नई दिल्ली । मध्य-पूर्व का आसमान बीते 24 घंटों में युद्ध के लपटों से धधक उठा। Iran-Israel के बीच शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक चले 8 घंटे के खूनी संघर्ष ने दुनिया की नींद उड़ा दी। भारतीय समयानुसार शुक्रवार रात 10:30 बजे शुरू हुए इस संघर्ष में इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त एयरस्ट्राइक की, तो जवाब में ईरान ने 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।
यह जंग सिर्फ जमीन पर नहीं, कूटनीतिक मोर्चे पर भी लड़ी गई—जहां नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री मोदी से बात कर हालात बताए, वहीं अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल उठे। लड़ाई का दायरा जॉर्डन, लेबनान, सीरिया तक फैल गया। आइए समझते हैं इस भीषण टकराव की पूरी कहानी, 7 बड़े बिंदुओं और हर एंगल से।
इजराइल का ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’: ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन
इजराइल ने अपने सबसे बड़े हवाई हमले ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ की शुरुआत शुक्रवार सुबह 5:30 बजे की थी। इसमें 200 फाइटर जेट्स ने एकसाथ उड़ान भरी और ईरान के परमाणु संयंत्रों, मिलिट्री बेस और रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के ठिकानों को टारगेट किया।
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6 परमाणु वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा मिलिट्री कमांडर मारे गए।
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तेहरान के पास स्थित फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी को विशेष रूप से निशाना बनाया गया।
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इजराइली मिसाइलों ने ईरानी मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम को जाम कर दिया।
ईरान का पलटवार: ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ की मिसाइल वर्षा
इजराइली हमले के महज कुछ घंटों बाद ईरान ने ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ ऑपरेशन लॉन्च किया। इस नाम से शुरू हुआ पलटवार इतना भयानक था कि इजराइल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहरों में एयर सायरन गूंज उठे।
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150 बैलिस्टिक मिसाइलें इजराइल की ओर दागी गईं।
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6 मिसाइलें सीधे तेल अवीव में गिरीं।
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2 नागरिकों की मौत, 90 से ज्यादा घायल हुए।
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ईरानी मीडिया का दावा—इजराइली रक्षा मंत्रालय को भी टारगेट किया गया।
8 घंटे की भीषण लड़ाई का समयक्रम (भारतीय समयानुसार):
समय | घटना |
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सुबह 5:30 | इजराइल का पहला हमला—परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया |
रात 10:30 | इजराइली फाइटर जेट्स का दूसरा बड़ा हमला |
रात 11:30 | ईरान की मिसाइल लॉन्चिंग शुरू—150 मिसाइलें दागीं |
सुबह 1:00 | डेड सी पर ईरानी ड्रोन मार गिराए |
सुबह 2:00 | नेतन्याहू को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया |
सुबह 4:00 | लेबनान सीमा पर इजराइली रिजर्व फोर्स तैनात |
सुबह 7:15 | ईरानी हमले खत्म, जॉर्डन ने एयरस्पेस दोबारा खोला |

इजराइल का दावा: अब तक की सबसे बड़ी एयरस्ट्राइक
इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के मुताबिक—
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एयरफोर्स ने डेड सी और दक्षिणी वेस्ट बैंक के पास कई ईरानी ड्रोन को इंटरसेप्ट कर गिराया।
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गैलिली पैनहैंडल और किरयात शमोना में ड्रोन घुसपैठ की चेतावनी के लिए सायरन बजाए गए।
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लेबनान और सीरिया की सीमाओं पर रिजर्व बटालियन की तैनाती की गई।
ईरानी पक्ष: अमेरिका और इजराइल पर सीधा हमला
ईरानी अधिकारियों ने कहा—
“यह हमला हमारे आत्म-सम्मान और संप्रभुता की रक्षा के लिए था। इजराइल ने हमारी सीमा रेखाएं पार कीं, जवाब लाजमी था।“
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ईरान ने अमेरिका पर सीधा आरोप लगाया कि वह इजराइल का समर्थन कर रहा है।
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न्यूक्लियर डील पर बातचीत रद्द कर दी गई जो रविवार को होनी थी।
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ईरानी संसद में ‘युद्ध की घोषणा की मंजूरी’ पर चर्चा हुई।
दुनिया की प्रतिक्रियाएं: भारत, अमेरिका और जॉर्डन की भूमिका
भारत:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइली पीएम नेतन्याहू के बीच फोन पर बातचीत हुई। भारत ने युद्ध के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई लेकिन दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की।
अमेरिका:
डोनाल्ड ट्रंप ने X (पूर्व ट्विटर) पर ईरान को धमकी दी—
“अगर डील नहीं करते, तो अगली बार और बड़ा हमला होगा।”
जॉर्डन:
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शुरू में एयरस्पेस बंद किया गया।
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शनिवार सुबह 7:30 बजे फिर से खोला गया।
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प्रवक्ता ने कहा—”हवाई क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं होगा।”
इजराइल के अंदरूनी हालात: सायरन, बंकर और दहशत
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तेल अवीव, हाइफा, बीयरशेवा जैसे शहरों में सायरन की आवाज़ें गूंजती रहीं।
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लोगों को बंकरों में शरण लेने की सलाह दी गई।
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43 इजराइली नागरिक घायल, जिनमें 23 को इलाज के बाद छुट्टी दी गई।
भविष्य की आशंका: ये सिर्फ शुरुआत है?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि—
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इजराइल और ईरान के बीच यह टकराव अब सीमा युद्ध में तब्दील हो सकता है।
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लेबनान के हिज़बुल्लाह संगठन की भी एंट्री संभव है।
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अगर सीरिया या जॉर्डन की सीमा पर और हमले हुए, तो यह पूरे मिडल ईस्ट को चपेट में ले सकता है।
भारत की चिंता: खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय
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भारत सरकार ने खाड़ी देशों में रह रहे 90 लाख से अधिक भारतीयों की सुरक्षा पर चिंता जताई।
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MEA (विदेश मंत्रालय) ने एडवाइजरी जारी की है कि भारतीय नागरिक सतर्क रहें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?
मध्य-पूर्व के इस ताजा संघर्ष ने वैश्विक स्थिरता के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। परमाणु ठिकानों पर हमला, मिसाइलों की बौछार, और सुपरपावर देशों की रणनीतिक चुप्पी इस बात का संकेत दे रही है कि मामला अब सिर्फ ‘बॉर्डर क्रॉसिंग’ का नहीं रहा, यह आमने-सामने की खुली जंग है।
दुनिया को अब जरूरत है शांति की मध्यस्थता की—चाहे वो भारत करे, अमेरिका करे या फिर संयुक्त राष्ट्र। वरना एक और चिंगारी इतिहास को खून में रंगने में देर नहीं लगाएगी।