बेंगलुरु(Bengaluru), जिसे भारत की “साइबर सिटी” और “आईटी कैपिटल” के रूप में जाना जाता है, हाल ही में भारी बारिश के कारण गंभीर बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहा है। इस स्थिति के पीछे कई प्राकृतिक और मानव-निर्मित कारण हैं, जो शहर की मौजूदा समस्याओं को उजागर करते हैं।

बेंगलुरु(Bengaluru) में आज 21 मई 2025 को मौसम का मिज़ाज काफी बदला हुआ है। वर्तमान में शहर में गरज-चमक के साथ भारी बारिश हो रही है और भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रेड अलर्ट जारी किया है। शहर में तापमान करीब 25°C (78°F) है और आर्द्रता अधिक होने के कारण मौसम काफी उमस भरा महसूस हो रहा है।

अगले कुछ दिनों का पूर्वानुमान बताता है कि बेंगलुरु (Bengaluru) में बारिश और तूफानी गतिविधियाँ जारी रह सकती हैं। 22 मई को बादल छंट सकते हैं लेकिन 23 मई से फिर से एक-दो बौछारें और गरज के साथ बारिश की संभावना है। 24 और 26 मई को कुछ हिस्सों में तूफान आ सकते हैं जबकि 27 मई को पूरे क्षेत्र में बारिश और गरज की संभावना जताई गई है। तापमान पूरे सप्ताह 27°C से 31°C के बीच रहने की संभावना है

गर्मियों में बेंगलुरु (Bengaluru) पानी में क्यों डूबा रहता है?

आधिकारिक मानसून सीजन से पहले मई में इतनी भारी बारिश क्यों हो रही है? इसका जवाब है बेंगलुरु(Bengaluru) का मौसम पैटर्न जिसे प्री-मानसून बारिश के नाम से जाना जाता है – जिसे आम की बारिश भी कहा जाता है – जो साल के इस समय शहर के लिए आम बात है।

आजकल गर्मियों में भी पानी में डूबा रहता है, जो सामान्य रूप से एक पहाड़ी और शीतल मौसम वाला शहर माना जाता है। इसका मुख्य कारण अचानक और तेज़ प्री-मॉनसून बारिश है, जो मई-जून के दौरान अक्सर होती है। ये बारिश थोड़े समय में अत्यधिक पानी गिराती है, जिससे शहर के निचले हिस्सों में जलभराव हो जाता है। लेकिन असली समस्या प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानवीय है। बेंगलुरु में तेज़ और अनियंत्रित शहरीकरण ने सैकड़ों झीलों और नालों को पाटकर उनके ऊपर इमारतें और सड़कें बना दी हैं। नतीजतन, बारिश का पानी अब न तो ज़मीन में समा पाता है और न ही बहकर बाहर निकल पाता है।

अवैध निर्माण, जल निकासी नालों पर अतिक्रमण और कचरे से जाम पड़ी ड्रेनेज प्रणाली हालात को और बिगाड़ देती है। साथ ही शहर का बढ़ता कंक्रीटीकरण भी पानी को जमीन में रिसने नहीं देता। मिट्टी और हरियाली की जगह अब सीमेंट और टाइलों ने ले ली है, जिससे बारिश का सारा पानी सतह पर ही भर जाता है। जलवायु परिवर्तन ने भी इसमें भूमिका निभाई है, जिससे अब बारिश का समय और तीव्रता अनियमित हो गई है। इन सब कारणों से आज बेंगलुरु गर्मियों में भी मानसून जैसी बाढ़ की स्थितियों से जूझ रहा है।

 

भारी वर्षा और बाढ़ की स्थिति

  • 19 मई की रात से 20 मई की सुबह तक, बेंगलुरु (Bengaluru) में 12 घंटे में 130 मिमी से अधिक बारिश हुई, जिससे 500 से अधिक घरों में पानी भर गया और तीन लोगों की मृत्यु हो गई।

  • 20 मई तक, शहर में कुल 140 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2017 के बाद से सबसे अधिक है। इस बारिश के कारण साई लेआउट जैसे निचले इलाकों में जलभराव हुआ, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हुई और लोगों को राहत सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ा

 मुख्य कारण

1. अत्यधिक वर्षा और चक्रवाती गतिविधियाँ

21 मई 2025 से, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बेंगलुरु (Bengaluru) सहित कर्नाटक के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। यह बारिश अरब सागर के पूर्व-मध्य भाग में विकसित हो रहे चक्रवाती परिसंचरण के कारण हो रही है, जिससे बेंगलुरु में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है。

2. अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली

शहर की जल निकासी प्रणाली पुराने ढांचे पर आधारित है, जो वर्तमान शहरीकरण और वर्षा की तीव्रता को संभालने में असमर्थ है। नालों की सफाई में लापरवाही और अतिक्रमण के कारण जल निकासी बाधित होती है, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ जाती है。

3. अनियंत्रित शहरीकरण और हरित क्षेत्र की कमी

बेंगलुरु (Bengaluru) में तेजी से हो रहे अनियंत्रित शहरीकरण के कारण हरित क्षेत्रों और जलाशयों की संख्या में भारी कमी आई है। 1940 के दशक में शहर में लगभग 260 झीलें थीं, जो अब घटकर 65 रह गई हैं。 इससे वर्षा जल का प्राकृतिक संचयन और निकास प्रभावित हुआ है 

4. भूमिगत कंक्रीट परत

पिछले कुछ दशकों में अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों के कारण शहर के नीचे 30 से 40 फीट गहरी कंक्रीट की परत बन गई है, जो वर्षा जल के भू-जल में रिसाव को रोकती है और सतही जलभराव को बढ़ावा देती है。

5. आईटी हब क्षेत्रों में विशेष प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिक सिटी, व्हाइटफ़ील्ड और आउटर रिंग रोड जैसे प्रमुख आईटी क्षेत्रों में भारी जलभराव के कारण ट्रैफिक जाम और कार्यालयों में पानी भरने की घटनाएं सामने आई हैं। इससे प्रमुख आईटी कंपनियों जैसे इंफोसिस और टीसीएस ने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू की है。


 सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

  • यातायात बाधित: जलभराव के कारण प्रमुख सड़कों और अंडरपासों में ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।

  • आवासीय क्षेत्रों में पानी भरना: कई आवासीय इलाकों में घरों में पानी घुस गया है, जिससे फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान पहुंचा है

  • आईटी उद्योग पर प्रभाव: वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था के बावजूद, इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति में बाधाओं के कारण कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है。


 संभावित समाधान

  • जल निकासी प्रणाली का उन्नयन: नालों की नियमित सफाई और अतिक्रमण हटाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

  • हरित क्षेत्रों और जलाशयों का संरक्षण: शहर में शेष बचे हरित क्षेत्रों और झीलों का संरक्षण और पुनर्स्थापन आवश्यक है।

  • निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण: अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाकर भू-जल के रिसाव को सुनिश्चित किया जा सकता है।

  • आपदा प्रबंधन प्रणाली का सुदृढ़ीकरण: आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है।

Share.

Owner & Editor: Sujeet Kumar

Registered Office:
B-87 A, Gayatri Nagar, Shankar Nagar,
Near Jagannath Mandir,
Raipur, Chhattisgarh – 492004

Contact Details:
Email: rivalsmedia2025@gmail.com
Mobile: +91-6260039085

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  

© 2025 Pioneer Digital Online. Designed by Nimble Technology.

Exit mobile version