नई दिल्ली | गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जा रही Air India की फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की खबर ने न केवल यात्रियों में डर का माहौल बना दिया है, बल्कि एक बार फिर बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में विमान में सवार 242 लोगों की जान ;चली गई । जिनमें 10 क्रू सदस्य भी शामिल थे।
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर: आधुनिक लेकिन विवादित
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को जब लॉन्च किया गया था, तो इसे विमानन उद्योग में एक क्रांतिकारी कदम माना गया था। इस एयरक्राफ्ट की पहचान इसकी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, ईंधन दक्षता और यात्रियों को आरामदायक उड़ान अनुभव देने के लिए होती है। यह विमान कंपोजिट मटेरियल से बना है, जो हल्का होता है और ईंधन की खपत को कम करता है।
लेकिन इसी तकनीक के कारण यह विमान कई बार विवादों में भी घिर चुका है। 2013 में जब जापान एयरलाइंस के एक ड्रीमलाइनर में लिथियम-आयन बैटरी की वजह से आग लग गई थी, तब FAA (Federal Aviation Administration) ने दुनियाभर में इस मॉडल के सभी विमानों की उड़ान पर रोक लगा दी थी। उसके बाद बोइंग को बैटरी सिस्टम को पूरी तरह से रीडिज़ाइन करना पड़ा।
2024 में फिर चर्चा में आया ड्रीमलाइनर
2024 में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एक बार फिर विवादों में तब आया जब कंपनी के एक सीनियर इंजीनियर सैम सालेहपुर ने अमेरिकी सीनेट के सामने चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने बताया कि ड्रीमलाइनर की बॉडी में छोटे-छोटे गैप रह जाते हैं और असेंबली के दौरान मानकों का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता। इससे विमान की संरचनात्मक मजबूती पर असर पड़ सकता है।
सालेहपुर के दावों के बाद FAA ने फिर से जांच शुरू की जो अब तक जारी है। यह मामला बोइंग की साख पर एक और बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है, खासकर तब जब कंपनी पहले से ही 737 मैक्स सीरीज़ को लेकर कई कानूनी और तकनीकी जांचों से गुजर रही है।
हाल की अन्य घटनाएं: चिंता की लकीरें गहरी
इस साल मार्च में LATAM एयरलाइंस की एक फ्लाइट, जिसमें बोइंग 787-9 इस्तेमाल किया गया था, अचानक हवा में ऊंचाई में गिरावट का शिकार हो गई। इस घटना में लगभग 50 लोग घायल हुए। जांच में सामने आया कि कॉकपिट की सीट में तकनीकी खराबी के चलते यह घटना हुई।
इसके अलावा पायलटों द्वारा रिपोर्ट की गई अन्य समस्याओं में इंजन में बर्फ जमना, ईंधन रिसाव, इलेक्ट्रिकल जनरेटर में खराबी और पॉवर सिस्टम की असफलता जैसी बातें सामने आ चुकी हैं।
इससे पहले 2019 में भी जापान एयरलाइंस के एक ड्रीमलाइनर में इलेक्ट्रिकल फेल्योर के कारण आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी।
AI-171: 11 साल पुराना विमान, सवाल खड़े करती उम्र
Flightradar24 के आंकड़ों के अनुसार, जो विमान गुरुवार को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसने 2013 में अपनी पहली उड़ान भरी थी और 2014 में एयर इंडिया को सौंपा गया था। यानी यह विमान लगभग 11 साल पुराना था।
हालांकि विमान की उम्र ही दुर्घटना का कारण नहीं होती, लेकिन जब तकनीकी खामियों की बात हो रही हो और विमान पहले से ही संदिग्ध मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस से जुड़ा हो, तो सवाल उठना लाजमी है।
भारत में जांच जारी: DGCA और एयर इंडिया की भूमिका
एयर इंडिया और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। DGCA के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) की जांच की जा रही है। शुरुआती रिपोर्ट आने में कुछ दिन लग सकते हैं, लेकिन इस बात की संभावना है कि जांच के बाद बोइंग को एक बार फिर तकनीकी जवाबदेही देनी पड़े।
बोइंग की प्रतिक्रिया: “हम सहयोग कर रहे हैं”
बोइंग ने अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा है कि वह एयर इंडिया और भारतीय अधिकारियों के साथ इस मामले में पूरा सहयोग कर रही है। उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए भरोसा दिलाया कि हर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
आख़िर कब सुधरेगी स्थिति?
बोइंग जैसे बड़े विमान निर्माता से यह उम्मीद की जाती है कि वह उच्चतम गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन करे। लेकिन लगातार सामने आ रही तकनीकी खामियाँ और आंतरिक शिकायतें इस भरोसे को कमजोर करती हैं।
क्या यह कंपनी के भीतर मौजूद गवर्नेंस सिस्टम की विफलता है? क्या FAA और दूसरी नियामक एजेंसियों को अधिक कठोर रुख अपनाने की जरूरत है? और सबसे बड़ा सवाल – क्या यात्रियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता हो रहा है?