Pioneer digital desk

नई दिल्ली |  भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। अमेरिकी निजी स्पेस कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) और एक्सियम स्पेस (Axiom Space) द्वारा संचालित Axiom-4 (Ax-4) मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को 25 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजे जाने की संभावना है।

भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे इस मिशन के लॉन्च की संभावित तारीख तय की गई है। अगर सबकुछ योजना के मुताबिक रहा, तो 26 जून को शाम 4:30 बजे यह मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ जाएगा।

मिशन Axiom-4: निजी और वैश्विक साझेदारी का प्रतीक

Ax-4 मिशन को अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स के फॉल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा और इसका क्रू स्पेसएक्स के एक नए ड्रैगन कैप्सूल में सवार होगा। यह मिशन एक्सियम स्पेस द्वारा आयोजित किया गया है, जो निजी अंतरिक्ष मिशनों के क्षेत्र में अग्रणी मानी जाती है।

इस मिशन में चार देशों के चार एस्ट्रोनॉट शामिल हैं:

  • पैगी व्हिटसन (Peggy Whitson) – अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री और इस मिशन की कमांडर।

  • शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) – भारत के मिशन पायलट और इस ऐतिहासिक मिशन के केंद्र में।

  • टिबोर कापू (Tibor Kapu) – हंगरी से।

  • स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की (Slawoj Uznański-Wiśniewski) – पोलैंड से।

ये चारों अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहेंगे और वैज्ञानिक शोध करेंगे।

शुभांशु शुक्ला: राकेश शर्मा के बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री

शुभांशु शुक्ला इस मिशन के साथ ISS पर जाने वाले पहले और कुल मिलाकर अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनने जा रहे हैं। इससे पहले वर्ष 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान ‘सोयूज टी-11’ से उड़ान भरी थी।

शुक्ला की यह यात्रा न सिर्फ भारत के लिए गौरव की बात है, बल्कि विज्ञान और चिकित्सा की दुनिया के लिए भी एक नई दिशा तय करेगी।

Axiom-4 मिशन 6 बार टल चुका है

इस मिशन को अब तक छह बार टाला जा चुका है। पहले इसे 29 मई, 8 जून, 10 जून, 11 जून, 12 जून और 22 जून को लॉन्च किया जाना था। लेकिन ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल के पिछले हिस्से में मरम्मत और सुरक्षा जांच के कारण इसे बार-बार स्थगित करना पड़ा।

अब, 25 जून को लॉन्चिंग की तारीख तय की गई है और सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं।

ब्लड शुगर और इंसुलिन पर अंतरिक्ष में पहली बार होगा प्रयोग

इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि यह डायबिटीज (मधुमेह) से जुड़ी चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक प्रयोग करने जा रहा है। UAE की हेल्थकेयर कंपनी बुर्जील होल्डिंग्स के सहयोग से वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि माइक्रोग्रैविटी में इंसानी शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का व्यवहार किस प्रकार बदलता है।

प्रयोग की प्रमुख विशेषताएं:

  • मिशन के सभी एस्ट्रोनॉट्स, विशेष रूप से शुभांशु शुक्ला, ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस पहनेंगे।

  • ये डिवाइस लगातार 14 दिनों तक ब्लड शुगर लेवल रिकॉर्ड करेंगी।

  • प्रयोग का उद्देश्य यह जानना है कि अंतरिक्ष में इंसुलिन और ग्लूकोज के अणुओं पर माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन का क्या प्रभाव होता है।

  • इसके लिए अंतरिक्ष यात्री विभिन्न तापमान पर रखे गए इंसुलिन पेन भी साथ ले जाएंगे।

डायबिटीज पेशेंट और अंतरिक्ष: अब तक नहीं गया कोई शुगर रोगी

NASA के प्रोटोकॉल के अनुसार, इंसुलिन लेने वाले डायबिटीज पेशेंट को अंतरिक्ष में भेजने की अनुमति नहीं है। हालांकि गैर-इंसुलिन डायबिटिक लोगों के लिए कोई स्पष्ट मनाही नहीं है, फिर भी अब तक कोई डायबिटीज पेशेंट अंतरिक्ष नहीं गया है।

Axiom-4 मिशन इस परंपरा को वैज्ञानिक आधार पर चुनौती देगा और अंतरिक्ष में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नया रास्ता खोल सकता है

7 भारतीय वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट होंगे शामिल

Ax-4 मिशन के दौरान कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से 7 प्रोजेक्ट भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • माइक्रोग्रैविटी में अंकुरण – बीजों से अंकुर निकलने की प्रक्रिया पर असर।

  • एल्गी (शैवाल) पर माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन का असर।

  • स्प्राउट्स की वृद्धि दर का अध्ययन।

  • फसल बीजों की व्यवहारिक प्रतिक्रिया अंतरिक्ष की परिस्थितियों में।

  • इंसुलिन की स्टेबिलिटी अलग-अलग तापमान में।

  • ब्लड ग्लूकोज लेवल के ग्राफिंग और उतार-चढ़ाव।

  • वियरेबल बायोसेंसरों की कार्यप्रणाली

ये प्रयोग आने वाले समय में दवाइयों की स्टोरेज, वितरण और प्रभाव को बेहतर समझने में मदद करेंगे, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक बिस्तर पर रहते हैं या जिन्हें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होते हैं।

भारत के लिए रणनीतिक उपलब्धि

शुभांशु शुक्ला की इस उड़ान को केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं बल्कि भारत की वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा के रूप में देखा जा रहा है। अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत की तकनीकी सहयोग और शोध भागीदारी को इससे नया आयाम मिलेगा।

 Axiom-4 भारत और विज्ञान दोनों की जीत

Axiom-4 मिशन केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, यह मानव शरीर, चिकित्सा विज्ञान और अंतरिक्ष तकनीक के बीच एक सेतु है। शुभांशु शुक्ला के रूप में भारत ने फिर से यह साबित कर दिया है कि वह विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।

यदि यह मिशन समय पर लॉन्च होता है, तो यह विश्व भर में डाइबिटीज, इंसुलिन और माइक्रोग्रैविटी रिसर्च के लिए ऐतिहासिक साबित होगा।

Share.

Owner & Editor: Sujeet Kumar

Registered Office:
B-87 A, Gayatri Nagar, Shankar Nagar,
Near Jagannath Mandir,
Raipur, Chhattisgarh – 492004

Contact Details:
Email: rivalsmedia2025@gmail.com
Mobile: +91-6260039085

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  

© 2025 Pioneer Digital Online. Designed by Nimble Technology.

Exit mobile version