नई दिल्ली । मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और अमेरिका-इज़राइल की हालिया सैन्य कार्रवाइयों के बीच, Iran के विदेश मंत्री अब्बास अरकची आज मॉस्को पहुंचे हैं, जहां उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अहम मुलाकात तय है। यह यात्रा वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखी जा रही है।
क्यों अहम है यह मुलाकात?
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हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान — पर वायुवी हमले किए हैं।
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ईरान का कहना है कि यह हमला उसकी संप्रभुता और रणनीतिक अखंडता पर सीधा आघात है।
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ऐसे में ईरान ने रूस से कूटनीतिक और रणनीतिक समर्थन की उम्मीद जताई है।
मुलाकात के प्रमुख उद्देश्य
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रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना:
दोनों देशों ने जनवरी 2025 में “Comprehensive Strategic Partnership” समझौता किया था। अब इसका व्यावहारिक क्रियान्वयन चर्चा का प्रमुख बिंदु होगा। -
अमेरिका-इज़राइल गठजोड़ पर जवाबी रणनीति:
ईरान चाह रहा है कि रूस सिर्फ राजनयिक नहीं, बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी साथ दे, जिससे उसकी सैन्य एवं परमाणु योजनाएं सुरक्षित रह सकें। -
मध्य-पूर्व में शक्ति संतुलन:
पुतिन और अरकची की इस बातचीत का असर सीरिया, इराक, यमन और लेबनान जैसे देशों में भी पड़ सकता है, जहां ईरान और रूस पहले से प्रभाव रखते हैं।
नेताओं के बयान:
अब्बास अरकची (ईरानी विदेश मंत्री):
“रूस हमारा ऐतिहासिक सहयोगी है। आज की यह मुलाकात हमें वर्तमान संकट का समाधान साझा रूप से खोजने का अवसर देगी।”
व्लादिमीर पुतिन (रूसी राष्ट्रपति):
“हम क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के पक्षधर हैं, लेकिन एकतरफा हमलों और गैरकानूनी कार्रवाइयों को हम कभी समर्थन नहीं देंगे।”
रूस की रणनीति: समर्थन या संतुलन?
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रूस ने अमेरिका-इज़राइल द्वारा किए गए हमलों की कड़ी निंदा की है।
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लेकिन अभी तक वह खुलकर सैन्य सहयोग की घोषणा करने से बच रहा है।
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सूत्रों के अनुसार, रूस ने इज़राइल को भी सूचित किया है कि ईरान के पास परमाणु हथियार विकसित करने के कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। यह संदेश रूस की मध्यस्थ भूमिका को भी दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय नजरिए से क्या मायने?
क्षेत्र | असर |
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संयुक्त राष्ट्र (UN) | तनाव बढ़ने की स्थिति में सुरक्षा परिषद आपात बैठक बुला सकती है। |
यूरोपियन यूनियन | अमेरिका के समर्थन में खड़ा होने के बावजूद, शांति बहाली की अपील करेगा। |
भारत और चीन | ऊर्जा आपूर्ति और सामरिक स्थिरता की दृष्टि से दोनों देश स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। |
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ईरान और रूस के बीच संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस संभव है।
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रूस की ओर से ईरान को तकनीकी, सैन्य या आर्थिक समर्थन की औपचारिक घोषणा की जा सकती है।
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मध्य-पूर्व में रूस की सैन्य मौजूदगी बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।