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नई दिल्ली– भारत के खिलाफ PAK का साथ देकर अजरबैजान ने जो कदम उठाया है, अब उसका डर वहां के विश्लेषकों की बातों में साफ झलक रहा है। अजरबैजान के राजनीतिक विशेषज्ञ फहाद माम्मादोव ने एक बयान में कहा है कि भारत अब उसे सबक सिखाने की पूरी तैयारी कर चुका है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों पर दबाव बनाने में जुट गया है।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ और पाकिस्तानी बौखलाहट

भारत द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने PAK को हिला कर रख दिया था। इस ऑपरेशन में भारत ने सीमापार आतंक के ठिकानों को नष्ट किया था। इस कार्रवाई से पाकिस्तान न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मिंदा हुआ, बल्कि उसकी बौखलाहट इस कदर बढ़ गई कि उसने भारत के कई शहरों में सैन्य हमलों की नाकाम कोशिश की।

जानकारी के अनुसार, इन योजनाओं में तुर्किए और अजरबैजान ने भी पर्दे के पीछे पाकिस्तान को समर्थन दिया। यही वजह है कि भारत की जनता और रणनीतिक हलकों में अब सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि उसके ‘दोस्त देशों’ के खिलाफ भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

“भारत दोष दे रहा है!” – अजरबैजानी एक्सपर्ट की बौखलाहट

एक इंटरव्यू में फहाद माम्मादोव ने कहा:

“भारत अपनी कूटनीतिक ताकत को वैश्विक स्तर पर फैला रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की कोशिशों में जुटा है। पाकिस्तान के साथ तनाव उसके लिए प्रतीकात्मक जीत है। लेकिन वह पाकिस्तान के सहयोगियों को दोष देकर कुछ हासिल नहीं कर पाएगा।”

यह बयान उनकी हताशा को दर्शाता है। क्योंकि अजरबैजान जानता है कि उसने भारत की पीठ में छुरा घोंपने जैसा काम किया है, और इसका खामियाजा उसे भुगतना ही पड़ेगा।

भारत-अजरबैजान व्यापार पर पड़ सकता है असर

फहाद माम्मादोव ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को लेकर दावा किया कि अगर भारत तेल का आयात बंद भी कर दे तो अजरबैजान पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा:

“भारत-अजरबैजान के बीच हर साल लगभग 1 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें तेल का बड़ा हिस्सा है। अगर भारत कॉन्ट्रैक्ट तोड़ेगा, तो उसे पेनल्टी देनी पड़ सकती है।”

लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह सिर्फ दिखावटी आत्मविश्वास है। भारत फार्मास्युटिकल्स, टेक्नोलॉजी और एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में भी अजरबैजान के लिए महत्वपूर्ण है। भारत के प्रतिबंध या व्यापार सीमाओं का सीधा असर अजरबैजान की विकास योजनाओं पर पड़ेगा।

भारत-अर्मेनिया रक्षा सहयोग बना ‘डर’ की वजह

पिछले महीने एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अर्मेनिया ने भारत से 720 मिलियन डॉलर के हथियार खरीदने का सौदा किया है। इसमें भारत का एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम आकाश-1S भी शामिल है। यह डील अजरबैजान के लिए सीधे खतरे की घंटी है।

तुर्किए के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल और पूर्व अटैशे यूसेन करोज ने इसे अजरबैजान के लिए एक बड़ी चुनौती बताया। उनका कहना था:

“भारत के हथियारों से अर्मेनिया की ताकत कई गुना बढ़ेगी। अजरबैजान को इस गठजोड़ को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।”

निष्कर्ष:

पाकिस्तान का साथ देकर अजरबैजान ने एक ऐसी रणनीतिक भूल कर दी है, जिसका असर अब उसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति और भारत के साथ संबंधों पर साफ दिखाई दे रहा है। भारत चुप नहीं बैठा है। वह न सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि रणनीतिक साझेदारियों के ज़रिये अजरबैजान को चौतरफा घेरने में जुटा है।

अब अजरबैजान के पास सिर्फ पछतावा है… और फहाद माम्मादोव जैसे विश्लेषक अपनी बौखलाहट को छिपा नहीं पा रहे।

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