अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को हुए भीषण विमान हादसे के बाद अब जांच का सबसे संवेदनशील और जरूरी चरण शुरू हो चुका है—DNA सैंपलिंग और पहचान प्रक्रिया। हादसे में 269 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकतर शव बुरी तरह जल चुके हैं या टुकड़ों में मिले हैं। ऐसे में अब परिजनों से DNA नमूने लेकर शवों की पुष्टि की जा रही है।
क्यों ज़रूरी है DNA टेस्टिंग?
विमान और हॉस्टल क्षेत्र में लगी भीषण आग से अधिकांश शव पहचान लायक नहीं रहे।
कई शव झुलस गए,
कुछ एक-दूसरे में मिश्रित हो गए,
और कुछ तो सिर्फ़ अवशेष के रूप में बचे।
ऐसे में केवल DNA मिलान ही परिजनों को अपने प्रियजनों की पहचान करने का एकमात्र माध्यम है।
कैसे हो रही है जांच?
शवों से हड्डी, त्वचा या दाँत के टुकड़े लेकर सैंपल लिए जा रहे हैं।
परिजनों से रक्त, बाल या लार के सैंपल लिए जा रहे हैं।
यह मिलान दिल्ली, हैदराबाद और अहमदाबाद की फॉरेंसिक लैब्स में किया जा रहा है।
अब तक 80 से ज़्यादा शवों की पहचान हो चुकी है।
“हम सिर्फ़ मलबे में नहीं, रिश्तों की आख़िरी निशानी में भी पहचान खोज रहे हैं।”— वरिष्ठ फॉरेंसिक अधिकारी
सिविल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर शव मिलने का इंतजार करते परिजन
प्रधानमंत्री मोदी ने परिजनों से की मुलाकात
13 जून की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद पहुंचे और सिविल अस्पताल जाकर घायल यात्रियों व मृतकों के परिजनों से बातचीत की। उन्होंने हर परिवार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया और सरकार को निर्देश दिए कि शवों की त्वरित और सटीक पहचान सुनिश्चित की जाए।
“जो दर्द इन परिवारों के चेहरों पर देखा, वो शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता। ये सिर्फ हादसा नहीं, राष्ट्रीय शोक है।” — पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने क्या कदम उठाए?
DNA जांच के लिए विशेष फॉरेंसिक टीमें गठित की गईं।
AIIMS व NSG के विशेषज्ञों को अहमदाबाद भेजा गया।
उन्होंने अस्पताल प्रशासन को 24×7 चिकित्सा निगरानी जारी रखने का निर्देश दिया।
मृतकों के परिवारों के लिए ₹1 करोड़ मुआवज़ा और घायलों के लिए मुफ्त इलाज की योजना को हरी झंडी दी।
हादसे की भयावहता और प्रतिक्रिया
फ्लाइट AI‑171 (Boeing 787‑8) टेकऑफ़ के 30 सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।
विमान में 242 लोग थे, और ज़मीन पर 28 लोग मारे गए।
अब तक 269 मृतकों के अवशेष बरामद हुए हैं।
“जैसे रावण की लंका जल उठी थी, वैसे ही यहाँ हर तरफ़ सिर्फ़ आग और रोशनी थी”— एक चश्मदीद छात्र
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कार्रवाई
अमेरिका की FAA और NTSB, ब्रिटेन की AAIB और बोइंग–GE की टीमें जांच में सहयोग कर रही हैं।
एक ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) बरामद हो चुका है; वॉयस रिकॉर्डर की तलाश जारी है।
“इंजन में थ्रस्ट लॉस” प्रारंभिक कारण के तौर पर उभरा है— DGCA जांच टीम
कानूनी और भावनात्मक पहलू
DNA पहचान प्रक्रिया से ही—
मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जा सकेगा,
बीमा और मुआवज़े का क्लेम किया जा सकेगा,
और सबसे महत्वपूर्ण—परिजन अपनों को अंतिम विदाई दे सकेंगे।
“हम मलबे में सिर्फ़ शरीर नहीं, रिश्तों की आख़िरी उम्मीद तलाश रहे हैं।” — एक रोते हुए पिता
ये सिर्फ़ एक तकनीकी हादसा नहीं, बल्कि एक मानवीय आपदा है। DNA जांच और पीएम मोदी की व्यक्तिगत संवेदनशीलता इस त्रासदी में देश की मानवीय भावना को दर्शाती है। हर शव की पहचान, हर आँसू का उत्तर और हर परिवार की शांति—अब इस जांच पर निर्भर करती है।