नई दिल्ली । तमाल युद्धपोत की तैनाती से हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत को बड़ा बल मिलेगा। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और स्टील्थ तकनीक से लैस इस जहाज को आज आधिकारिक रूप से Indian Navy में शामिल किया जाएगा।
Indian Navy आज एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने जा रही है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस ‘आईएनएस तमाल’ (INS Tamal) को आज औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस युद्धपोत की तैनाती से भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
तमाल एक स्वदेशी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल युद्धपोत है जिसे भारत में ही डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, आधुनिक रडार प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और अत्याधुनिक सेंसर लगाए गए हैं।
कैसा है ‘तमाल’ युद्धपोत?
INS तमाल एक नेक्स्ट-जेनरेशन स्टील्थ फ्रिगेट है। इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह दुश्मन की रडार पकड़ से बाहर रहे। इसकी सतह पर विशेष कोटिंग और बनावट दी गई है जिससे इसका रडार क्रॉस सेक्शन बहुत कम हो जाता है।
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लंबाई: लगभग 150 मीटर
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वजन: करीब 6,800 टन
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गति: 30 नॉट्स से अधिक (लगभग 55 किमी/घंटा)
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क्रू क्षमता: 250 से अधिक नौसैनिक
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निर्माण स्थल: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, मुंबई
ब्रह्मोस मिसाइल से लैस: हवा, पानी और जमीन पर हमला संभव
INS तमाल की सबसे बड़ी ताकत है इसका ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम।
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ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में से एक है।
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यह 290 से 450 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को निशाना बना सकती है।
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यह मिसाइल समुद्र से समुद्र, समुद्र से जमीन और समुद्र से हवा में मार कर सकती है।
इससे INS तमाल को मल्टी-रोल कॉम्बैट फ्रिगेट बना दिया गया है जो दुश्मन के जहाजों, मिसाइल सिस्टम और तटवर्ती ठिकानों को तबाह कर सकता है।
रडार की पकड़ से बाहर: स्टील्थ टेक्नोलॉजी का कमाल
INS तमाल में स्टील्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग इसे अन्य युद्धपोतों से अलग बनाता है।
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जहाज की बाहरी बनावट विशेष कोणों पर आधारित है जो रडार तरंगों को परावर्तित नहीं होने देती।
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इससे यह युद्धपोत शत्रु की निगरानी प्रणाली में आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता।
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तमाल के पास आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और एंटी-सर्विलांस सिस्टम भी मौजूद हैं।
बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली
तमाल में सुरक्षा के लिए बहुस्तरीय डिफेंस सिस्टम मौजूद है:
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AK-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS) जो अंतिम समय में आने वाले मिसाइल हमले को भी रोक सकता है।
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बराक 8 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, जो हवा में आने वाले खतरों का पता लगाकर उन्हें मार गिराने में सक्षम है।
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जहाज में टॉरपीडो डिफेंस सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर और हेलीकॉप्टर डेक भी शामिल है।
हिंद महासागर में भारत की पकड़ होगी और मजबूत
INS तमाल की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की निगरानी, सुरक्षा और युद्धक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा।
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यह जहाज समुद्री सीमा पर गश्त, निगरानी, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन, और संकट के समय इवैक्युएशन मिशन में भी काम आएगा।
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दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में भारत की सैन्य रणनीति को मजबूती मिलेगी।
‘तमाल’ – आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण
INS तमाल को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत तैयार किया गया है। इसमें 75% से अधिक उपकरण और तकनीक स्वदेशी है।
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यह भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के तकनीकी विकास को भी दर्शाता है।
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DRDO, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और कई निजी कंपनियों ने इसमें योगदान दिया है।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारी मानते हैं कि INS तमाल से भारत को केवल रणनीतिक बढ़त ही नहीं मिलेगी, बल्कि इससे मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाया जा सकेगा।
“तमाल जैसे जहाज भारत को 21वीं सदी की समुद्री शक्तियों में लाकर खड़ा करते हैं,” — रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश
भारत की समुद्री ताकत को मिली नई धार
INS तमाल का नौसेना में शामिल होना न केवल सैन्य दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के सामरिक और औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।
यह युद्धपोत भविष्य के युद्धों की तैयारियों के लिए भारत को सशक्त करेगा और वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।