नई दिल्ली – जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जहां एक तरफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए जवाबी कार्रवाई की, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने रुख को मजबूती से प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी निभाई। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं, जहां वह भारत के बहुपक्षीय डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।
वॉशिंगटन में एक संवाद के दौरान जब उनके बेटे और वरिष्ठ पत्रकार इशान थरूर ने ही सार्वजनिक मंच पर उनसे तीखा सवाल किया कि – “क्या किसी देश ने भारत से पाकिस्तान की मिलीभगत के सबूत मांगे हैं?” – तो थरूर का जवाब सीधा, दृढ़ और विश्वास से भरा था:
“अगर हमारे पास पुख्ता सबूत न होते, तो भारत जैसी कार्रवाई कभी नहीं करता। और अब तक किसी देश ने हमसे सबूत नहीं मांगे हैं।”
पाकिस्तान के खिलाफ भारत के तीन तर्क: थरूर का विश्लेषण
Shashi Tharoor ने पत्रकारों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सामने पाकिस्तान की भूमिका पर आधारित तीन ठोस बिंदु साझा किए, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने सिर्फ भावनात्मक नहीं बल्कि प्रमाणिक निर्णय के तहत जवाबी कार्रवाई की:
1. इतिहास और सबूतों का लंबा पैटर्न
Shashi Tharoor ने उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान का इतिहास इस बात से भरा पड़ा है कि वह पहले आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होता है और फिर वैश्विक मंचों पर इससे इनकार करता है।
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उन्होंने ओसामा बिन लादेन का उदाहरण दिया, जो पाकिस्तान के मिलिट्री ज़ोन में पाया गया।
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2008 के मुंबई हमलों में पकड़े गए आतंकी का संबंध पाकिस्तान से साबित हुआ था।
“ये इतिहास खुद बोलता है – पहले आतंकवाद, फिर इनकार।”
2. TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली
Shashi Tharoor ने बताया कि The Resistance Front (TRF) ने हमले के महज 45 मिनट के भीतर इसकी जिम्मेदारी ली थी। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है और पाकिस्तान के मुरीदके से संचालित होता है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब TRF ने दुनिया को जानकारी देने से पहले ही जिम्मेदारी ले ली, तो इसका मतलब साफ है – किसी स्क्रिप्ट के तहत ही हमला हुआ।
3. पाकिस्तान में निकले आतंकियों के जनाजे
भारत की 7 मई की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के आतंकियों के जनाजे आयोजित किए गए।
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इन जनाजों में पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी और पुलिसकर्मी वर्दी में शामिल हुए।
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सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों ने यह भी दिखाया कि ये जनाजे आधिकारिक संरक्षण में हो रहे थे।
थरूर का संदेश: “भारत को किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं”
जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’ वाले बयान पर थरूर से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा:
“हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है – पाकिस्तान अगर हमला करेगा तो हम दोगुनी ताकत से जवाब देंगे। और अगर वो रुकेगा, तो हम भी रुकेंगे। भारत को अपनी रक्षा के लिए किसी की सलाह की जरूरत नहीं।”
घरेलू राजनीति पर भी दिया बड़ा संदेश
Shashi Tharoor से जब पूछा गया कि कुछ लोग उनकी अमेरिका यात्रा और सरकार के समर्थन को पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हैं, तो उन्होंने कहा:
“राष्ट्रहित में काम करना पार्टी-विरोधी नहीं होता।
हमारे राजनीतिक मतभेद भारत की सीमाओं तक हैं, सीमा पार करने पर हम सब पहले भारतीय होते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह पार्टी छोड़ने की किसी योजना में नहीं हैं और उनका उद्देश्य भारत की बात को वैश्विक मंचों पर मजबूती से रखना है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’: भारत का निर्णायक जवाब
22 अप्रैल को हुए हमले के बाद भारत ने 7 मई को आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राइक की। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से 8, 9 और 10 मई को सीमित जवाबी कार्रवाई हुई।
10 मई को दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच हॉटलाइन पर बातचीत के बाद संघर्ष विराम पर सहमति बनी।
भारत सरकार ने इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया – एक ऐसा ऑपरेशन जो शहीदों के रक्त और भारतीय जवाबदेही की प्रतीक बन गया।
थरूर की अगुवाई में विदेशों में भारत की आवाज
भारत सरकार ने दुनिया के अलग-अलग देशों में 7 प्रतिनिधिमंडल भेजे, ताकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जा सके।
शशि थरूर की अगुवाई वाला डेलीगेशन अमेरिका, ब्राज़ील, गुयाना, पनामा और कोलंबिया के दौरे पर है।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं:
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लोजपा सांसद शांभवी चौधरी
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JMM सांसद सरफराज अहमद
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TDP सांसद हरीश बालयोगी
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भाजपा नेता शशांक मणि त्रिपाठी व तेजस्वी सूर्या
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शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा
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अमेरिका में पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: थरूर का नाम सरकार ने चुना, पार्टी ने नहीं
जब डेलीगेशन में थरूर के नाम की घोषणा हुई, तो कांग्रेस ने सफाई दी कि उन्होंने थरूर का नाम केंद्र को नहीं भेजा था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 16 मई को कांग्रेस अध्यक्ष से डेलीगेशन के लिए चार नाम मांगे थे, जिनमें थरूर नहीं थे।”
कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे।
भारत की नीति स्पष्ट है — जवाबी कार्रवाई में कोई झिझक नहीं
शशि थरूर की पूरी बातचीत और भारत सरकार की कार्रवाइयों से एक बात स्पष्ट है – भारत अब ‘सबूत इकट्ठा कर प्रतिक्रिया देने’ की बजाय, ‘सबूत के साथ-साथ त्वरित कार्रवाई’ की नीति पर चल रहा है।
पाकिस्तान की आतंक को रणनीतिक संपत्ति समझने वाली नीति पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करारा प्रहार किया है। और जब सवाल थरूर जैसे नेता के बेटे से आता है, तब जवाब सिर्फ राजनीतिक नहीं, नैतिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी सधा हुआ होना चाहिए – और यही इस बार हुआ।