नई दिल्ली । 21 जून की रात America ने ईरान की तीन सबसे महत्वपूर्ण परमाणु साइटों — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर एक साथ हमला किया। हमले में GBU-57 बंकर बस्टर बमों और B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया गया, जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। ये साइटें ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ मानी जाती थीं।

ट्रम्प ने कहा – “Fordow is gone”

America के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमले के कुछ ही घंटों बाद टीवी पर संबोधन में दावा किया कि ईरान की न्यूक्लियर साइट्स को पूरी तरह से ‘obliterate’ कर दिया गया है। उन्होंने खासतौर पर फोर्डो का ज़िक्र करते हुए कहा, “Fordow अब मौजूद नहीं है।” ट्रम्प ने ईरान को चेताया कि अगर उसने शांति की राह नहीं पकड़ी तो अगली कार्रवाई और भयानक होगी।

ईरान ने दिया खुला जवाब

हमले के कुछ घंटों बाद ही ईरान ने जवाबी हमला करते हुए इजराइल के 14 शहरों पर मिसाइलें और ड्रोन दागे। ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने इसे “अब तक का सबसे सटीक और सफल ऑपरेशन” बताया। हमले में सैन्य ठिकानों के साथ-साथ साइबर सेंटर और तेल रिफाइनरी जैसे सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी निशाना बनाया गया।

इजराइल के संवेदनशील ठिकाने बने लक्ष्य

ईरानी मिसाइलों ने हाइफा, तेल अवीव, बीयरशेबा, और किर्यात गत जैसे प्रमुख शहरों में तबाही मचाई। सैल टॉवर, साइबर कमांड, ओवदा एयरबेस और राफेल डिफेंस सिस्टम्स के मुख्यालय पर सीधी चोट की गई। बीयरशेबा में सोरोका मेडिकल सेंटर पर एक मिसाइल गिरने से अस्पताल की इमारत गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई।

जान-माल का बड़ा नुकसान

मिसाइल हमलों में इजराइल को भारी नुकसान हुआ है। अब तक 27 लोगों की मौत और 600 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। कई इलाकों में रिहायशी इमारतें ध्वस्त हो गईं और वाहन जलकर खाक हो गए। बचाव कार्यों में जुटी MDA की टीमें लगातार राहत कार्य में लगी हैं।

 लोगों में दहशत, शेल्टर में रात गुज़री

इजराइली सरकार ने देशभर में अलर्ट जारी कर दिया है और नागरिकों से अपील की है कि वे बम शेल्टरों में ही रहें। मिसाइल अटैक के दौरान कई जगहों पर सायरन भी नहीं बजे, जिससे घबराहट और बढ़ गई। लोग अपने बच्चों और सामान के साथ अंधेरे में शरण लेते नज़र आए।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं तेज

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए कहा कि यह पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा है। रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई को एकतरफा बताया जबकि फ्रांस और जर्मनी जैसे देश जल्द से जल्द युद्ध विराम की अपील कर रहे हैं।

अमेरिका में उठे सवाल

अमेरिकी कांग्रेस में ट्रम्प सरकार के इस कदम को लेकर बहस तेज हो गई है। डेमोक्रेट नेताओं ने आरोप लगाया कि यह हमला कांग्रेस की मंज़ूरी के बिना किया गया, जो कि संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। वहीं रिपब्लिकन सांसदों ने इसे “नेशनल सिक्योरिटी का सही कदम” बताया।

बाज़ारों पर युद्ध का असर

इस सैन्य तनाव का असर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल पर भी साफ दिखा। तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, सोने की कीमतों में तेजी आई है और शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह युद्ध और फैला तो वैश्विक मंदी की आशंका गहरा सकती है।

आगे की राह क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि ये सिर्फ शुरुआत है। ईरान के पास अब भी कई प्रॉक्सी नेटवर्क हैं जैसे हिजबुल्लाह और हौथी विद्रोही, जिनके ज़रिए वह युद्ध को और व्यापक बना सकता है। वहीं अमेरिका और इजराइल की सेना भी अगली रणनीति के लिए तैयार खड़ी हैं।

इतिहास दोहराएगा या सुधरेगा?

ईरान, इजराइल और अमेरिका के इस त्रिकोणीय संघर्ष ने पूरी दुनिया को दहला दिया है। यह सिर्फ एक क्षेत्रीय युद्ध नहीं, बल्कि वैश्विक शांति, कूटनीति और मानवता की अग्निपरीक्षा है। अब देखना यह है कि दुनिया वार्ता का रास्ता अपनाती है या एक और विश्व युद्ध की ओर बढ़ती है।

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