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वॉशिंगटन- इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को उनके खिलाफ चल रहे बहुचर्चित भ्रष्टाचार मामले में फिलहाल बड़ी राहत मिली है। यरुशलम की एक जिला अदालत ने सुनवाई को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, जिससे नेतन्याहू को कुछ समय के लिए राहत मिल गई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इस मामले में खुलकर नेतन्याहू का समर्थन किया और इसे एक “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया।

नेतन्याहू पिछले चार वर्षों से इस मामले का सामना कर रहे हैं, जिसमें उन पर तीन अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेने, धोखाधड़ी करने और भरोसे को तोड़ने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, अदालत के इस ताजा फैसले ने उन्हें फिलहाल जांच प्रक्रिया से कुछ समय के लिए राहत दे दी है।

क्या है मामला?

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे तीन मामलों में आरोप हैं कि उन्होंने व्यापारिक सौदों और मीडिया कवरेज के बदले महंगे तोहफे और फायदे स्वीकार किए। इन मामलों में उन्हें रिश्वतखोरी (Bribery), धोखाधड़ी (Fraud), और विश्वासघात (Breach of Trust) जैसे अपराधों में आरोपी बनाया गया है।

हालांकि, नेतन्याहू इन सभी आरोपों से इनकार करते आए हैं और उनका कहना है कि यह उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा उन्हें बदनाम करने की साजिश है। उनका दावा है कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर सत्ता से हटाने की कोशिशें हो रही हैं।

अदालत ने सुनवाई क्यों टाली?

यरुशलम की जिला अदालत ने हाल ही में दिए अपने आदेश में कहा कि प्रधानमंत्री को अगले दो सप्ताह तक व्यक्तिगत रूप से गवाही देने से छूट दी जा रही है। इस फैसले का मुख्य कारण सुरक्षा और राजनयिक ज़रूरतें बताई गई हैं। अदालत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू इस समय गंभीर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में व्यस्त हैं, जिनमें गाजा संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई और ईरान से जुड़े मुद्दे प्रमुख हैं।

यह फैसला उस आदेश के महज़ दो दिन बाद आया है, जिसमें जज ने नेतन्याहू की सुनवाई टालने की अपील को खारिज कर दिया था। अब ट्रंप की प्रतिक्रिया के बाद अदालत के इस पलट फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

डोनाल्ड Trump की तीखी प्रतिक्रिया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुलकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे मुकदमे को “एक गहरी साजिश” बताया और इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य बताए।

ट्रंप ने लिखा,
“इज़राइल में नेतन्याहू के साथ जो कुछ हो रहा है वह बेहद शर्मनाक है। वो एक योद्धा हैं, एक रणनीतिक साझेदार हैं, और उन्होंने ईरान के परमाणु खतरे को खत्म करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर शानदार काम किया है। उन्हें इस तरह बदनाम करना स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका हर साल इज़राइल की सैन्य सहायता और सुरक्षा के लिए अरबों डॉलर खर्च करता है।
“हम इज़राइल की रक्षा के लिए सबसे बड़ा सहयोगी हैं। लेकिन अगर हमारे दोस्त नेताओं को इस तरह के मामलों में फंसाया जाएगा तो यह स्वीकार्य नहीं है। अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

गाजा और ईरान संकट का हवाला

ट्रंप ने नेतन्याहू के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों में बाधा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि नेतन्याहू को व्यस्त रखने का मकसद ईरान के साथ चल रहे नाजुक संघर्षविराम को कमजोर करना हो सकता है।

“यह कोई संयोग नहीं है कि जब नेतन्याहू ईरान और गाजा के मोर्चे पर निर्णायक कार्य कर रहे हैं, तभी उन्हें अदालतों में उलझाकर कमजोर किया जा रहा है,” ट्रंप ने लिखा।

नेतन्याहू ने दिया ट्रंप को जवाब

डोनाल्ड ट्रंप की इस खुली समर्थन के बाद, बेंजामिन नेतन्याहू ने भी जवाब दिया और ट्रंप को धन्यवाद कहा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“एक बार फिर, धन्यवाद डोनाल्ड ट्रंप। आपके समर्थन की हमें ज़रूरत है। हम मिलकर मध्य पूर्व को फिर से महान बनाएंगे।”

इस बयान के साथ नेतन्याहू ने यह संकेत भी दिया कि ट्रंप और इज़राइल की मौजूदा सरकार के बीच राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंध गहरे बने हुए हैं।

राजनीतिक विश्लेषण: ट्रंप की एंट्री से मामला और संवेदनशील

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की टिप्पणी ने इस मामले को केवल कानूनी नहीं, बल्कि पूरी तरह राजनीतिक बना दिया है। एक तरफ जहां इज़रायली विपक्ष इस राहत को “बाहरी दबाव का परिणाम” बता रहा है, वहीं नेतन्याहू समर्थक इसे “अंतरराष्ट्रीय समर्थन” करार दे रहे हैं।

ट्रंप का बयान इज़राइल के घरेलू राजनीति में सीधा हस्तक्षेप माना जा रहा है, खासकर तब जब खुद ट्रंप अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। इससे अमेरिका-इज़राइल संबंधों की दिशा और गहराई दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या होगा आगे?

फिलहाल नेतन्याहू को मिली यह राहत केवल अस्थायी है। अदालत ने सुनवाई को स्थगित किया है, समाप्त नहीं किया। दो सप्ताह बाद फिर से सुनवाई की तारीख तय की जाएगी और तब देखा जाएगा कि नेतन्याहू की ओर से क्या नया बचाव पेश किया जाता है।

इस बीच ट्रंप के बयान ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर बहस को जन्म दे दिया है। अगर अदालतों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव में फैसले लिए जा रहे हैं तो यह इज़राइल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर संकेत हो सकते हैं।

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