Pioneer digital desk
नई दिल्ली- आज भारत ने Digital India पहल के 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह एक ऐसा ऐतिहासिक पड़ाव है जिसने न केवल भारत को तकनीकी रूप से मजबूत किया है, बल्कि शासन, सेवा और सामाजिक ढांचे को भी पूरी तरह बदल डाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य था – देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना। आज यह पहल एक जनांदोलन बन चुकी है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: “डिजिटल युग में भारत का नया जन्म”
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर लिखा:
“आज एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हम #10YearsOfDigitalIndia मना रहे हैं! यह यात्रा अनगिनत लोगों के जीवन को छूने वाली रही है और भारत को डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में आज स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, और शासन जैसे क्षेत्रों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का सफल प्रयोग हो रहा है। यह सब 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक भागीदारी और संकल्प से संभव हुआ है।
डिजिटल इंडिया: आंकड़ों की जुबानी सफलता की कहानी
1. इंटरनेट क्रांति:
2014 में जहां केवल 25 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे, वहीं 2025 तक यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ हो गई है। यह लगभग 288% की वृद्धि है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच 2015 में बेहद सीमित थी, लेकिन आज 95% से अधिक गांवों में इंटरनेट उपलब्ध है।
2. ग्रामीण कनेक्टिविटी में छलांग:
ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन 2014 में 37.77 करोड़ थे, जो अब 53.66 करोड़ से अधिक हो चुके हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल सेवाओं का लाभ संभव हो पाया है।
3. भारतनेट योजना:
भारतनेट योजना के माध्यम से 2.18 लाख ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाया गया है, जिससे डिजिटल समावेशन को गहरा बल मिला है।
यूपीआई: भारत की सबसे बड़ी डिजिटल सफलता
भारत की अपनी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब केवल देश तक सीमित नहीं रही। यह आज UAE, सिंगापुर, फ्रांस, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देशों में भी इस्तेमाल हो रही है।
2025 के मई माह में यूपीआई के जरिए 25.14 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ — जो एक मूक वित्तीय क्रांति का प्रमाण है।
बिल गेट्स तक ने यूपीआई और आधार आधारित भारत की डिजिटल व्यवस्था को “डिजिटल गवर्नेंस का स्वर्ण मानक” बताया है।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): पारदर्शिता का नया युग
डिजिटल इंडिया अभियान के तहत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) ने कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ाई है। अब तक DBT के जरिए 44 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाए जा चुके हैं।
इससे सरकार को कुल 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।
-
खाद्य सब्सिडी से ही 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई।
-
5.87 करोड़ फर्जी राशन कार्ड और 4.23 करोड़ फर्जी एलपीजी कनेक्शन रद्द किए गए।
डिजिटल साक्षरता: गांवों में नई उम्मीद
PMGDISHA (प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान) के अंतर्गत अब तक 4.78 करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल साक्षरता दी गई है।
इससे न सिर्फ गांवों में जागरूकता बढ़ी है, बल्कि डिजिटल उपकरणों का उपयोग भी सामान्य जीवन का हिस्सा बन गया है।
स्टार्टअप्स में डिजिटल इंडिया का योगदान
आज भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला है। एक रिपोर्ट के अनुसार:
-
भारत के 45% स्टार्टअप अब टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रहे हैं।
-
इससे यह स्पष्ट है कि छोटे शहर और गांव डिजिटल इनोवेशन के नए केंद्र बन रहे हैं।
डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य: सेवाओं की पहुँच घर-घर तक
-
DigiLocker, eHospital, UMANG, Aarogya Setu, CoWIN जैसी ऐप्स ने भारत को न सिर्फ डिजिटली जोड़ा, बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं को सुलभ बनाया।
-
COVID-19 महामारी के दौरान CoWIN पोर्टल से करोड़ों लोगों का टीकाकरण डिजिटल रूप से हुआ।
डिजिटल इंडिया का वैश्विक प्रभाव
भारत ने अब केवल घरेलू स्तर पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी डिजिटल ताकत का प्रदर्शन किया है।
आधार, UPI, और डिजिटल गवर्नेंस मॉडल को कई देशों ने अपनाने की इच्छा जताई है।
विजन 2047 की तैयारी
अब जब डिजिटल इंडिया के 10 साल पूरे हो चुके हैं, तो सरकार की नजर अब 2047 तक भारत को विश्व की सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने पर है।
इसके लिए 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, डिजिटल इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश और नीति निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।