नई दिल्ली | ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) को लेकर चल रही चर्चा अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। इसी कड़ी में आज संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें भारत के विख्यात अर्थशास्त्री और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह समिति के समक्ष अपनी राय प्रस्तुत करेंगे।
उनका साथ देंगी प्रो. प्राची मिश्रा, जो अशोक विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और आइजैक सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी की निदेशक हैं। दोनों विशेषज्ञ मिलकर एक साथ चुनावों के वित्तीय और प्रशासनिक पहलुओं पर समिति को मार्गदर्शन देंगे।
पिछली बैठक में न्यायमूर्तियों की राय ली गई थी
इससे पहले, 11 जुलाई 2025 को आयोजित जेपीसी की बैठक में भारत के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश — न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ — ने समिति के साथ विचार साझा किए थे। इस बैठक के बाद समिति प्रमुख पी.पी. चौधरी ने इसे “राष्ट्र निर्माण का सुनहरा अवसर” बताया था।
उनके अनुसार, समिति दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मजबूत, पारदर्शी और संविधान सम्मत कानून तैयार करने पर केंद्रित है। साथ ही, उन्होंने बताया कि समिति का उद्देश्य ऐसा विधेयक बनाना है जो न्यायिक कसौटी पर भी खरा उतरे।
विधि विशेषज्ञों, पूर्व सांसदों और नेताओं की भागीदारी
पूर्व सांसद और विधि मामलों की स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष ईएमएस नचियप्पन ने भी समिति को सुझाव दिए। वहीं, पिछली बैठक में जिन प्रमुख नेताओं ने भाग लिया उनमें शामिल हैं:
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प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस)
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मनीष तिवारी (कांग्रेस)
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रणदीप सुरजेवाला (कांग्रेस)
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भर्तृहरि महताब (बीजद)
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साकेत गोखले (टीएमसी)
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शांभवी चौधरी (एलजेपी)
समिति को न्यायाधीशों की राय इसलिए ली जा रही है क्योंकि वे संविधान और विधि ढांचे के स्वतंत्र और निष्पक्ष विशेषज्ञ माने जाते हैं।
क्या है समिति का उद्देश्य?
संयुक्त संसदीय समिति वर्तमान में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा कर रही है। ये विधेयक पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की योजना को साकार करने की दिशा में उठाए गए अहम कदम हैं।
एक साथ चुनाव कराने की दो-चरणीय रणनीति
सितंबर 2024 में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की योजना दी थी:
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प्रथम चरण: लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
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द्वितीय चरण: नगर निकायों और पंचायत चुनावों को लोकसभा/विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर कराया जाए।
इसके साथ ही समिति ने एकीकृत मतदाता सूची और एकल EPIC कार्ड (मतदाता पहचान पत्र) के इस्तेमाल की सिफारिश की थी, जिससे पारदर्शिता, समावेशिता और प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी।
जनता, विशेषज्ञ और नेताओं से मिल रहा समर्थन
जेपीसी ने हाल ही में पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर जनता, नागरिक संगठनों और अधिकारियों से सुझाव लिए। समिति प्रमुख पी.पी. चौधरी के अनुसार, इस विचार को समाज के विविध वर्गों से सकारात्मक समर्थन मिला है।
लोकतंत्र के ढांचे में बड़ा बदलाव संभव
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव अगर लागू होता है, तो यह भारत के चुनावी ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है। इससे ना केवल खर्च में कटौती होगी, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी की बार-बार चुनाव ड्यूटी से राहत भी संभव होगी। अब देखना यह है कि एनके सिंह जैसे विशेषज्ञों की राय के बाद समिति कौन से ठोस सुझाव संसद में पेश करती है।