नई दिल्ली । अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के लिए गौरव और उत्साह का प्रतीक बन चुका Axiom-4 मिशन एक बार फिर से स्थगित कर दिया गया है। इस मिशन में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक भेजा जाना है, जो भारत के इतिहास में एक नई इबारत लिखने जा रहा है। परंतु अब Axiom Space ने आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया है कि यह लॉन्च अब 22 जून 2025 तक के लिए टाल दिया गया है। यह खबर न केवल भारतीय अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए मायूस करने वाली है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी स्पेस मिशन प्लानिंग की जटिलताओं को रेखांकित करती है।

देरी के पीछे तकनीकी कारण

इस बार लॉन्च में देरी का कारण महज़ मौसम या साधारण तकनीकी रुकावट नहीं, बल्कि गंभीर इंफ्रास्ट्रक्चरल और सेफ़्टी संबंधी मुद्दे हैं। Axiom और NASA ने एक संयुक्त बयान में बताया कि इस देरी की मुख्य वजह स्पेस स्टेशन के रूसी सेगमेंट Zvezda मॉड्यूल में संदिग्ध लीक की जाँच है, जिससे ISS में दबाव असमान हो गया है। इसके साथ-साथ SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) सिस्टम में लीकेज पाया गया, जिसने मिशन की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ और बढ़ा दीं।

पहले यह मिशन 11 जून को लॉन्च होने वाला था, जिसे बाद में 19 जून किया गया, और अब इसकी संभावित तारीख 22 जून तय की गई है। NASA और Axiom दोनों ही मिशन के किसी भी पहलू में लापरवाही बरतने के पक्ष में नहीं हैं, और उन्होंने स्पष्ट किया है कि सभी तकनीकी परीक्षणों और सुरक्षा जाँचों के पूरे होने के बाद ही अंतिम हरी झंडी दी जाएगी।

भारत के लिए ऐतिहासिक अवसर

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हैं और अगर मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च होता है, तो वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुँचने वाले दूसरे भारतीय नागरिक और पहले ऐसे भारतीय होंगे जो किसी निजी स्पेस मिशन के तहत यह मुकाम हासिल करेंगे। राकेश शर्मा के बाद यह भारत के लिए मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक बड़ी छलांग होगी।

शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट हैं और उन्हें ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया था। इस मिशन में वे माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों और जैविक प्रयोगों जैसे कई शोधों पर काम करेंगे। ISRO और भारत सरकार की ओर से उन्हें विशेष वैज्ञानिक उपकरण भी दिए गए हैं जिन्हें वह ISS में इस्तेमाल करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल

Axiom-4 मिशन केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग भर नहीं, बल्कि एक वैश्विक सहयोग की मिसाल भी है। इसमें अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्षयात्री एक साथ अंतरिक्ष में काम करेंगे। मिशन कमांडर के रूप में पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन टीम का नेतृत्व करेंगी। उनके साथ स्लावोष उज़नांस्की (पोलैंड), तिबोर कापु (हंगरी) और शुभांशु शुक्ला (भारत) इस मिशन के क्रू सदस्य हैं।

यह सहयोग न केवल विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने का प्रयास है, बल्कि यह बताता है कि अब अंतरिक्ष अनुसंधान केवल सरकारी संस्थानों तक सीमित नहीं रह गया है। Axiom जैसी निजी कंपनियाँ अब अंतरिक्ष को वाणिज्यिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से उपयोग में ला रही हैं, और भारत जैसे देशों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है।

वैज्ञानिक महत्त्व और प्रयोग

Axiom-4 मिशन के दौरान लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोगों की योजना है। इनमें से सात पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें कृषि, औषधि, जैव प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय अनुसंधान शामिल हैं। इन प्रयोगों के माध्यम से भारत यह देखना चाहता है कि माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थितियों में हमारे जैविक तंत्र और औषधीय व्यवहार कैसे बदलते हैं।

इसके अलावा, शुक्ला को स्पेस स्टेशन में ISRO के माइक्रोबायोलॉजी मॉड्यूल का भी परीक्षण करना है, जो भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में उपयोगी हो सकता है। इससे यह भी पता लगाया जाएगा कि भारतीय तकनीकें अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में कितनी कारगर साबित होती हैं।

भविष्य के लिए संकेत

इस देरी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरिक्ष अभियान केवल टेक्नोलॉजी का नहीं, बल्कि धैर्य और रणनीतिक योजना का खेल है। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा, और आने वाले वर्षों में गगनयान जैसे मिशनों की सफलता की नींव रखेगा। हालांकि हर बार लॉन्च टलने से लोगों में निराशा होती है, लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान में यह आम बात है — और ज़िम्मेदारी के साथ चलने वाली योजनाएँ ही लंबे समय में सुरक्षित भविष्य की गारंटी देती हैं।

भारत के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वह इस मिशन के ज़रिए वैश्विक स्पेस कूटनीति में अपनी पकड़ मजबूत करे। चाहे वह NASA हो, ESA हो या Axiom जैसी निजी कंपनियाँ — भारत अब एक ऐसा साझेदार बन गया है जिसे केवल प्रेक्षक नहीं, एक निर्णायक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

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