नई दिल्ली । greta thunberg और उनकी टीम 1 जून को इटली के सिसली द्वीप से रवाना हुईं। उनके साथ 11 अन्य कार्यकर्ता ‘मैडलीन’ नाम के जहाज पर सवार हैं। यह जहाज फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन (FFC) के अभियान का हिस्सा है, जिसमें दवाएं, अनाज, बच्चों के लिए दूध, डाइपर और पानी के फिल्टर जैसे जीवन रक्षक सामान मौजूद हैं। इस मिशन का लक्ष्य 7 जून को ईद के दिन गाजा पहुंचना है।
शांतिपूर्ण विरोध और इजराइल की चेतावनी
इस अभियान को पूरी तरह से अहिंसक बताया गया है। FFC के मुताबिक, जहाज में मौजूद सभी लोग गैर-हिंसक प्रतिरोध के सिद्धांत में प्रशिक्षित हैं। हालांकि, इजराइल ने इस मिशन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। इजराइली सेना ने साफ किया है कि अगर जहाज ने उनकी अनुमति के बिना सीमा पार की, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ी तो सवार लोगों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
ग्रेटा थनबर्ग का भावुक बयान
रवाना होने से पहले ग्रेटा थनबर्ग ने कहा, “अगर इंसानियत में कोई बची-खुची उम्मीद है, तो हमें फिलिस्तीन के लिए आवाज उठानी होगी। मैं इसलिए यहां हूं क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है।”
क्यों जरूरी है यह मिशन?
गाजा में इस समय 23 लाख की आबादी भुखमरी का सामना कर रही है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इजराइल-हमास युद्ध के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 93% लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं और सैकड़ों बच्चों की मौत भूख से हो चुकी है।
इजराइल ने 2 मार्च 2025 से गाजा में सहायता सामग्री की एंट्री पर रोक लगा दी है। यही वजह है कि मैडलीन मिशन को दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल रहा है।
मैडलीन की ट्रैकिंग और ड्रोन निगरानी
जहाज की लोकेशन को लगातार ट्रैक किया जा रहा है। 4 जून को यह सिसिली से 600 किमी दूर था। 5 जून को ग्रीस के तट से 68 किमी दूर इसे ड्रोन से ट्रैक किया गया, जो ग्रीक कोस्टगार्ड का था। इससे सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इजराइल का विरोध क्यों?
शुरुआत में इजराइली प्रशासन मैडलीन को गाजा डॉक करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा था, लेकिन बाद में रुख सख्त हो गया। इजराइली अधिकारियों का कहना है कि अगर एक बार ऐसे प्रयासों को अनुमति दी गई तो यह एक मिसाल बन जाएगा, जिससे समुद्री नाकेबंदी कमजोर पड़ सकती है और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा।
पिछली कोशिशें और इजराइल की कार्रवाई
इससे पहले मई 2025 में भी FCC का ‘कॉन्साइंस’ नामक जहाज गाजा पहुंचने की कोशिश कर चुका है, लेकिन इजराइली नौसेना ने उसे रोक दिया था।
इतिहास गवाह है कि 2010 में फ्रीडम फ्लोटिला पर इजराइली सेना ने हमला किया था, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी। यह हमला अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में हुआ था, जिससे इजराइल की वैश्विक आलोचना हुई थी।
गाजा: एक मानवाधिकार आपदा
गाजा पिछले 17 वर्षों से इजराइल की नाकेबंदी झेल रहा है। 2007 में हमास के नियंत्रण के बाद इजराइल ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए गाजा की सीमाएं सील कर दीं। समुद्री रास्तों पर नौसैनिक घेरा भी बना दिया गया।
इसका सीधा असर वहां के नागरिकों पर पड़ा है। खाने, दवाओं, पानी और जरूरी संसाधनों की भारी कमी है। अक्टूबर 2023 से अब तक 54,600 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
निष्कर्ष: क्या दुनिया गाजा की पुकार सुनेगी?
greta thunberg की यह पहल केवल एक पर्यावरण कार्यकर्ता की भूमिका नहीं, बल्कि एक वैश्विक नागरिक की जिम्मेदारी को दर्शाती है। यह मिशन एक सवाल है कि क्या मानवीय मूल्यों के लिए सीमाओं से परे जाकर काम किया जा सकता है?
अब पूरी दुनिया की नजर मैडलीन मिशन और इजराइल की प्रतिक्रिया पर है। क्या यह जहाज गाजा के पीड़ितों तक राहत पहुंचा पाएगा, या फिर यह एक और मानवीय प्रयास इजराइली सुरक्षा के नाम पर रोक दिया जाएगा?
यह तय करेगा कि दुनिया आज भी इंसानियत की पुकार सुनने को तैयार है या नहीं।