भारतीय वायुसेना के पास 250 से ज्यादा सुखोई विमान हैं और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने Su-30MKI जेट्स का इस्तेमाल किया था
रूस ने किया सुखोई Su-57M फाइटर जेट के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ‘Artificial Intelegence’असिस्टेड वर्जन का सफल परीक्षण
PIONEER DIGITAL DESK
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद पर करारा प्रहार करते हुए कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ‘OPERATION SINDOOR’ के दौरान भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना साधा था। इस दौरान भारत के सुखोई Su-30MKI विमानों ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित की। अब रूस ने इस विमान का नया वर्जन लॉन्च किया है। रूस ने हाल ही में सुखोई Su-57M फाइटर जेट के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ‘Artificial Intelegence’असिस्टेड वर्जन का सफल परीक्षण किया है।
अमेरिकी जेट को सीधी टक्कर
रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक यह तकनीक जल्द ही आसमानी वारफेयर का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है। बता दें कि रूस 1999 से ही PAK FA नाम का कार्यक्रम चला था है जो AI इंटीग्रेशन के क्षेत्र में काम कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का मकसद पांचवीं पीढ़ी के फाइटर्स को तैयार करना था। Su-57M, Su-57 का एक बेटर वर्जन है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह मॉडल अमेरिका के F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग || जैसे जेट को सीधी टक्कर दे सकता है।
भारत के पास 250 से अधिक सुुखोई जेट
भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में 250 से अधिक सुखोई Su-30 MKI विमान हैं, जो इसके बेड़े का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसके अलावा, भारत ‘सुपर सुखोई’ प्रोग्राम के तहत अपने Su-30 MKI जेट्स को अपग्रेड कर रहा है।
AI और अन्य उन्नत तकनीकों के एकीकरण से भारत को हो सकते हैं ये सात फायदे –
- उन्नत युद्ध क्षमता
- AI-सक्षम सुखोई जेट्स में बेहतर सेंसर फ्यूजन, लक्ष्य पहचान, और स्वायत्त निर्णय लेने की क्षमता होगी। इससे जटिल युद्ध परिदृश्यों में तेजी से और सटीक कार्रवाई संभव होगी।
- विरुपाक्ष’ AESA रडार, जो गैलियम नाइट्राइड तकनीक पर आधारित है, 200 किमी तक स्टील्थ विमानों को ट्रैक कर सकता है। यह रडार मौजूदा N011M BARS रडार से 30-40% हल्का है, जिससे विमान की गति और ईंधन दक्षता में सुधार होगा
- सुपर सुखोई प्रोग्राम
- भारत का ‘सुपर सुखोई’ प्रोग्राम Su-30 MKI को 4.5 पीढ़ी के जेट में अपग्रेड करेगा, जिसमें AI, उन्नत रडार, मिशन कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुइट, और ‘मैन्ड-अनमैन्ड टीमिंग’ (MUM-T) तकनीक शामिल होगी। MUM-T से ड्रोन के साथ समन्वय में मिशन निष्पादन संभव होगा।
- यह अपग्रेड Su-30 MKI को चीनी J-35A और J-20 जैसे स्टील्थ जेट्स के खिलाफ प्रभावी बनाएगा।
- स्वदेशी तकनीक का एकीकरण
- अपग्रेड में स्वदेशी ‘विरुपाक्ष’ रडार, इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सेंसर, और 51 उन्नत प्रणालियों का उपयोग होगा, जिनमें से 30 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), 13 को DRDO, और 8 को निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किया जाएगा। यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।
- नए एयरो-इंजन, जिनमें 54% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, विमान की ऊंचाई पर उड़ान और ईंधन दक्षता को बेहतर बनाएंगे।
- ब्रह्मोस मिसाइल एकीकरण
- 60 Su-30 MKI जेट्स को ब्रह्मोस-ए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस किया जाएगा, जिसकी रेंज 400 किमी तक है। यह भारत को लंबी दूरी पर सटीक हमले करने की रणनीतिक क्षमता देगा, खासकर समुद्री और जमीनी लक्ष्यों के खिलाफ।
- क्षेत्रीय श्रेष्ठता
- अपग्रेडेड सुखोई जेट्स भारत को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के स्टील्थ जेट्स (जैसे J-35A) के खिलाफ बढ़त देंगे।
- ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में सुखोई की प्रभावशीलता पहले ही साबित हो चुकी है, और ‘Artificial Intelegence’AI अपग्रेड इसे और घातक बनाएगा।
- लंबी अवधि की लागत बचत
- स्वदेशी तकनीकों और HAL के कोरापुट डिवीजन में इंजन निर्माण से आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे रखरखाव और उन्नयन की लागत में कमी आएगी। )
- रक्षा सहयोग और तकनीक हस्तांतरण
- रूस के साथ भारत का लंबा रक्षा सहयोग (1996 से Su-30 MKI कार्यक्रम) ‘Artificial Intelegence’AI और अन्य उन्नत तकनीकों के हस्तांतरण को सुगम बनाएगा, जिससे भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत कर सकेगा।