Iran और इजरायल के बीच जारी जंग अब एक नए मोड़ पर है। जब इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, तब सबकी निगाहें अमेरिका पर थीं। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो कहा, उसने ना सिर्फ इजरायल को चौंकाया, बल्कि युद्ध के भविष्य को लेकर पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है।
नई दिल्ली । 12 जून को इजरायल ने ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला बोल दिया। इस मिशन को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम दिया गया था। इजरायल का मकसद था ईरान की परमाणु गतिविधियों को जड़ से खत्म करना।
लेकिन जवाब में ईरान ने भी तेज़ प्रतिक्रिया दी। उसने न केवल इजरायल के सैन्य ठिकानों को टारगेट किया बल्कि रिहायशी इलाकों पर भी हमला कर दिया। नौ दिनों से दोनों देशों के बीच भयंकर हवाई हमले हो रहे हैं।
ट्रंप का झटका: “इजरायल फोर्डो को नहीं नेस्तनाबूद कर सकता”
इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान पूरी कहानी का रुख बदल गया। उन्होंने कहा, “इजरायल के पास फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह नष्ट करने की क्षमता नहीं है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिकी फौज को भेजना ‘आखिरी विकल्प’ होगा और अभी हमारे पास सिर्फ दो हफ्तों का समय है। ट्रंप के इस बयान ने इजरायल को अकेला महसूस कराया, और दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ गई।
क्या है फोर्डो प्लांट? क्यों नहीं टूटता ये किला?
फोर्डो प्लांट ईरान के क़ौम शहर के पास पहाड़ों के नीचे स्थित है। जमीन से लगभग 80 मीटर नीचे बने इस प्लांट को IRGC द्वारा ऑपरेट किया जाता है और यह यूरेनियम संवर्धन के लिए जाना जाता है।
इसकी गहराई और सुरक्षा इसे बंकर-बस्टिंग बमों से भी बचाती है। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को इस प्लांट के अस्तित्व की जानकारी 2009 में लगी थी। तब से यह ईरान की परमाणु रणनीति का सबसे गोपनीय और सुरक्षित केंद्र बना हुआ है।
अमेरिका की चिंता: क्या ईरान के पास बम है?
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के अनुसार, ईरान अब न्यूक्लियर बम बनाने की अंतिम दहलीज़ पर खड़ा है। उनके पास आवश्यक यूरेनियम, तकनीक और संसाधन सब मौजूद हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, तेहरान के पास अगर राजनीतिक मंजूरी मिल जाए, तो वह कुछ ही हफ्तों में न्यूक्लियर हथियार बना सकता है। यह सिर्फ इजरायल ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरनाक संकेत है।
ज़मीनी हालात: तबाही का मंजर
इस संघर्ष में दोनों देशों के दर्जनों शहर तबाह हो चुके हैं। तेल अवीव से लेकर तेहरान तक, मिसाइल हमलों की गूंज सुनाई दे रही है। अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और हजारों नागरिक विस्थापित हो चुके हैं।
लोगों में डर का माहौल है और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। स्कूल, अस्पताल और बिजली संयंत्र सब प्रभावित हैं। यह जंग अब आम नागरिकों की जिंदगियों पर सीधा वार कर रही है।
भारत की भूमिका: ऑपरेशन सिंधु के तहत रेस्क्यू
इस बीच भारत ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। इसका उद्देश्य ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाना है। अब तक सैकड़ों लोगों को निकाला जा चुका है।
ईरान ने भारत के लिए विशेष रूप से एयरस्पेस खोला है, जिससे भारत-ईरान के रिश्तों में गहराई नजर आती है। भारत की प्राथमिकता है कि सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रहें और किसी अंतरराष्ट्रीय संकट में देश अपनी ज़िम्मेदारी निभाए।
क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान ने न्यूक्लियर बम टेस्ट किया और इजरायल ने इसे रोकने के लिए ज़्यादा आक्रामक कदम उठाए, तो यह युद्ध वैश्विक स्तर पर फैल सकता है।
रूस और चीन की नज़रें ईरान पर हैं, जबकि अमेरिका खुद उलझन में है। यूरोपीय संघ अब तक तटस्थ बना हुआ है। ऐसे में यह जंग पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन सकती है।
भारत की विदेश नीति: विवेकपूर्ण और शांतिप्रिय
भारत ने अब तक किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया है। उसकी नीति साफ है — “न पक्ष लें, न प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करें।” भारत का फोकस है नागरिकों की सुरक्षा और विश्व मंच पर शांति की पहल को आगे बढ़ाना।
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। भारत मानता है कि हर विवाद का समाधान हथियार नहीं, संवाद से संभव है।
क्या फोर्डो बचेगा या टूटेगा?
अब सवाल यह नहीं कि युद्ध कब रुकेगा, बल्कि यह है कि क्या फोर्डो जैसे ठिकानों पर हमला वैश्विक स्थिरता को तोड़ देगा? क्या अमेरिका हस्तक्षेप करेगा? क्या ईरान वाकई न्यूक्लियर बम बनाएगा?
इन सारे सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि मध्य-पूर्व एक बार फिर दुनिया की सबसे खतरनाक भू-राजनीतिक रणभूमि बन चुका है।