नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता जा रहा है। आज सत्र का पांचवां दिन था लेकिन एक बार फिर दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही। इस बार बहस की वजह बना है बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसे चुनाव आयोग Special Intensive Revision (SIR) कह रहा है।
विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया दलित, आदिवासी और गरीब मतदाताओं को सूची से हटाने की एक साजिश है। वहीं चुनाव आयोग और सरकार इसे एक नियमित, पारदर्शी प्रक्रिया बता रहे हैं, जिसका मकसद डुप्लिकेट और अवैध वोटरों को हटाना है।
विपक्षी प्रदर्शन: ‘खतरे में लोकतंत्र’
SIR के मुद्दे को लेकर आज कांग्रेस और INDIA गठबंधन के सांसदों ने संसद परिसर में विरोध मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
प्रियंका गांधी ने हाथ में ‘खतरे में लोकतंत्र’ लिखा पोस्टर लहराकर सरकार को घेरा। प्रदर्शनकारी सांसदों का कहना है कि यह अभियान चुनाव आयोग की संवैधानिक भूमिका को राजनीतिक दबाव में लाने की कोशिश है।
संसद में लगातार गतिरोध
21 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में अब तक कोई सुचारु कार्यवाही नहीं हो सकी है। विपक्ष SIR के अलावा पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर भी प्रधानमंत्री से संसद में बयान की मांग कर रहा है।
विपक्षी दलों ने लोकसभा और राज्यसभा में नियम 267 और स्थगन प्रस्ताव के तहत बार-बार नोटिस दिए हैं, लेकिन हंगामे के चलते चर्चा शुरू नहीं हो सकी।
सरकार और चुनाव आयोग की सफाई
वहीं केंद्र सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है। आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में नागरिकों को आपत्तियों और दावे दर्ज करने का पूरा मौका दिया जा रहा है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी समुदाय को जानबूझकर मताधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तैयारी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 28 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हो सकती है। हालांकि विपक्ष इस पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति और जवाब की मांग कर रहा है।
क्या है SIR?
SIR यानी Special Intensive Revision, एक प्रक्रिया है जिसके तहत चुनाव आयोग मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाता है। इसमें डुप्लिकेट वोटर, मृत नागरिकों के नाम, फर्जी पते आदि को हटाया जाता है। लेकिन बिहार में इस प्रक्रिया को लेकर सामाजिक और राजनीतिक चिंताएं बढ़ गई हैं, खासकर जब चुनाव पास हैं।