नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच सोमवार को बीजिंग में अहम बैठक हुई। यह वार्ता ऐसे समय पर हुई जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। बैठक का आयोजन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सुरक्षा परिषद सचिवों की 20वीं बैठक के दौरान हुआ, जिसमें डोभाल भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश
बैठक के दौरान एनएसए डोभाल ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आतंकवाद से सख्ती से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर लक्षित कार्रवाई की थी।
डोभाल ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी तत्व को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत के इस रुख को चीन के लिए भी एक संकेत माना जा रहा है कि वह पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए दबाव बनाए।
भारत-चीन संबंधों में तनाव और समाधान की कोशिश
डोभाल और वांग यी की यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में तनाव के बाद एक उच्च स्तरीय संवाद के रूप में देखी जा रही है। पूर्वी लद्दाख सीमा पर चले लंबे गतिरोध और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक खिंचाव के बाद यह बैठक संबंधों में नई शुरुआत की ओर संकेत देती है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने हाल के द्विपक्षीय घटनाक्रमों की समीक्षा की और इस बात पर सहमति जताई कि लोगों के बीच संपर्क बढ़ाकर परस्पर विश्वास को मजबूत किया जा सकता है।
सीमाओं पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता
बैठक में यह भी सहमति बनी कि सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखना दोनों देशों के हित में है। चीन में भारत के राजदूत शू फेइहोंग ने जानकारी दी कि विदेश मंत्री वांग यी ने भी इसी दिशा में आगे बढ़ने की बात कही और कहा कि भारत और चीन को संवेदनशील मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए।
वांग यी के अनुसार, वर्तमान में भारत-चीन संबंधों में कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है और भविष्य में इसे और बेहतर बनाने के लिए संवाद व सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
बहुपक्षीय सहयोग और SCO की भूमिका
एनएसए डोभाल ने चीन द्वारा शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता के दौरान निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और कहा कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर चीन के साथ सहयोग को मजबूती देना चाहता है। डोभाल ने यह भी कहा कि वे भारत में एसआर (Special Representatives) संवाद के 24वें दौर की मेजबानी के लिए वांग यी से मिलने को तैयार हैं।
वैश्विक मुद्दों पर भी हुई चर्चा
बैठक केवल द्विपक्षीय मुद्दों तक सीमित नहीं रही। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आपसी हित के विषयों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति में भारत और चीन दोनों का यह प्रयास रहा कि संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकाला जाए और सहयोग के नए रास्ते खोजे जाएं।