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Dr. Subramanian Swamy ने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2023 के आदेश के अनुसार, उन्होंने केंद्र सरकार को रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए अर्जी दी थी। उन्होंने यह अर्जी 27 जनवरी 2023 और 13 मई 2025 को प्रस्तुत की थी। हालांकि, अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

 जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:

  • 19 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूचित किया कि रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया संस्कृति मंत्रालय में चल रही है। साथ ही, कोर्ट ने Dr. Subramanian Swamy को मंत्रालय के समक्ष अर्जी प्रस्तुत करने की अनुमति दी थी।

  • कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि Dr. Subramanian Swamy को सरकार के निर्णय से असंतोष हो, तो वे पुनः न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया (2018 में):

    • केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि सेतुसमुद्रम परियोजना में ऐसा कोई मार्ग नहीं अपनाया जाएगा जिससे रामसेतु को क्षति पहुंचे

    • सरकार ने यह भी कहा था कि वह रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर विचार कर रही है, और एक अध्ययन जारी है।

वर्तमान स्थिति:

Dr. Subramanian Swamy का कहना है कि उन्होंने कोर्ट के निर्देशानुसार अर्जी दी, लेकिन सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। इसलिए, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार को इस विषय पर समयबद्ध निर्णय लेने का निर्देश दे।

याचिका का विस्तृत विश्लेषण (May 2025 Supreme Court Petition by Dr. Swamy)

   पृष्ठभूमि:

  • Dr. Subramanian Swamy वर्षों से रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में उन्हें केंद्र सरकार को अर्जी देने की सलाह दी थी।

  • उन्होंने दो बार सरकार को पत्र/अर्जी दी:

    • पहली बार: 27 जनवरी 2023

    • दूसरी बार: 13 मई 2025


 याचिका में उठाए गए प्रमुख बिंदु:

  1. कोर्ट के जनवरी 2023 के आदेश के अनुपालन का हवाला:

    • Dr. Subramanian Swamy ने कहा कि उन्होंने कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार को प्रतिनिधित्व (representation) दिया है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

  2. रामसेतु का सांस्कृतिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक महत्व:

    •  यह स्थल हिंदू आस्था, रामायण और भारतीय विरासत से जुड़ा है।

    • वाल्मीकि रामायण में इसका वर्णन है कि श्रीराम ने इसे वानरों की सहायता से बनाया था।

  3. “राष्ट्रीय स्मारक” घोषित करने की मांग:

    • याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह एक “समय-सीमा (time-bound)” में निर्णय ले।

  4. सरकारी निष्क्रियता पर आपत्ति:

    • याचिकाकर्ता का दावा है कि सरकार ने जानबूझकर देरी की है और यह आस्था और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के खिलाफ है।

  5. कोई वैधानिक बाधा नहीं:

    • याचिका में कहा गया है कि 1958 का “प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल अधिनियम” सरकार को यह शक्ति देता है कि वह ऐसे स्थलों को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर सके।

सुप्रीम कोर्ट का संभावित रवैया:

  • चूंकि यह नीतिगत निर्णय (policy decision) की श्रेणी में आता है, इसलिए कोर्ट सीधे स्मारक घोषित करने का आदेश नहीं देगा, लेकिन यह केंद्र को “निर्णय लेने की समयसीमा” देने का निर्देश दे सकता है। सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कह सकता है..

“भारत की सांस्कृतिक आत्मा में रचा-बसा रामसेतु”

“रामसेतु भारत की पौराणिक विरासत का वह अमिट अध्याय है, जो न केवल धार्मिक आस्था का केन्द्र है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक गर्व का भी प्रतीक है। अतः इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाना केवल एक विधिक कर्तव्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक ऋण की पूर्ति भी है।”

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