नई दिल्ली । PM नरेंद्र मोदी आज अपनी आठ दिन और पांच देशों की बहुप्रतीक्षित विदेश यात्रा पूरी कर भारत लौट आए। इस दौरे में उन्होंने घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया जैसे रणनीतिक रूप से अहम देशों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूती देने के लिए कई अहम बैठकें कीं और भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत किया।
यह यात्रा न केवल भव्य स्वागत, सांस्कृतिक कनेक्टिविटी और सम्मानों से भरी रही, बल्कि इसमें भारत की नई विदेश नीति की झलक भी देखने को मिली — जो वैश्विक दक्षिण के साथ सहयोग, समावेश और साझेदारी पर आधारित है।
यात्रा की शुरुआत: घाना से कूटनीति की शुरुआत
पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत 1 जुलाई 2025 को घाना से हुई। यह उनका घाना का पहला दौरा था। राजधानी अक्रा में पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने वहां के राष्ट्रपति नाना अकुफो अडो के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें स्वास्थ्य, डिजिटल भुगतान प्रणाली, शिक्षा, और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर सहमति बनी।
इस दौरान भारत ने घाना को 100 मिलियन डॉलर की सहायता राशि देने की घोषणा की, जो वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद करेगी। साथ ही, “डिजिटल घाना–डिजिटल भारत” साझेदारी की शुरुआत की गई।
त्रिनिदाद और टोबैगो: भारतवंशियों से भावनात्मक जुड़ाव
त्रिनिदाद में पीएम मोदी का स्वागत भारतवंशी समुदाय ने पारंपरिक परिधानों, नृत्य और भजनों के साथ किया। यहां उन्होंने भारतीय मूल के राष्ट्रपति क्रिस्टीन कांगालू और प्रधानमंत्री से मुलाकात की।
मोदी ने एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा,
“त्रिनिदाद में भारत की आत्मा बसती है। यह रिश्तों का नहीं, रगों का नाता है।”
इस दौरान भारत और त्रिनिदाद के बीच भारतीय आयुर्वेद संस्थान, योग सेंटर और शिक्षा एक्सचेंज प्रोग्राम पर समझौते हुए।
अर्जेंटीना: उभरती साझेदारी और लिथियम कॉरिडोर
अर्जेंटीना के दौरे में मोदी ने राष्ट्रपति जेवियर मिलै से मुलाकात की। भारत और अर्जेंटीना के बीच ‘लिथियम वैल्यू चेन’ साझेदारी पर महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जो भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के लिए अहम है।
साथ ही दोनों देशों ने अंतरिक्ष सहयोग, डिफेंस टेक्नोलॉजी और खाद्य सुरक्षा के लिए भी सहयोग की रूपरेखा तय की।
ब्राज़ील में BRICS शिखर सम्मेलन और नागरिक सम्मान
मोदी ने रियो डी जेनेरियो में 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें उन्होंने वैश्विक गवर्नेंस, संयुक्त डिजिटल मुद्रा, AI सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भारत की बात मजबूती से रखी।
सम्मेलन के दौरान मोदी को ब्राज़ील का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ रिओ ब्रैंको’ प्रदान किया गया।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने कहा:
“भारत के नेतृत्व में अब विश्व दक्षिण की आवाज़ बनकर उभर रहा है।”
नामीबिया: संस्कृति, चीतों और संसद में ‘मोदी-मोदी’
यात्रा का अंतिम पड़ाव था नामीबिया, जहां पीएम मोदी का स्वागत पारंपरिक अफ्रीकी संस्कृति और ढोल-नगाड़ों के साथ किया गया। नामीबियाई संसद में उनके भाषण के दौरान ‘मोदी-मोदी’ के नारे गूंजे और उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन मिला।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा:
“भारत अफ्रीका से प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग चाहता है। हम साथ मिलकर विकास का नया अध्याय लिखेंगे।”
यहां पीएम मोदी ने भारत द्वारा लाए गए चीतों की सफलता का भी उल्लेख किया और ‘वन्यजीव संरक्षण सहयोग’ को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
संस्कृति का स्पर्श: लोक कलाओं और मंदिर स्थापत्य के उपहार
पीएम मोदी ने अपने सभी मेज़बान देशों को भारतीय संस्कृति से जुड़े उपहार दिए —
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घाना को काशी की लकड़ी पर उकेरा गया ‘नटराज’
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त्रिनिदाद को रामायण से जुड़ी मिथकीय चित्रकारी
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नामीबिया को अयोध्या से संबंधित मंदिर मूर्तियों की प्रतिकृति
इससे भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को बल मिला, जिसने रिश्तों में गर्माहट घोली।
प्रमुख समझौते और परिणाम:
देश | प्रमुख समझौते / घटनाएं |
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घाना | स्वास्थ्य, डिजिटल पेमेंट, शिक्षा, $100M सहायता |
त्रिनिदाद | योग केंद्र, आयुर्वेद संस्थान, शिक्षा एक्सचेंज |
अर्जेंटीना | लिथियम साझेदारी, अंतरिक्ष और डिफेंस सहयोग |
ब्राज़ील | BRICS में भागीदारी, सर्वोच्च नागरिक सम्मान |
नामीबिया | संसद में भाषण, वन्यजीव संरक्षण सहयोग |
10 जुलाई को दोपहर बाद पीएम मोदी दिल्ली पहुंचे। पालम एयरबेस पर विदेश मंत्री, NSA और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। भारत सरकार ने इस यात्रा को “इतिहास की सबसे रणनीतिक विदेश नीति पहल” करार दिया है।
भारत की विदेश नीति की नई दिशा
पीएम मोदी की इस यात्रा ने तीन बातें साफ कर दी हैं:
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भारत अब दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में है।
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भारत की कूटनीति अब सिर्फ व्यापार या सुरक्षा नहीं, संस्कृति, समाज और शिक्षा के बहुआयामी आधार पर चल रही है।
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PM मोदी अब ‘वैश्विक दक्षिण’ (Global South) का नेतृत्व करने वाले नेता के तौर पर उभर चुके हैं।