भारत ने ये साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ जो मुद्दे हैं उसे दोनों देश मिलकर सुलझा लेंगे। इस मामले में किसी तीसरे पक्ष को बीच में आने की कोई जरूरत नहीं हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमारा लम्बॆ अरसे से यही पक्ष रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके से ही हल करे। इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, लंबित मामला केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है। इसी पर ही बात होगी।
विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के दावे नकारे
कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर विदेश विभाग के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा । जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर तीसरे पक्ष की दखलंदाजी मंजूर नहीं है। ट्रम्प ने कहा था कि। ‘मैं दोनों के साथ मिलकर यह देखने की कोशिश करूंगा कि क्या ‘हजार साल’ बाद कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है।’
अमेरिका के साथ किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा
ट्रम्प और व्यापार पर से जुड़े एक सवाल पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि “7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालात पर बातचीत हुई। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा। लेकिन ट्रम्प ने 12 मई को दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से कहा कि अगर वे युद्धविराम पर सहमत होते हैं तो अमेरिका उन्हें व्यापार में मदद करेगा। अगर नहीं मानते हैं तो उनके साथ कोई व्यापार नहीं होगा। इसके बाद दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए थे।
परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा भारत
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा परमाणु युद्ध की अटकलों से जुड़े सवाल पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से एक निश्चित क्षेत्र में थी। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी 10 मई को बैठक करेगी। लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने खुद इससे इनकार किया है। जैसा कि आप जानते हैं भारत का रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा या इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा।