सीमा पार आतंकवाद पर दो टूक: राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा
नई दिल्ली । भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर एक बार फिर India की स्पष्ट, दृढ़ और निर्णायक नीति को दोहराया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच से कड़े शब्दों में कहा कि “भारत को अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है, और अगर हमें आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने पड़ें, तो हम पीछे नहीं हटेंगे।“
जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब सीमा पार आतंकवाद के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और भारत की आंतरिक सुरक्षा पर खतरे मंडरा रहे हैं। ऐसे माहौल में उनका यह रुख भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।
वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक स्पष्टता
जयशंकर ने कहा कि आज आतंकवाद कोई क्षेत्रीय समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक संकट है। भारत ने हमेशा शांति, संयम और संवाद की नीति को अपनाया है, लेकिन यदि आतंकवादी तत्व हमारी धरती को निशाना बनाते हैं या निर्दोष नागरिकों की जान लेते हैं, तो भारत निर्णायक कार्यवाही करने में संकोच नहीं करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देश अब भी आतंकवाद को “राजनीतिक औजार” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मिलता है। यह न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और मानवाधिकारों के खिलाफ एक गंभीर अपराध है।
सीमा पार आतंकवाद को लेकर कड़ा रुख
जयशंकर ने अपने बयान में बिना किसी देश का नाम लिए साफ संकेत दिया कि भारत उन देशों की नीति को बर्दाश्त नहीं करेगा जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा,
“हम उन तत्वों को चेतावनी देते हैं जो भारत की अखंडता पर हमला करने की कोशिश करते हैं – भारत जवाब देने में सक्षम भी है और तैयार भी।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा, चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो, एयर स्ट्राइक हो या कूटनीतिक दबाव।
दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एक होना होगा
भारत के विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे आतंकवाद को लेकर दोहरे मापदंड अपनाना बंद करें। उन्होंने कहा कि
“अब समय आ गया है कि दुनिया ‘अच्छे आतंकवादी’ और ‘बुरे आतंकवादी’ के बीच फर्क करना बंद करे।”
भारत का हमेशा यह मानना रहा है कि आतंकवाद का कोई धर्म, जाति या क्षेत्र नहीं होता। यह मानवता के खिलाफ युद्ध है और इसे किसी भी रूप में सहन नहीं किया जाना चाहिए।
भारत की कार्रवाई और कूटनीतिक मोर्चेबंदी
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं:
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2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स को निशाना बनाकर की गई थी।
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2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक, पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में की गई यह कार्रवाई एक बड़ा संदेश थी।
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FATF के जरिए पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखने की कोशिशों में भारत की बड़ी भूमिका रही है।
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अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादी संगठनों को ब्लैकलिस्ट करवाना, जैसे कि मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित करवाना।
जयशंकर का ताजा बयान इन सभी प्रयासों को एक मजबूत नैतिक और कूटनीतिक समर्थन देता है।
आंतरिक सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता
सरकार की यह नीति भी साफ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सुरक्षा बलों को पूर्ण स्वतंत्रता और संसाधन दिए जाएं ताकि वे आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जान भी दी है, लेकिन कभी झुका नहीं।
भारत की वैश्विक भूमिका और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत न केवल आतंकवाद से पीड़ित रहा है, बल्कि अब वह इस लड़ाई में वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है।
जयशंकर ने कहा कि “भारत अब सिर्फ पीड़ित नहीं, बल्कि समाधान का नेतृत्व करने वाला देश है।”
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भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद विरोधी कानूनों को सख्त करने की मांग कर रहा है।
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QUAD, SCO, G20 जैसे मंचों पर भारत आतंकवाद के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहा है।
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अफगानिस्तान, म्यांमार, अफ्रीकी देश और मध्य-एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत कूटनीतिक प्रयास कर रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत का संकल्प अटूट
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान भारत की नीति का मजबूत प्रतिबिंब है – संप्रभुता सर्वोपरि है, नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति समझौताविहीन है।
यह बयान न केवल देश के भीतर सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह संदेश देता है कि भारत एक जिम्मेदार, सक्षम और दृढ़ राष्ट्र है, जो आतंकवाद का हर स्तर पर मुकाबला करने के लिए तैयार है।