नई दिल्ली । Iran की राजधानी तेहरान में हाल ही में हुए एक बड़े आग-ज्वाला्ड (Fire Incident) ने वहां के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावित किया, जिससे करीब 1,500 भारतीय छात्र जो मेडिकल और अन्य कोर्स में अध्ययनरत हैं, अपनी जान-माल को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके अभिभावकों ने इसकी सख्त निन्दा की है और भारतीय सरकार से तत्काल सक्रियता की मांग की है।
विद्यार्थियों की स्थिति और अभिभावकों की चिंताएं
Iran की विभिन्न यूनिवर्सिटियों में दाखिले लेने वाले भारतीय छात्रों में से ज्यादातर मेडिकल, इंजीनियरिंग और फिजिकल थेरेपी जैसे कोर्स कर रहे हैं। इनमें से लगभग 400 छात्र तेहरान, 300 छात्र मशहद, और शेष शिराज, इस्फहान आदि शहरों में हैं। हाल में तेहरान के किसी संस्थान या हॉस्टल में लगी आग की घटना ने छात्रों की सुरक्षा खतरे में डाल दी है। अभिभावकों की चिंता इस बात से स्पष्ट होती है कि कई छात्र बार-बार अपने घरवालों को कॉल करके कह रहे हैं। कि वो सेफ नहीं है।
अभिभावकों की आवाज़ – सरकार से की अपील
कश्मीर सहित अन्य जगहों पर रहने वाले अभिभावकों ने सरकार के ऊपर सख्त ज़ोर देना शुरू कर दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीरी अभिभावक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर को सीधे लिखे गए पत्र में मांग कर रहे हैं कि:
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कृपया हमारे बच्चों को ईरान से सुरक्षित निकालें।
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उन्हें सिर्फ शिक्षार्थी ही नहीं, एक भारत-दूतावास की सहानुभूतिपूर्ण सुरक्षा की जरूरत है।
यह केंद्र सरकार के लिए मांग की आवाज़ है कि जो छात्र भारत से गए थे, वे अब विदेशी संकट में न फँस जाएँ, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय हालात
तेहरान और अन्य शहरों में भवनों की सुरक्षा पर पहले से ही चिंता है — स्कूलों में अग्निशमन इंतज़ाम कमज़ोर पाया गया है और उन्हें संरचनात्मक रूप से अनुरक्षित नहीं किया गया है । यह केवल आग की घटना नहीं—यह उस गहरे सुरक्षा संकट का संकेत है जो स्कूलों और हॉस्टल तक फैल चुका है।
COVID-19 महामारी के समय भी छात्रों की सुरक्षा मुद्दा बना था, जब 2020 में 300 से अधिक भारतीय उस समय हेल्पलाइन तक सीमित रह पड़े थे । अब एक बार फिर यह ही मूल प्रश्न उठ रहा है—क्या सरकार तैयार है इसको संभालने के लिए?
सरकार की प्रतिक्रिया और त्वरित कार्रवाई
आज दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र से जवाब देने को कहा है । सरकार को निर्देशित किया गया है कि वह:
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अभी स्थिति का पूरा ब्यौरा ईरान में मौजूद छात्रों से एकत्र करे,
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साथ ही दूतावास के माध्यम से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
MEA की तरफ से भारतीय दूतावास में एक आपातकालीन हेल्पलाइन भी तैयार की गई है, बशर्ते समय पर अपडेट और सक्रियता हो ।
वैश्विक संदर्भ और नीतिगत सबक
यह पहला मौका नहीं जब भारत को विदेशों में संकट में फंसे छात्रों की मदद करनी पड़ी हो। 2020 में IRAN, CHINA, इटली जैसी जगहों पर Indian Students evacuation का उदाहरण मौजूद है ।
इस अनुभव से भारत ने सीखा है:
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तुरंत भारत–दूतावास से सम्पर्क रहे।
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हेल्पलाइन सुविधाएँ हों ज़रूरतमंदों के लिए।
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देश की विमान या कंसोर्टियम से students की evacuation की capability तैयार रहे।
इसी क्रम में, आईरानी हादसे ने फिर याद दिलाया कि यह प्रणाली जीवित रहनी चाहिए — कोई छात्र विदेश में संकट में अकेला न रहे।