नई दिल्ली : भारत सरकार ने हाल ही में सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। जिसका नेतृत्व करने की जिम्मेदारी वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) को दी गई है। जिसको लेकर उन्होंने कहा है कि वह इस भूमिका के लिए खुद को “सम्मानित” महसूस कर रहे हैं। थरूर ने सोशल मीडिया मंच X पर अपने आधिकारिक बयान में लिखा, “मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए पांच प्रमुख राजधानियों में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जहां राष्ट्रीय हित शामिल हो और मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।”

शशि थरूर (Shashi Tharoor) के इस बयान के साथ भारत सरकार द्वारा बनाई गई इस नई पहल पर देशभर में चर्चाएं शुरू हो गई हैं, खासकर तब जब कांग्रेस द्वारा सुझाए गए चार नामों को दरकिनार कर केवल थरूर को प्रतिनिधिमंडल में जगह दी गई।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल ?

  1. शशि थरूर  – वरिष्ठ कांग्रेस नेता
  2. रविशंकर प्रसाद — भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री
  3. बैजयंत ‘जय’ पांडा — भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  4. संजय कुमार झा — जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद
  5. कनिमोझी करुणानिधि — डीएमके की वरिष्ठ नेता और सांसद
  6. सुप्रिया सुले — राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद
  7. डॉ. श्रीकांत शिंदे — शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के सांसद

कांग्रेस के सुझाए गए नाम खारिज
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के अनुसार, 16 मई की सुबह केंद्रीय मंत्री किरें रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से फोन पर बात कर इस प्रतिनिधिमंडल के लिए चार नाम सुझाने का अनुरोध किया था। इसके बाद कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन, और राजा बरार के नाम भेजे, लेकिन सरकार ने इन चारों को नजरअंदाज कर सिर्फ शशि थरूर को चुना।

भाजपा की आपत्ति
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस के सुझाए गए नामों पर सवाल उठाते हुए सैयद नसीर हुसैन का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने X पर लिखा, “कूटनीतिक बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस पार्टी का चयन न केवल दिलचस्प है, बल्कि यह बेहद संदिग्ध भी है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने सैयद नसीर हुसैन का नाम सुझाया, जिनके समर्थकों ने राज्यसभा चुनाव के बाद कर्नाटक विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए थे।” उन्होंने यह भी बताया कि बेंगलुरु पुलिस ने FSL रिपोर्ट, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाहों की गवाही के आधार पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।

क्या होता है सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ?
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वह समूह होता है जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर भारत की एक संयुक्त आवाज को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना होता है। यह प्रतिनिधिमंडल विदेशों में जाकर संबंधित सरकारों, संगठनों और अधिकारियों से मिलकर भारत का पक्ष मजबूती से रखता है, खासतौर पर जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, विदेश नीति या किसी संवेदनशील मसले से जुड़ा हो।

सरकार की पहल और प्रतिनिधिमंडल की जिम्मेदारियां
भारत सरकार ने यह प्रतिनिधिमंडल हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मद्देनज़र गठित किया है। इसका उद्देश्य प्रमुख विदेशी राजधानियों का दौरा कर उन्हें भारत के रुख से अवगत कराना है। यह प्रतिनिधिमंडल 23 मई से 10 दिवसीय राजनयिक मिशन पर रवाना होगा और वाशिंगटन, लंदन, अबू धाबी, प्रिटोरिया और टोक्यो जैसे शहरों की यात्रा करेगा। इस दौरान यह दल भारत की “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” और “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत उठाए गए कदमों की जानकारी देगा।

 

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