नई दिल्ली । Iran और इजरायल के बीच 12 दिन तक चली भीषण जंग भले ही थम गई हो, लेकिन उसके बाद भी मध्य पूर्व में तनाव की चिंगारी बुझी नहीं है। अब इस तनाव को और भड़काने वाला एक गंभीर बयान सामने आया है। ईरान के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी कर उन्हें “अल्लाह का दुश्मन” करार दिया है।
यह फतवा उस समय जारी किया गया है जब दुनिया को उम्मीद थी कि सीजफायर के बाद पश्चिम एशिया में शांति बहाल होगी। लेकिन शिराजी के इस फतवे ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने मुस्लिमों से आह्वान किया है कि वे एकजुट होकर ट्रंप और नेतन्याहू की नीतियों का विरोध करें।
क्या कहा गया फतवे में?
Iran के धर्मगुरु शिराजी द्वारा जारी फतवे में ट्रंप और नेतन्याहू को “मोहरेब” यानी “ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाला” करार दिया गया है। ईरान के इस्लामी कानून के तहत मोहरेब को सबसे कठोर सजा दी जा सकती है – जैसे फांसी, अंग काटना, सूली पर चढ़ाना या निर्वासन।
फतवे में कहा गया है:
“कोई भी व्यक्ति या सरकार जो किसी धार्मिक नेता या मरजा को धमकाता है या इस्लामी मूल्यों को अपमानित करता है, वह अल्लाह के खिलाफ युद्ध कर रहा है।”
“ऐसे दुश्मनों को अगर कोई मुसलमान या इस्लामी राज्य समर्थन देता है, तो यह हराम माना जाएगा। दुनियाभर के मुसलमानों को चाहिए कि वे इन दुश्मनों को उनके शब्दों पर पछताने पर मजबूर करें।”
शिराजी ने यह भी कहा कि अगर कोई मुसलमान इस्लामी कर्तव्यों को निभाते हुए कठिनाइयों का सामना करता है, तो वह “ईश्वर की राह में योद्धा” के तौर पर जाना जाएगा।
क्यों जारी किया गया फतवा?
इस फतवे की टाइमिंग बेहद अहम है। बीते दिनों इजरायल और ईरान के बीच युद्ध छिड़ा था, जो करीब 13 जून से शुरू होकर 12 दिन तक चला। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइलें दागीं।
इस संघर्ष में अमेरिका भी शामिल हो गया। ट्रंप प्रशासन ने भी ईरान के कुछ अहम ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके बाद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण दोनों देश सीजफायर पर सहमत हुए।
लेकिन शांति की इस शुरुआत के बाद आया शिराजी का फतवा बताता है कि यह जंग अब कूटनीतिक और धार्मिक मोर्चे पर लड़ी जाएगी।
ट्रंप और नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी
हालांकि युद्ध थम गया है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू की ओर से ईरान को बार-बार चेतावनी दी जा रही है।
ट्रंप ने हाल ही में कहा:
“अगर ईरान दोबारा परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करेगा, तो अमेरिका उस पर पहले से भी बड़ा हमला करेगा।“
इसी तरह नेतन्याहू ने कहा कि:
“हमने फिलहाल युद्ध रोका है, लेकिन अगर ईरान दोबारा खतरा बना, तो अगली बार हमला पहले से भी ज्यादा घातक होगा।”
इन चेतावनियों के जवाब में ही शिराजी का यह फतवा सामने आया है, जिसे ईरान में धार्मिक क्रांति के समर्थकों से व्यापक समर्थन मिल रहा है।
मुस्लिम देशों को एकजुट होने की अपील
फतवे में यह भी अपील की गई है कि दुनिया के सारे मुस्लिम देश और समुदाय ट्रंप और नेतन्याहू की नीतियों के खिलाफ एकजुट हो जाएं। शिराजी ने इसे “इस्लाम की रक्षा की जरूरत” बताया और मुस्लिमों से राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विरोध दर्ज कराने की मांग की।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह अपील ईरान की उस कूटनीति का हिस्सा है, जिसमें वह मुस्लिम दुनिया में अपनी विचारधारा और नेतृत्व की स्थिति को मजबूत करना चाहता है।
इजरायल-ईरान जंग: पृष्ठभूमि
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13 जून को इजरायल ने ईरान के Fordow जैसे परमाणु स्थलों पर हमला किया।
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जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इजरायल के सैन्य अड्डों पर मिसाइलें दागीं।
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जंग ने तब और भयानक रूप लिया जब अमेरिका ने हस्तक्षेप करते हुए ईरान के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए।
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करीब 12 दिन की लगातार कार्रवाई के बाद दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्धविराम पर सहमति जताई।
आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि शांति प्रक्रिया के बावजूद मध्य पूर्व की स्थिरता अभी भी खतरे में है। फतवे जैसे बयान भले ही किसी धार्मिक व्यक्तित्व की ओर से आए हों, लेकिन उनका राजनीतिक असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महसूस किया जा सकता है।
ट्रंप और नेतन्याहू पर फतवे के बाद अमेरिका और इजरायल की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन दोनों देशों की एजेंसियां इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देख रही हैं।