नई दिल्ली । अमेरिका के नागरिकों पर हवाई यात्रा के दौरान चुपचाप निगरानी रखने वाला विवादास्पद ‘क्वाइट स्काईज’ (Quiet Skies) प्रोग्राम आखिरकार बंद कर दिया गया है। यह फैसला ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में लिया गया और इसके पीछे कारण था – बाइडन प्रशासन के दौरान इस निगरानी तंत्र का कथित दुरुपयोग और भारी सरकारी खर्च के बावजूद नाकामी।

डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की नई प्रमुख क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की पुष्टि की और कहा,

“यह कार्यक्रम अमेरिका की सुरक्षा में कोई मापनीय योगदान नहीं दे रहा था, लेकिन नागरिकों की निजता पर अवश्य हमला कर रहा था।”

क्या था ‘क्वाइट स्काईज’?

2010 में ओबामा प्रशासन के दौरान शुरू हुए इस प्रोग्राम का उद्देश्य था — हवाई यात्रियों में से उन लोगों की पहचान करना जो किसी संभावित सुरक्षा जोखिम का कारण बन सकते हैं।
इसके तहत:

  • अंडरकवर एयर मार्शल्स यात्रियों के हावभाव, गतिविधियों, और यात्रा पैटर्न पर नजर रखते थे।

  • चेहरे की पहचान तकनीक, संदिग्ध बुकिंग हिस्ट्री और यहां तक कि यात्रियों के शरीर की हरकतें भी दर्ज की जाती थीं।

यह सब कुछ तब भी किया जाता था जब संबंधित व्यक्ति पर कोई अपराध का आरोप नहीं होता था।

बाइडन प्रशासन पर आरोप: ‘राजनीतिक निगरानी’ का औजार बना प्रोग्राम

होमलैंड सिक्योरिटी की आंतरिक रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट्स से सामने आया कि बाइडन सरकार के दौरान इस प्रोग्राम का राजनीतिक विरोधियों पर नजर रखने के लिए दुरुपयोग किया गया।

उदाहरण:

  • पूर्व कांग्रेस सदस्य तुलसी गैबर्ड ने दावा किया कि उन्हें केवल इसलिए निगरानी सूची में डाला गया क्योंकि उन्होंने कमला हैरिस की नीतियों की आलोचना की थी।

  • कुछ मामलों में राजनीतिक सहयोगियों को इस निगरानी से जानबूझकर छूट दी गई।

DHS के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह “राजनीतिक पसंद-नापसंद के आधार पर” संचालित किया जा रहा था — जो किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

बड़ी लागत, नगण्य परिणाम

क्रिस्टी नोएम के अनुसार, इस प्रोग्राम पर अमेरिका हर साल $200 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,650 करोड़) खर्च कर रहा था।
लेकिन DHS की रिपोर्ट में कहा गया कि “इस प्रोग्राम के चलते कोई बड़ा आतंकवादी हमला रोका नहीं जा सका।”

सवाल उठने लगे कि जब कोई मापनीय सफलता नहीं है, और इसे राजनीतिक रूप से हथियार बना लिया गया है — तो इसकी जरूरत ही क्या है?

निगरानी बनाम निजता: एक बड़ी बहस

‘क्वाइट स्काईज’ को नागरिक स्वतंत्रता संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने हमेशा संविधान विरोधी करार दिया।

ACLU (अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन) ने पहले ही इस प्रोग्राम को “शक के आधार पर निगरानी का अमानवीय मॉडल” बताया था।

अब जब ट्रंप प्रशासन ने इसे खत्म किया है, तो ACLU और कई संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है।

अब आगे क्या होगा?

  • ट्रांसपोर्ट सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (TSA) को अब अपनी निगरानी रणनीति को नए मॉडल के आधार पर फिर से डिज़ाइन करने का आदेश दिया गया है।

  • डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी इस फैसले के बाद अब एक “पारदर्शी और वैध” निगरानी प्रणाली की रूपरेखा तैयार करेगा।

  • अमेरिकी कांग्रेस में कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने इस मुद्दे की और गहराई से जांच की मांग की है कि बाइडन सरकार में किन-किन लोगों पर अवैध रूप से निगरानी रखी गई थी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में कहा:

    “हम किसी को भी बिना कानूनी आधार के टारगेट नहीं कर सकते। अमेरिका की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन उसकी आड़ में संविधान की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।”

  • वहीं, डेमोक्रेट सांसदों ने इसे “एक राजनीतिक स्टंट” बताया और कहा कि “प्रोग्राम में खामियां थीं, लेकिन इसे सुधार की ज़रूरत थी, न कि खत्म करने की।”

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