लखनऊ | “यह मेरी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से आखिरी कॉल है… अब लौट रहा हूं, जल्द मिलूंगा।” इन शब्दों ने लखनऊ स्थित अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के घर को भावनाओं के समंदर में डुबो दिया। Axiom Mission-4 के तहत 18 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर रहे शुभांशु ने जब सोमवार शाम अंतिम बार सेटेलाइट कॉल पर घरवालों से बात की, तो सब कुछ ठहर गया। मां की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे और बहन को बस उसकी मुस्कुराहट ही याद रह गई।
“ये कॉल अलग थी…”
शुभांशु की बहन शुचि मिश्रा ने बताया, “अब तक की कॉल्स में हम उत्साह में रहते थे, हंसी-मजाक होता था। लेकिन इस बार सभी चुप थे। बस उसकी आवाज सुनना चाह रहे थे।”
मां आशा शुक्ला की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने कहा,
“मैं कुछ बोल नहीं पाई… बस रोती रही। वो जानता था मैं रो रही हूं। लेकिन वह शांत था, हमें ढांढस दे रहा था – कहता रहा कि सब ठीक होगा।”
18 दिन की पूजा, रातभर की प्रार्थना
परिवार ने बेटे की वापसी के लिए हर संभव पूजा-पाठ किया। शुभांशु की मां ने बताया,
“18 दिन तक रोज विशेष पूजा होती रही। आरती, मंत्रोच्चार, पाठ – हमने कुछ नहीं छोड़ा। बस यही मनोकामना थी कि बेटा सकुशल लौट आए।”
मंगलवार सुबह पिता शंभू दयाल शुक्ला ने सुंदरकांड का पाठ किया। रातभर पूरा परिवार टीवी स्क्रीन और लाइव फीड से जुड़ा रहा। हर अपडेट के साथ दिल की धड़कनें बढ़ती रहीं।
🎥 अंतरिक्ष से आया वीडियो कॉल: जैसे वो यहीं हो
अंतिम कॉल से दो दिन पहले शुभांशु ने वीडियो कॉल किया। बहन शुचि बताती हैं,
“वो जीरो ग्रैविटी में तैर रहा था, हंस रहा था। हमें अंतरिक्ष स्टेशन का नजारा दिखा रहा था। वो पल ऐसा था जैसे वह बस किसी दूसरे कमरे में हो।”
“जैसे दूसरा जन्म लेकर आ रहा हो”
परिवार शुभांशु की वापसी को एक ‘दूसरा जन्म’ मान रहा है। शुचि कहती हैं,
“वो जैसे किसी और दुनिया में चला गया था। अब लौट रहा है – नए अनुभव, नई ऊर्जा और नई पहचान के साथ। जैसे वो फिर से जन्म ले रहा हो।”
मां आशा कहती हैं,
“हमारे लिए ये सिर्फ एक मिशन नहीं था, यह हर पल की परीक्षा थी। जब वो पृथ्वी पर सुरक्षित उतरेगा, वह क्षण हमारे लिए जीत का, पुनर्जन्म का और विश्वास की विजय का होगा।”
देश की नजरें शुभांशु पर
पूरा देश ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की वापसी की राह देख रहा है। इस मिशन के साथ भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक नया अध्याय जुड़ा है। Axiom Mission-4 के तहत ISS में रहकर विज्ञान, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी से जुड़े कई प्रयोगों का हिस्सा बनने वाले शुभांशु अब वापसी की ओर हैं।
परिवार की अंतिम रात: आंखों में आंसू, दिल में विश्वास
पिता शंभू शुक्ला कहते हैं,
“पूरी रात हम जागते रहे। एक-एक पल भारी था। बंद कैप्सूल में उसका आना, पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरना – यह सब सोचकर मन बेचैन था। लेकिन भगवान की कृपा से हमारा बेटा जल्द वापस होगा।”
भारत का गर्व, लखनऊ का बेटा – शुभांशु शुक्ला
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने न सिर्फ अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि पूरे देश का दिल भी जीत लिया। उनके साहस, परिवार की आस्था और देश की दुआओं ने इस मिशन को यादगार बना दिया।