नई दिल्ली — अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड Trump को एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। इस बार इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के नाम की सिफारिश की है। नेतन्याहू ने इस नॉमिनेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि “डोनाल्ड ट्रंप शांति लाने वाले असली खिलाड़ी हैं और वह इस पुरस्कार के वास्तविक हकदार हैं।”
गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप के नाम की सिफारिश की गई थी, जब उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी।
अब्राहम समझौते के लिए इजराइल का आभार
इजराइल द्वारा ट्रंप को नामित करने का प्रमुख कारण रहा है 2020 में हुआ ‘अब्राहम अकॉर्ड्स’ समझौता, जिसके तहत इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, सूडान और मोरक्को के बीच राजनयिक संबंध बहाल हुए थे।
इन्हीं समझौतों के संदर्भ में नेतन्याहू ने कहा:
“ट्रंप ने इजराइल के लिए मध्य-पूर्व में स्थायी शांति की राह खोली। वर्षों से चली आ रही दूरियों को उन्होंने कूटनीति और निर्णय से समाप्त किया।“
पाकिस्तान का नॉमिनेशन: एक अलग संदर्भ
2020 में पाकिस्तान के एक संसदीय प्रतिनिधि ने भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया था। यह प्रस्ताव तब आया जब ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी।
हालांकि भारत ने उस पेशकश को ठुकरा दिया था और इसे ‘द्विपक्षीय मुद्दा’ बताते हुए साफ कर दिया कि किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार नहीं की जाएगी।
ट्रंप की प्रतिक्रिया: ‘मेरे काम को अब पहचान मिल रही है’
डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल की ओर से हुए इस नॉमिनेशन पर खुशी जताई और सोशल मीडिया पर लिखा:
“मेरे प्रयासों को अब विश्व पहचान रहा है। हमने शांति की राह पर साहसी कदम उठाए और बिना किसी युद्ध के कामयाबी हासिल की।“
उन्होंने ये भी कहा कि अगर यही काम किसी और ने किया होता तो उसे कई पुरस्कार मिल चुके होते।
नोबेल शांति पुरस्कार की प्रक्रिया क्या है?
नोबेल शांति पुरस्कार हर साल उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने विश्व में शांति, मानवाधिकार और संघर्ष समाधान के क्षेत्र में असाधारण कार्य किए हों। नामांकन की प्रक्रिया पारदर्शी होती है, और इसके लिए योग्य लोग जैसे — राष्ट्राध्यक्ष, सांसद, प्रोफेसर, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख इत्यादि — नाम सुझा सकते हैं। नामित होना ही पुरस्कार मिलने की गारंटी नहीं होती, और चयन प्रक्रिया गोपनीय होती है।
भारत की प्रतिक्रिया?
अब तक भारत सरकार की ओर से इस नॉमिनेशन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक हलकों में यह जरूर चर्चा का विषय है कि जिस व्यक्ति को पाकिस्तान और इजराइल दोनों ने नोबेल के लिए प्रस्तावित किया, उसका भारत को लेकर रुख हमेशा स्पष्ट और व्यावसायिक रहा है।
नोबेल की दौड़ में ट्रंप एक बार फिर
डोनाल्ड ट्रंप का नाम फिर एक बार नोबेल शांति पुरस्कार की रेस में है, लेकिन क्या वह अंततः विजेता बन पाएंगे? इजराइल और पाकिस्तान जैसे परस्पर विरोधी देशों द्वारा एक ही व्यक्ति के नाम को नोबेल के लिए आगे बढ़ाना, अपने आप में कूटनीतिक विरोधाभास और वैश्विक राजनीति की पेचीदगियों को उजागर करता है।