Bangladesh की राजधानी ढाका के खिलखेत इलाके में स्थित एक दुर्गा मंदिर को 26 जून को गिरा दिया गया। यह कार्रवाई बांग्लादेश रेलवे प्रशासन द्वारा की गई, जिसने मंदिर को अवैध ढांचा बताया। इस घटना ने देशभर में आक्रोश फैला दिया, खासकर हिंदू समुदाय में। इसके विरोध में शुक्रवार, यानी रथयात्रा के दिन, बांग्लादेश के कई शहरों में प्रदर्शन हुए और बंद का आह्वान किया गया।
मंदिर गिराने की घटना कैसे शुरू हुई?
मंदिर समिति के अनुसार, 24 जून की रात को करीब 500 लोगों की भीड़ ने मंदिर परिसर में लाठी-डंडों के साथ हमला कर दिया था। उस वक्त मंदिर में श्रद्धालु पूजा कर रहे थे। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद, 26 जून को रेलवे प्रशासन ने मंदिर पर बुलडोजर चला दिया। समिति का दावा है कि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने अस्थायी अनुमति ली थी, जबकि अधिकारियों ने इसे अवैध करार दिया।
बंद और प्रदर्शन का असर
बांग्लादेश हिंदू महासंघ और हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद ने 28 जून को देशव्यापी बंद का आह्वान किया।
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ढाका, राजशाही, खुलना, चिटगांव, और सिलहट समेत कई बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।
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कई विश्वविद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों ने मानव श्रृंखला बनाकर और मौन विरोध करके प्रशासन के फैसले का विरोध किया।
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रथयात्रा के पर्व के दिन मंदिर को गिराए जाने से धार्मिक भावना और गहराई से आहत हुई।
सरकार और प्रशासन की सफाई
रेलवे मंत्रालय के एक सलाहकार ने सफाई देते हुए कहा कि मंदिर समेत 100 से ज्यादा अवैध ढांचों को हटाया गया। इसमें दुकानें, राजनीतिक कार्यालय और एक बाजार भी शामिल था। उनका कहना है कि मंदिर की मूर्ति को सम्मानपूर्वक नदी में विसर्जित किया गया। हालांकि, चश्मदीदों और मंदिर समिति ने कहा कि मूर्ति को विसर्जित नहीं किया गया, बल्कि उसे भी बुलडोजर से कुचल दिया गया।
हिंदू संगठनों का आरोप
प्रदर्शन कर रहे संगठनों का कहना है कि मंदिर को निशाना बनाकर गिराया गया, जबकि आसपास की कई मस्जिदें और मदरसे भी कथित रूप से अवैध जमीन पर बने हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हिंदू अलायंस के पूर्व अध्यक्ष गोबिंद चंद्र प्रामाणिक ने कहा कि यह कार्रवाई सरकार के भीतर कट्टरपंथी तत्वों के प्रभाव को दर्शाती है।
भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी?
भारत ने इस घटना को लेकर बांग्लादेश की सरकार से कड़ी नाराज़गी जताई।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि चरमपंथियों की धमकियों के बावजूद बांग्लादेश सरकार ने मंदिर की सुरक्षा नहीं की और उल्टे उसे गिरा दिया।
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उन्होंने कहा कि यह घटना धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर लापरवाही का संकेत है।
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भारत ने बांग्लादेश सरकार से मांग की कि वह अल्पसंख्यकों की आस्था, संपत्ति और धार्मिक स्थलों की रक्षा करे।
सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
घटना के बाद से सोशल मीडिया पर
#BangladeshShutdown, #DurgaMandirProtest, और #MinorityRightsBD जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
कई मानवाधिकार संगठनों और बांग्लादेश के प्रबुद्ध वर्ग ने इस कदम की निंदा की है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए ठोस नीति की मांग की है।