नई दिल्ली । दिल्ली के प्रतिष्ठित भारत मंडपम में PM मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की पूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक लगभग 80 दिनों के अंतराल के बाद हुई, जो इसे विशेष महत्व देती है।इस लंबे अंतराल के बाद बैठक का आयोजन यह संकेत देता है कि केंद्र सरकार अब ‘विकसित भारत @2047’ के विज़न को लेकर गंभीर और सक्रिय हो चुकी है। सरकार अब नीतियों को कागज़ से जमीन पर उतारने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।नीति आयोग की यह बैठक राज्यों के साथ भागीदारी और केंद्र-राज्य संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है। इसमें देश के विकास के लिए एक समान दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश की गई — जिसमें सभी राज्यों को बराबरी की भूमिका दी जाए।
बैठक का मुख्य उद्देश्य
इस महत्वपूर्ण बैठक का उद्देश्य था 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में ठोस रणनीति तैयार करना। नीति आयोग ने इस विज़न को “विकसित भारत @2047” नाम दिया है, जो आने वाले 25 वर्षों के लिए एक स्पष्ट दिशा तय करता है। इसमें समावेशी, टिकाऊ और नवाचार-आधारित विकास को प्राथमिकता दी गई।
बैठक में केंद्र ने सभी राज्यों से सहयोग और सक्रिय भागीदारी की अपील की। राज्यों से कहा गया कि वे नीति निर्माण और लागू करने की प्रक्रिया में योगदान दें। इस दौरान खास जोर इन प्रमुख क्षेत्रों पर रहा — स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कृषि में आधुनिक तकनीक, डिजिटल इंडिया की पहुंच गांव-गांव तक, और युवा रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी।
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कैसे केंद्र और राज्य मिलकर साझा विकास मॉडल तैयार कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों को अपने संसाधनों और ताकत के अनुसार स्थानीय नवाचारों को बढ़ावा देने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा, स्मार्ट शहर, और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) जैसे अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों को भी भारतीय संदर्भ में प्रभावी ढंग से लागू करने पर चर्चा हुई।
कौन-कौन से नेता पहुंचे?
बैठक में विपक्षी दलों के कई मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि राष्ट्रीय विकास के मुद्दों पर राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखा जा सकता है।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में मौजूद रहीं। उन्होंने राज्य की प्राथमिकताओं और केंद्र के साथ बेहतर समन्वय पर ज़ोर दिया।
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी बैठक में भाग लिया और दक्षिण भारत के दृष्टिकोण से विकास की ज़रूरतों को सामने रखा।
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कृषि और युवा रोजगार से जुड़े मुद्दे उठाए, जो उनके राज्य के लिए बेहद अहम हैं।
- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनिज संसाधनों और आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने की बात कही।
- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सामाजिक कल्याण योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती पर अपने विचार साझा किए।
इन सभी नेताओं की उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि जब बात देश के विकास की हो, तो सहयोग और सहमति ही सबसे बड़ी ताकत बनती है।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए एक सशक्त और स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा:
“2047 तक भारत को विकसित बनाना केवल केंद्र सरकार का नहीं, बल्कि हर राज्य, हर संस्थान और हर नागरिक का सपना होना चाहिए। जब हर राज्य मिलकर एक लक्ष्य की ओर बढ़ेगा, तभी हम सफल हो सकेंगे।”
प्रधानमंत्री ने इस लक्ष्य को पाने के लिए “टीम इंडिया” की भावना को ज़रूरी बताया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज भारत में जो विकास की गति दिख रही है, उसे तभी स्थायी और व्यापक बनाया जा सकता है, जब राज्य और केंद्र एक दूसरे के पूरक बनें, प्रतिस्पर्धी नहीं।
मोदी ने कहा कि नीति आयोग का मंच केवल विचार-विमर्श का स्थान नहीं है, बल्कि यह संयुक्त रणनीति और क्रियान्वयन का केंद्र बन चुका है। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे अपनी-अपनी क्षमताओं, संसाधनों और स्थानीय नवाचारों के जरिए भारत के समग्र विकास में भागीदारी निभाएं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विकसित भारत का सपना सिर्फ आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय, डिजिटल समावेशन, शिक्षा की गुणवत्ता, और सतत पर्यावरणीय समाधान भी शामिल हैं। अंत में, उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि
“नीति आयोग और राज्य मिलकर जब नीति और नीयत दोनों में समन्वय लाएंगे, तब ही ‘विकसित भारत @2047’ की संकल्पना साकार होगी।”
चाय पर चर्चा: राजनीति से ऊपर देश
नीति आयोग की बैठक के औपचारिक सत्र के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को चाय पर अनौपचारिक बातचीत के लिए आमंत्रित किया। यह एक साधारण मुलाकात नहीं थी, बल्कि सहयोग और संवाद का प्रतीक बन गई।
चाय पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को व्यक्तिगत रूप से सुना और उनकी चिंताओं और सुझावों पर ध्यान दिया। इस अवसर पर राजनीतिक मतभेदों से हटकर राष्ट्रहित पर फोकस किया गया। यह एक ऐसा पल था जहाँ राजनीति पीछे रह गई और देशहित सबसे ऊपर रहा।
बैठक में शामिल विपक्षी नेताओं — जैसे कि ममता बनर्जी, स्टालिन, भगवंत मान और हेमंत सोरेन — ने भी खुलकर अपनी बातें रखीं। उन्होंने बताया कि उनके राज्यों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और केंद्र से किस तरह की सहायता की अपेक्षा है।
प्रधानमंत्री ने सभी को यह आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हर राज्य के विकास को समान दृष्टि से देखती है, और किसी भी राज्य के साथ पक्षपात नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि “टीम इंडिया” की भावना के साथ ही भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है।