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भोपाल | मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) के विवादित बयान को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि विजय शाह का बयान संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक सौहार्द के विरुद्ध है।
राजभवन के बाहर कांग्रेस विधायकों ने काले एप्रेन पहनकर विरोध प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, “जब तक मंत्री विजय शाह इस्तीफा नहीं देते, हम धरना नहीं छोड़ेंगे।” विधायक रजनीश सिंह ने मंत्री के बयान को ‘देशद्रोह’ की श्रेणी में बताया और तत्काल बर्खास्तगी की मांग की। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार मंत्री को जानबूझकर बचाने का प्रयास कर रही है।
हाईकोर्ट (HC) ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
जबलपुर हाईकोर्ट (HC) ने मंत्री विजय शाह के बयान पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। हालांकि कोर्ट ने दर्ज एफआईआर को ‘खाना-पूर्ति’ करार देते हुए कहा कि इसमें जानबूझकर अपराध की धाराओं का उल्लेख नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट (HC) की युगल पीठ ने कहा कि एफआईआर को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे आगे चलकर इसे रद्द कराना आसान हो जाए। अदालत ने एफआईआर में संशोधन के निर्देश दिए हैं और जांच की निगरानी अब सीधे अपने अधीन रखने का निर्णय लिया है।
क्या है पूरा मामला?
मंत्री विजय शाह ने इंदौर के महू में एक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने भारत-पाक संबंधों और ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कथित तौर पर समाज विशेष को निशाना बनाते हुए अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया।
इस बयान के बाद राज्यभर में विरोध तेज हो गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंदौर के मानपुर थाने में मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई होनी है।