मजबूती से दोहराया।
इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में भारत का प्रतिनिधित्व किया गया। उनके साथ एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था, जो भारत की ओर से वैश्विक सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, व्यापार और अंतर-संसदीय सहयोग जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए ब्रासीलिया पहुंचा था।
पहलगाम हमले पर वैश्विक चिंता और समर्थन
ब्रिक्स संसदों के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भारत में हाल ही में हुए आतंकी हमले, खासकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए काफिले पर हमले का विषय प्रमुखता से उठा। भारत ने इस हमले को सीधे तौर पर आतंकवाद की बर्बर साजिश करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
सम्मेलन में शामिल सभी देशों – ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, यूएई, इथियोपिया, मिस्र और इंडोनेशिया – ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई। BRICS मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत भूमिका को सभी ने सराहा और इस लड़ाई में ‘कोई समझौता नहीं’ की नीति को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत का स्पष्ट रुख: आतंक के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की जरूरत
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद अब किसी एक देश की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह वैश्विक शांति और मानवता के लिए खतरा बन चुका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवादी संगठनों की वित्तीय मदद को बंद करना, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान बढ़ाना, और साझा रणनीतियां विकसित करना समय की मांग है।
भारत ने BRICS देशों से यह आग्रह भी किया कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह न मिलें, और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। भारत ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ निंदा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि व्यावहारिक कदम उठाना अनिवार्य है।
सम्मेलन के अन्य प्रमुख मुद्दे
इस BRICS संसदीय मंच पर आतंकवाद के अलावा भी कई वैश्विक और रणनीतिक विषयों पर गहन चर्चा हुई। इन मुद्दों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सुरक्षित और नैतिक उपयोग, विश्व व्यापार में उभरते संकट, आर्थिक विकास में सहयोग, और अंतर-संसदीय संवाद की भूमिका जैसे विषय शामिल थे।
ब्रिक्स सदस्य देशों ने तकनीक के सकारात्मक उपयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक असमानताओं को दूर करने के उपायों पर भी सहमति जताई। इस बात पर बल दिया गया कि विकासशील देशों को नवाचार और तकनीकी विकास में पिछड़ने न दिया जाए।
भारत को अगली अध्यक्षता: नई भूमिका, नई जिम्मेदारी
सम्मेलन का एक बड़ा और अहम परिणाम यह भी रहा कि भारत को 12वें BRICS संसदीय मंच की मेजबानी सौंपी गई है। आगामी सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाएगा और इसकी अध्यक्षता फिर से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे।
इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब न केवल इस बहुपक्षीय मंच का आतंकवाद विरोधी चेहरा बनकर उभरा है, बल्कि वह BRICS के भीतर नवीन नेतृत्व और दिशा देने के लिए भी तैयार है। भारत आने वाले समय में ब्रिक्स संसदों के बीच सहयोग को और सशक्त करेगा और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा दृष्टिकोण को गति देगा।
भारत की निर्णायक पहल को मिला वैश्विक समर्थन
ब्रासीलिया में संपन्न हुआ यह BRICS संसदीय सम्मेलन भारत की निर्णायक पहल और आतंकवाद के प्रति स्पष्ट नीति का समर्थन करने वाला एक महत्वपूर्ण क्षण रहा। दुनिया के दस बड़े देशों ने एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े होकर यह साबित कर दिया कि भारत अकेला नहीं है – उसकी लड़ाई को वैश्विक समर्थन प्राप्त है।
भारत अब BRICS संसदों के माध्यम से न केवल आतंकवाद के खिलाफ रणनीति को आकार देगा, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर एकजुटता और साझा समाधान को भी बढ़ावा देगा।