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संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को लेकर भारत की स्पष्ट नीति और मुखर रुख एक बार फिर देखने को मिला। इस बार आवाज उठाई वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर ने। उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप दोहराया, बल्कि चीन की भूमिका की भी सख्त आलोचना की, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को बचाने के लिए अपने वीटो का इस्तेमाल करता रहा है।

ब्राजील में आयोजित एक कार्यक्रम में थरूर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक भू-राजनीतिक गठजोड़ और दोहरे मापदंड जारी रहेंगे, तब तक आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई अधूरी ही रहेगी।

चीन पर लश्कर समर्थक ‘प्रतिरोध मोर्चा’ को बचाने का आरोप

थरूर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में लश्कर-ए-तैयबा समर्थित संगठन ‘प्रतिरोध मोर्चा’ (The Resistance Front – TRF) को लेकर चीन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा:

“हम लगातार TRF के बारे में सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट देते रहे हैं, और जब भारत ने परिषद के प्रेस वक्तव्य में TRF का नाम जोड़ने की बात कही, तब भी चीन ने अपने प्रभाव से इसे हटवा दिया।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह केवल आतंकवाद को बचाने की कोशिश नहीं, बल्कि सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली को कमजोर करने जैसा है।

पाकिस्तान पर तंज: “नाम हटवाकर संदर्भ भी मिटा दिया”

थरूर ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि इस्लामाबाद ने अपने रणनीतिक साझेदार चीन के समर्थन से TRF का नाम UNSC बयान से हटवा दिया, ताकि उसका कोई संदर्भ ही न रहे। उन्होंने तीखे लहजे में कहा:

“हमें इस स्थिति को बदलना होगा। न हम परिषद में हैं और न आप। लेकिन हमें परिषद में साथ होना चाहिए ताकि ऐसी चालबाजियों को चुनौती दी जा सके।”

उनका यह बयान स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की दोहरी नीति और चीन के सहयोग की ओर इशारा करता है।

भारत के सामने वैश्विक चुनौतियां

शशि थरूर ने यह टिप्पणियाँ ब्राजील के पूर्व विदेश मंत्री सेल्सो अमोरिम के साथ एक परिचर्चा के दौरान दीं। उन्होंने बताया कि भारत के सामने आतंकवाद से लड़ने के लिए जो सबसे बड़ी बाधा है, वह संयुक्त राष्ट्र में मौजूद भू-राजनीतिक हितों और गठबंधनों की वजह से है।

भारत जब-जब किसी आतंकी को वैश्विक स्तर पर ब्लैकलिस्ट करने की कोशिश करता है, चीन और पाकिस्तान जैसे देश उसके रास्ते में बाधा बनते हैं। इससे न केवल भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि वैश्विक मंच की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।

IMF बेलआउट पैकेज पर भी पाकिस्तान को लताड़

थरूर ने सिर्फ सुरक्षा परिषद तक सीमित न रहकर पाकिस्तान को IMF बेलआउट पैकेज पर भी घेरा। उन्होंने कहा:

“हमें किसी के विकास से जलन नहीं है, अगर वह धन वाकई गरीबी हटाने या सामाजिक विकास पर खर्च हो। लेकिन अगर वही पैसा आतंक को बढ़ावा देने या भारत पर हमले की तैयारी में लगे, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

यह सीधा संकेत था कि पाकिस्तान ने अतीत में आर्थिक मदद को सैन्य उन्नयन और आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया है।

“हम भलाई में विश्वास रखते हैं, लेकिन आँख मूंदकर नहीं”

थरूर ने आगे कहा:  “भारत एक मानवीय देश है। हम हर देश में सबसे गरीब नागरिक की भलाई चाहते हैं। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय धन का उपयोग सही उद्देश्य के लिए हो।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की भूमिका IMF और वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों में बढ़ रही है, और भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक मदद केवल विकास के लिए हो, आतंकवाद के लिए नहीं।

 आतंक के खिलाफ सख्त संदेश

शशि थरूर के बयान भारत की विदेश नीति की उस दिशा को दर्शाते हैं जो साफ, दृढ़ और वैश्विक मंचों पर सक्रिय है। उन्होंने पाकिस्तान और चीन को नाम न लेकर भी स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब वैश्विक चुप्पी और दोहरे मापदंडों को स्वीकार नहीं करेगा।

संयुक्त राष्ट्र में TRF जैसे आतंकी संगठनों को बचाने की बीजिंग की कोशिशें केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। वहीं IMF जैसी संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी मदद का उपयोग विकास के लिए हो, विनाश के लिए नहीं।

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