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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील की चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं। एक तरफ जहां केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया है कि भारत किसी भी व्यापार समझौते में देशहित से समझौता नहीं करेगा, वहीं दूसरी ओर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार ट्रम्प की टैरिफ समयसीमा के आगे झुक जाएगी।
पीयूष गोयल का स्पष्ट संदेश: “समयसीमा नहीं, देशहित प्राथमिकता”
शुक्रवार को दिए गए एक बयान में पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका से कोई भी ट्रेड डील तभी स्वीकार करेगा, जब वह अंतिम रूप ले ले और दोनों देशों के हित में हो। उन्होंने कहा कि भारत केवल डेडलाइन को पूरा करने के लिए कोई समझौता नहीं करता।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका के अलावा भारत यूरोपीय यूनियन, न्यूजीलैंड, ओमान, चिली और पेरू जैसे देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर बातचीत कर रहा है। अमेरिका से अंतरिम व्यापार समझौते (Interim Trade Deal) की बात पर गोयल ने स्पष्ट किया कि यह तभी होगा, जब दोनों पक्षों को फायदा हो।
राहुल गांधी का वार: “मोदी ट्रम्प के आगे झुकेंगे”
पीयूष गोयल के इस बयान पर राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर पलटवार करते हुए कहा,
“पीयूष गोयल चाहे जितनी छाती पीट लें, मेरी बात याद रखिए – मोदी ट्रम्प की टैरिफ डेडलाइन के आगे झुक जाएंगे।”
राहुल का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत सहित करीब 100 देशों पर 26% का अतिरिक्त जवाबी शुल्क (Tariff) लगाने की घोषणा की थी, जिसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था। अब यह समयसीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है।
भारत का रुख: MSME और टैरिफ पर दो टूक
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर अंतिम दौर की बातचीत मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में पूरी हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका से लौट चुका है, लेकिन कृषि और ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है।
भारत ने दो प्रमुख शर्तें रखी हैं:
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टैरिफ की सीमा 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। अप्रैल में लगाए गए 26% टैरिफ को भारत किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।
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भारत की MSME इकाइयों को अमेरिकी बाजार में अधिक अनुकूल माहौल दिया जाए। लेदर, परिधान, रत्न-आभूषण और फार्मा सेक्टर खासतौर पर शामिल हैं।
भारत ने अमेरिका से GSP (Generalized System of Preferences) की तर्ज पर भारतीय उत्पादों को ज़ीरो टैरिफ की श्रेणी में लाने की मांग भी की है। 2019 तक लागू GSP से भारत के करीब 20% उत्पादों को टैरिफ नहीं देना पड़ता था।
ट्रम्प का दावा: “भारत से डील जल्द होगी”
2 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रेस से बातचीत में कहा कि भारत के साथ ट्रेड डील जल्दी हो सकती है। ट्रम्प ने कहा,
“भारत टैरिफ के मामले में सख्त है, लेकिन मुझे लगता है कि इस बार की डील से दोनों देशों को फायदा होगा।”
रक्षा सहयोग में भी मजबूती
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भी संकेत दिए हैं कि भारत के साथ लंबित रक्षा सौदे जल्द पूरे होंगे। उन्होंने कहा कि भारत को दिए गए रक्षा उपकरणों का उपयोग भारतीय सेना सफलतापूर्वक कर रही है। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि 10 साल के नए रक्षा समझौते पर इस साल के अंत तक हस्ताक्षर हो सकते हैं।
2030 तक 500 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य
भारत और अमेरिका के बीच 2030 तक 500 अरब डॉलर (43 लाख करोड़ रुपये) के व्यापार लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह डील बुनियादी कड़ी मानी जा रही है। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस पर सहमति बनी थी।
रिपोर्टों के मुताबिक, सितंबर-अक्टूबर 2025 तक इस अंतरिम ट्रेड डील पर अंतिम हस्ताक्षर हो सकते हैं। दोनों पक्षों की मंशा है कि व्यापार को बढ़ाने के लिए टैरिफ को कम किया जाए।
भारत ने कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ घटाया
भारत की ओर से यह संकेत दिया गया है कि यदि अमेरिका भारत के साथ व्यापार घाटा कम करना चाहता है, तो उसे भारतीय उत्पादों को ज्यादा अवसर देने होंगे। भारत ने अपनी तरफ से कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में कटौती का निर्णय लिया है। अब बारी अमेरिका की है।
जेपी मॉर्गन की चेतावनी
जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि 9 जुलाई के बाद ट्रम्प के टैरिफ लागू रहते हैं, तो इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर 7 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आ सकता है।
अगर डील नहीं हुई तो भारत पर 26% टैरिफ
अगर 9 जुलाई तक ट्रेड डील फाइनल नहीं होती है, तो ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल को घोषित 26% टैरिफ भारत पर दोबारा लागू हो जाएगा। यह टैरिफ 9 अप्रैल को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था, ताकि भारत को डील पर अंतिम निर्णय का मौका दिया जा सके।