नई दिल्ली । कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कैननास्किस शहर में जारी G7 समिट 2025 इस बार सिर्फ वैश्विक आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं रही। इजराइल और ईरान के बीच गहराते टकराव ने सम्मेलन की पूरी दिशा ही बदल दी। पहले ही दिन G7 देशों ने एक साझा बयान में इजराइल के पक्ष में खुला समर्थन जाहिर किया और ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर सख्त रुख अपनाया।
हालात तब और नाटकीय हो गए जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सम्मेलन को बीच में छोड़कर अचानक वॉशिंगटन लौट गए। उनका यह कदम वैश्विक राजनीति और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाला रहा।
ट्रम्प ने कहा: “मैं सीजफायर के लिए नहीं लौट रहा”
रवाना होने से ठीक पहले पत्रकारों से बातचीत में ट्रम्प ने कहा:
“मैं सिर्फ सीजफायर के लिए नहीं लौट रहा हूं। ये सिर्फ एक संघर्ष नहीं, बल्कि वैश्विक परमाणु नीति की सबसे बड़ी परीक्षा है। ईरान को अब समझना होगा कि अमेरिका झुकने वाला नहीं है।”
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य और कूटनीतिक विकल्पों की समीक्षा के लिए ट्रम्प की तत्काल वापसी जरूरी थी।
G7 का साझा बयान: इजराइल को आत्मरक्षा का अधिकार, ईरान को परमाणु हथियार नहीं
समिट के पहले दिन जारी बयान में सभी सात देशों — अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान — ने इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया।
“हम यह दोहराते हैं कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं रखने दिए जाएंगे।” — G7 साझा वक्तव्य
इस बयान को भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे आमंत्रित देशों ने भी समर्थन दिया है।
तीन वजहों से ट्रम्प छाए रहे G7 समिट के पहले दिन:
1. इजराइल-ईरान विवाद पर विरोध
कनाडाई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, G7 देशों के बीच एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा था जिसमें युद्धविराम की अपील थी, लेकिन ट्रम्प ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया।
उन्होंने समिट शुरू होने से पहले ही बयान दिया था कि –
“ईरान यह जंग पहले ही हार चुका है, उन्हें बात करने में बहुत देर कर दी।”
2. कनाडा के झंडे वाली पिन
ट्रम्प ने समिट में अमेरिका और कनाडा के झंडे वाली पिन अपने कोट पर लगाई। इसे लेकर अटकलें तेज हो गईं क्योंकि अतीत में ट्रम्प यह कह चुके हैं कि वे कनाडा को अमेरिका का “51वां राज्य” बनाना चाहते हैं।
3. रूस को G7 में शामिल करने की मांग
ट्रम्प ने कहा:
“G7 पहले G8 हुआ करता था। ओबामा और ट्रूडो की गलती थी रूस को बाहर करना। हमें रूस को फिर से शामिल करना चाहिए।”
परमाणु तनाव पर वैश्विक चिंता
ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर भी तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने लिखा:
“ईरान को परमाणु समझौते पर तुरंत हस्ताक्षर करने चाहिए। मैं बार-बार कह चुका हूं कि ईरान न्यूक्लियर हथियार नहीं रख सकता। सभी विदेशी नागरिक तुरंत तेहरान छोड़ दें।”
इस ट्वीट के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने अपने नागरिकों के लिए तेहरान ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी है।
क्या ट्रम्प की वापसी सैन्य कार्रवाई का संकेत है?
कूटनीतिक सूत्रों की मानें तो ट्रम्प की अचानक वापसी सिर्फ ‘प्रतीकात्मक’ नहीं है, बल्कि यह आने वाले कुछ दिनों में सीमित सैन्य हस्तक्षेप का संकेत भी हो सकता है।
अमेरिकी नौसेना के दो युद्धपोत पहले ही ओमान की खाड़ी में तैनात किए जा चुके हैं। वहीं, इजराइल ने भी अपने एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह एक्टिव कर दिया है।
G7 में दरारें और वैश्विक तनाव
जहां G7 देश एकजुट दिखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं ट्रम्प के कड़े रुख और यूरोपीय देशों के बीच नरमी की कोशिशों के चलते एक स्पष्ट मतभेद भी उभरकर सामने आया है। इस बार G7 सिर्फ एक आर्थिक मंच नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा संतुलन का केंद्र बन चुका है।