नई दिल्ली | Israel-Iran के बीच जारी सैन्य संघर्ष आज नौवें दिन में प्रवेश कर चुका है। यह टकराव अब सिर्फ सीमित जवाबी कार्रवाइयों तक नहीं रहा, बल्कि दोनों देशों के बीच पूरी तरह से युद्ध जैसी स्थिति बन चुकी है। इस बीच इजराइल ने एक और बड़ी सैन्य सफलता का दावा करते हुए ईरान के प्रमुख ड्रोन कमांडर अमीन पोर जोदखी को मार गिराने की पुष्टि की है।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब जोदखी को हाल ही में मारे गए ईरानी ड्रोन यूनिट प्रमुख ताहर फुर की जगह पर नियुक्त किया गया था। ताहर फुर को 13 जून को इजराइल ने एक सटीक हवाई हमले में मार गिराया था। उनके निधन के बाद जोदखी पर पूरी ड्रोन रणनीति की जिम्मेदारी थी। इजराइल का यह दावा उसकी सैन्य योजना की आक्रामकता को दर्शाता है, जहां उसने बीते कुछ दिनों में ईरान के कुल 12 से अधिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया है।
इनमें सबसे चर्चित नामों में ईरानी सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी और आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स) के प्रमुख होसैन सलामी शामिल हैं। यह हमले दर्शाते हैं कि इजराइल अब केवल रक्षात्मक नहीं बल्कि पूर्ण रूप से आक्रामक रणनीति अपना चुका है।
तेल अवीव से इस्फहान तक मिसाइलों की बौछार
शनिवार सुबह ईरान ने इजराइल के तेल अवीव, हाइफा, और कुछ अन्य बड़े शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इन हमलों के जवाब में इजराइल ने ईरान के कोम, इस्फहान, और सैन्य ठिकानों को टारगेट करते हुए जवाबी कार्रवाई की। इजराइल का दावा है कि उसने ईरान की सैन्य संचार प्रणाली और एक गुप्त यूएवी (ड्रोन) बेस को नष्ट कर दिया है।
ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इन जवाबी हमलों में अब तक कम से कम 2 नागरिकों की मौत हो चुकी है और 4 अन्य घायल हैं। इसके साथ ही ईरान में कुल मृतकों की संख्या 657 तक पहुंच चुकी है और 2000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। यह आंकड़े वॉशिंगटन स्थित एक स्वतंत्र ईरानी मानवाधिकार संगठन द्वारा साझा किए गए हैं।
दूसरी ओर, इजराइली स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 24 नागरिकों की मौत और 900 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। अधिकतर हमले मिसाइल और ड्रोन के माध्यम से हुए हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान: “इजराइल को रोका नहीं जा सकता”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे इजराइल से युद्ध रोकने की अपील नहीं करेंगे। ट्रम्प का कहना है कि, “अगर कोई पक्ष युद्ध में मजबूत स्थिति में है, तो उसे रोकना आसान नहीं होता। फिलहाल इजराइल की स्थिति हावी है और ऐसे में उन्हें अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।”
ट्रम्प के इस बयान को अमेरिका की विदेश नीति में परिवर्तन का संकेत भी माना जा रहा है, जहां अब वह पारंपरिक ‘मध्यस्थ’ की भूमिका की बजाय एक पक्ष की रणनीतिक मदद कर रहा है।
पुतिन की चेतावनी: “तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है”
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग में एक कार्यक्रम के दौरान इस संघर्ष पर चिंता जताई। एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर खड़ी है। ईरान की परमाणु साइटों के आसपास जो गतिविधियां हो रही हैं, वो सिर्फ मध्य-पूर्व के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय हैं।”
पुतिन ने आगे बताया कि रूस के इंजीनियर इस समय ईरान में दो नए परमाणु रिएक्टर के निर्माण में लगे हैं। ऐसे में वहां की स्थिति रूस की सुरक्षा पर भी सीधा असर डाल सकती है। उन्होंने शांति स्थापना की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि सभी पक्षों को बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटना होगा।
ईरान में इजराइल के लिए जासूसी के आरोप में 22 गिरफ्तार
ईरान के कुम प्रांत में पिछले एक सप्ताह में 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ईरानी सरकारी समाचार एजेंसी फार्स के अनुसार, इन सभी पर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने का शक है। ये गिरफ्तारियां 13 जून से लगातार की जा रही हैं और माना जा रहा है कि ये सभी लोग सैन्य व औद्योगिक सूचनाओं को लीक करने में शामिल थे।
ईरानी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि देशद्रोह और जासूसी में संलिप्त किसी भी व्यक्ति के साथ कठोरता से निपटा जाएगा।
ऑपरेशन सिंधु: 290 भारतीय सुरक्षित स्वदेश लौटे
बढ़ते संघर्ष के बीच भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया है। शनिवार को पहला विशेष विमान तेहरान से 290 भारतीयों को लेकर नई दिल्ली पहुंचा। इन यात्रियों में सबसे बड़ी संख्या जम्मू-कश्मीर के मेडिकल छात्रों की थी, जिनकी संख्या 190 बताई गई है।
एयरपोर्ट पर उतरते ही कई यात्रियों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए और कुछ ने जमीन पर सिर झुकाकर भारत सरकार और सुरक्षाबलों के प्रति आभार जताया। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि अभी और भी भारतीय नागरिक ईरान में फंसे हैं और उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं।
बढ़ते संघर्ष की आग और वैश्विक शांति की चुनौती
इजराइल और ईरान के बीच यह संघर्ष अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि इसके प्रभाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ऊर्जा आपूर्ति, वैश्विक व्यापार और कूटनीति तक पहुंच चुके हैं। पुतिन की चेतावनी, ट्रम्प की रणनीतिक भाषा और क्षेत्रीय तनाव—सभी संकेत दे रहे हैं कि यदि जल्द ही युद्धविराम और वार्ता की दिशा में प्रयास नहीं किए गए, तो यह संकट वैश्विक स्तर पर एक बड़ी आपदा का कारण बन सकता है।
भारत जैसे देश, जो अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हैं, अब इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं — चाहे वह शांति स्थापना हो, मध्यस्थता या मानवीय सहायता के रूप में।