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नई दिल्ली | India ने एक और कृषि क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने शुक्रवार को जानकारी दी कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है। खास बात यह है कि 2013-14 की तुलना में देश में अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में 142% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो अब बढ़कर 147 लाख टन पर पहुंच गया है।
यह जानकारी उन्होंने ‘अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि सम्मेलन 2025’ के उद्घाटन सत्र के दौरान दी। उन्होंने कहा, “मत्स्य पालन क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 9% है, जो कृषि से जुड़े अन्य सभी क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक है।”
मुख्य बिंदु (Highlights):
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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश।
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अंतर्देशीय उत्पादन 147 लाख टन तक पहुंचा।
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2013-14 के मुकाबले 142% की बढ़ोतरी।
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औसत वृद्धि दर: 9% (सभी कृषि क्षेत्रों में सबसे अधिक)।
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केंद्र की योजनाओं और स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका।
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पोषण, आय, और निर्यात में मजबूत योगदान।
नीली क्रांति और योजनाओं की भूमिका
राजीव रंजन सिंह ने ‘नीली क्रांति’, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, एफआईडीएफ, और मत्स्य किसान समृद्धि योजना जैसी पहलों की सफलता का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये योजनाएं उत्पादन और निर्यात बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुई हैं।
उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे:
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एफआईडीएफ (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund) का अधिकतम उपयोग करें।
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आईसीएआर के साथ समन्वय कर कार्य योजना तैयार करें।
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सजावटी मछली पालन, खारे जल की कृषि, और शीत जल मत्स्य पालन के विस्तार पर ध्यान दें।
राज्यों की सराहना और सुझाव
मंत्री सिंह ने कहा, “अंतर्देशीय राज्यों ने जो प्रगति की है, वह प्रशंसनीय है, लेकिन अभी भी उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की बड़ी गुंजाइश है।”
उन्होंने मत्स्य पालन को पोषण सुरक्षा, ग्रामीण विकास, और विकसित भारत के निर्माण में एक मजबूत स्तंभ बताया।
राज्य मंत्रियों और अधिकारियों की टिप्पणियाँ
राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कहा कि “मत्स्य पालन किसानों की आय दोगुनी करने का साधन बन सकता है।” उन्होंने देशभर में मत्स्य पालन से जुड़े 300 से अधिक स्टार्टअप्स के योगदान की सराहना की, जो डिजिटल तकनीक, वैल्यू एडिशन, और पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट में कार्यरत हैं।
वहीं राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा, “देश में मत्स्य पालन की परिवर्तनकारी क्षमता है जो सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला सकती है। पारंपरिक ज्ञान को इनोवेशन से जोड़कर ग्रामीण समुदायों को **सशक्त बनाया जा सकता है।”
अनुसंधान और बीज गुणवत्ता पर ज़ोर
मंत्रालय के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि “आईसीएआर के साथ मिलकर देश में गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता और ब्रूड बैंक विकसित करना ज़रूरी है जिससे उत्पादकता में बड़ा उछाल आ सके।”